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सुखोई का जोड़ीदार बनेगा LCH, आज वायु सेना में होगा शामिल...जानें इसकी खासियत

भारतीय वायु सेना में आज यानी 3 अक्टूबर को स्वदेशी हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर शामिल होगा. LCH सुखोई का जोड़ीदार बनेगा, जिसका पहला स्क्वाड्रन (LCH in AIF) जोधपुर एयरबेस पर तैनात किया जाएगा. यह हेलीकॉप्टर कई तरह की मिसाइल दागने और हथियारों को इस्तेमाल करने में सक्षम है. यहां जानें और क्या है इसकी खासियत...

HAL Light Combat Helicopter
एलसीएच फाइटर जेट सुखोई-30 का जोड़ीदार बनेगा
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Published : Oct 2, 2022, 6:53 PM IST

Updated : Oct 3, 2022, 12:05 PM IST

जोधपुर. 8 अक्टूबर को वायु सेना दिवस से है, लेकिन कुछ दिन पहले यानी सोमवार 3 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना में देश में ही विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) का पहला स्क्वाड्रन की तैनातगी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में होगी. एलसीएच (Light Combat Helicopter) की तैनाती से पश्चिमी सीमा पर वायुसेना की दुश्मन के प्रति मारक क्षमता में इजाफा होगा.

एलसीएच फाइटर जेट सुखोई-30 का जोड़ीदार बनेगा. पश्चिमी सीमा पर एलसीएच की तैनातगी से पहले इसे कई परीक्षणों से निकाला गया है. इसके बाद वायुसेना ने इसके लिए जोधपुर एअरबेस को चुना है. सोमवार को इसकी पहली (Features of LCH) स्क्वाड्रन अस्तित्व में आएगी. यह हेलीकॉप्टर 180 डिग्री के कोण पर स्थिर रह कर और 360 डिग्री के कोण पर उड़ कर चार तरह से हमला करने की ताकत रखता है. अन्य हेलीकॉप्टर के मुकाबले इसमें बदलाव तेजी किए जा सकते हैं, जिनकी मदद से एंटी इंफैन्ट्री, आर्टिलरी व एंटी टैंक अटैक किया जा सकता है.

सुखोई का जोड़ीदार बनेगा LCH

ये किसी भी तरह के यूएवी या घातक ड्रोन को हवा में मार गिरने में सक्षम है. हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर वायु सेना में शामिल होने से (First Squadron of LCH in India) युद्ध के मोर्चों पर कई मायने में आसनी होगी. देश में ही विकसित किए गए इस हेलीकॉप्टर के 45 फीसदी कलपुर्जे देश में ही विकसित किए गए हैं, जिन्हें 55 फीसदी प्रतिशत तक करने की योजना पर काम चल रहा है. फिलहाल, भारतीय सेना में एलसीएच काम में लिए जा रहे हैं. वायुसेना ने 10 एलसीएच का ऑर्डर इस वर्ष मार्च में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को दिया है.

10 साल ट्रॉयल के बाद वायु सेना में शामिल : भारतीय वायु सेना को कारगिल युद्ध के दौरान हल्के लडाकू हेलीकॉप्टर की आवश्यकता महसूस हुई थी. उस समय ऐसे हेलीकॉप्टर होते तो पाकिस्तानी सेना के बंकरों आसानी से उड़ाया जा सकता था. इसके बाद 2006 में सबसे पहले सरकार ने इसकी अनुमति दी थी. वायु सेना से पहले भारतीय सेना ने दुर्गम इलाकों के लिए उपयोग शुरू किया. वायुसेना में तैनाती से पहले कई उसी स्तर के परीक्षण किए गए थे. उन ट्रायल से समझा जा सकता है कि यह एअरफोर्स के लिए कितना महत्वपूर्ण है.

एअरफोर्स के अनुसार 2010 की शुरुआत में इसका पहला प्रोटोटाइप तैयार किया गया. जुलाई 2012 को चेन्नई के पास पहला फुल स्केल ट्रायल शुरू हुआ, फिर एलसीएच के दूसरे प्रोटोटाइप का ट्रायल समुद्र सतह के ऊपर करना शुरू कर दिया. इसमें फ्लाइट परफॉर्मेंस, भार वहन करने की क्षमता व इसके पंखों को परखा गया. नवंबर 2014 में तीसरे प्रोटोटाइप ने उड़ान भरी. यह पहले दोनों प्रोटोटाइप से काफी हल्का था. इसने करीब 20 मिनट की उड़ान भरी. इसके बाद केंद्र सरकार ने चौथा प्रोटोटाइप स्वीकृत किया.

HAL Light Combat Helicopter
पश्चिमी सीमा की वायु शक्ति में होगा इजाफा...

यूं बढ़ेगी एअरफोर्स की मारक क्षमता : जोधपुर एअरबेस पर अभी फाइटर जेट सुखोई की एक स्क्वाड्रन तैनात है. फलोदी एयरबेस पर एम-17 के अपग्रेडेड वर्जन के हेलीकॉप्टर की एक स्क्वाड्रन है. भारतीय सेना अमेरिका निर्मित अपाचे हेलीकॉप्टर को महत्व दे रही है. रूस निर्मित अटैक हेलीकॉप्टर एमआई-25 व एमआई-35 भी काम में ले रही है. इनकी क्षमता कम है. एयरफोर्स एमआई-25 को रिटायर्ड करने की तैयारी है, जबकि एमआई 35 को अपग्रेड करने की तैयारी है. अब एलसीएच शामिल होने से वायुसेना के पास एक उन्नत ऑप्शन उपलब्ध होगा. इस दो इंजन वाले एलसीएच में पायलट के अलावा एक गनर भी बैठ सकता है. इसका खाली वजन 2,250 किलोग्राम होता है. हथियार सहित यह 5,800 किलोग्राम वजन होता है. यह अधिकतम 268 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. इसकी रेंज 550 किलोमीटर तक की है.

पढ़ें : सीसीएस ने स्वदेशी एलसीए मार्क 2 लड़ाकू विमान परियोजना को मंजूरी दी

हर तरह से सक्षम है LCH : एलसीएच एक बार में 1750 किलोग्राम वजनी हथियार ले जा सकता है. इसमें 1430 हॉर्स पावर के दो इंजन होते हैं. इसमें एक 20 एमएम की गन होती है. इस गन से हवा से हवा में और हवा से जमीन पर हमला (Power of Indian Air Force) किया जा सकता है. यह चार हार्ड पांइट में 12 रॉकेट ले जा सकता है. साथ ही आठ एयर टू एयर मिसाइल व 16 एंटी टैंक मिसाइल ले जा सकता है. यह कलस्टर बम के अलावा अनगाइडेड बम भी गिरा सकता है. साथ ही इसमें बैठ रॉकेट लॉचर के जरिए ग्रेनेड हमला भी किया जा सकता है.

जोधपुर. 8 अक्टूबर को वायु सेना दिवस से है, लेकिन कुछ दिन पहले यानी सोमवार 3 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना में देश में ही विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) का पहला स्क्वाड्रन की तैनातगी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में होगी. एलसीएच (Light Combat Helicopter) की तैनाती से पश्चिमी सीमा पर वायुसेना की दुश्मन के प्रति मारक क्षमता में इजाफा होगा.

एलसीएच फाइटर जेट सुखोई-30 का जोड़ीदार बनेगा. पश्चिमी सीमा पर एलसीएच की तैनातगी से पहले इसे कई परीक्षणों से निकाला गया है. इसके बाद वायुसेना ने इसके लिए जोधपुर एअरबेस को चुना है. सोमवार को इसकी पहली (Features of LCH) स्क्वाड्रन अस्तित्व में आएगी. यह हेलीकॉप्टर 180 डिग्री के कोण पर स्थिर रह कर और 360 डिग्री के कोण पर उड़ कर चार तरह से हमला करने की ताकत रखता है. अन्य हेलीकॉप्टर के मुकाबले इसमें बदलाव तेजी किए जा सकते हैं, जिनकी मदद से एंटी इंफैन्ट्री, आर्टिलरी व एंटी टैंक अटैक किया जा सकता है.

सुखोई का जोड़ीदार बनेगा LCH

ये किसी भी तरह के यूएवी या घातक ड्रोन को हवा में मार गिरने में सक्षम है. हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर वायु सेना में शामिल होने से (First Squadron of LCH in India) युद्ध के मोर्चों पर कई मायने में आसनी होगी. देश में ही विकसित किए गए इस हेलीकॉप्टर के 45 फीसदी कलपुर्जे देश में ही विकसित किए गए हैं, जिन्हें 55 फीसदी प्रतिशत तक करने की योजना पर काम चल रहा है. फिलहाल, भारतीय सेना में एलसीएच काम में लिए जा रहे हैं. वायुसेना ने 10 एलसीएच का ऑर्डर इस वर्ष मार्च में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को दिया है.

10 साल ट्रॉयल के बाद वायु सेना में शामिल : भारतीय वायु सेना को कारगिल युद्ध के दौरान हल्के लडाकू हेलीकॉप्टर की आवश्यकता महसूस हुई थी. उस समय ऐसे हेलीकॉप्टर होते तो पाकिस्तानी सेना के बंकरों आसानी से उड़ाया जा सकता था. इसके बाद 2006 में सबसे पहले सरकार ने इसकी अनुमति दी थी. वायु सेना से पहले भारतीय सेना ने दुर्गम इलाकों के लिए उपयोग शुरू किया. वायुसेना में तैनाती से पहले कई उसी स्तर के परीक्षण किए गए थे. उन ट्रायल से समझा जा सकता है कि यह एअरफोर्स के लिए कितना महत्वपूर्ण है.

एअरफोर्स के अनुसार 2010 की शुरुआत में इसका पहला प्रोटोटाइप तैयार किया गया. जुलाई 2012 को चेन्नई के पास पहला फुल स्केल ट्रायल शुरू हुआ, फिर एलसीएच के दूसरे प्रोटोटाइप का ट्रायल समुद्र सतह के ऊपर करना शुरू कर दिया. इसमें फ्लाइट परफॉर्मेंस, भार वहन करने की क्षमता व इसके पंखों को परखा गया. नवंबर 2014 में तीसरे प्रोटोटाइप ने उड़ान भरी. यह पहले दोनों प्रोटोटाइप से काफी हल्का था. इसने करीब 20 मिनट की उड़ान भरी. इसके बाद केंद्र सरकार ने चौथा प्रोटोटाइप स्वीकृत किया.

HAL Light Combat Helicopter
पश्चिमी सीमा की वायु शक्ति में होगा इजाफा...

यूं बढ़ेगी एअरफोर्स की मारक क्षमता : जोधपुर एअरबेस पर अभी फाइटर जेट सुखोई की एक स्क्वाड्रन तैनात है. फलोदी एयरबेस पर एम-17 के अपग्रेडेड वर्जन के हेलीकॉप्टर की एक स्क्वाड्रन है. भारतीय सेना अमेरिका निर्मित अपाचे हेलीकॉप्टर को महत्व दे रही है. रूस निर्मित अटैक हेलीकॉप्टर एमआई-25 व एमआई-35 भी काम में ले रही है. इनकी क्षमता कम है. एयरफोर्स एमआई-25 को रिटायर्ड करने की तैयारी है, जबकि एमआई 35 को अपग्रेड करने की तैयारी है. अब एलसीएच शामिल होने से वायुसेना के पास एक उन्नत ऑप्शन उपलब्ध होगा. इस दो इंजन वाले एलसीएच में पायलट के अलावा एक गनर भी बैठ सकता है. इसका खाली वजन 2,250 किलोग्राम होता है. हथियार सहित यह 5,800 किलोग्राम वजन होता है. यह अधिकतम 268 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. इसकी रेंज 550 किलोमीटर तक की है.

पढ़ें : सीसीएस ने स्वदेशी एलसीए मार्क 2 लड़ाकू विमान परियोजना को मंजूरी दी

हर तरह से सक्षम है LCH : एलसीएच एक बार में 1750 किलोग्राम वजनी हथियार ले जा सकता है. इसमें 1430 हॉर्स पावर के दो इंजन होते हैं. इसमें एक 20 एमएम की गन होती है. इस गन से हवा से हवा में और हवा से जमीन पर हमला (Power of Indian Air Force) किया जा सकता है. यह चार हार्ड पांइट में 12 रॉकेट ले जा सकता है. साथ ही आठ एयर टू एयर मिसाइल व 16 एंटी टैंक मिसाइल ले जा सकता है. यह कलस्टर बम के अलावा अनगाइडेड बम भी गिरा सकता है. साथ ही इसमें बैठ रॉकेट लॉचर के जरिए ग्रेनेड हमला भी किया जा सकता है.

Last Updated : Oct 3, 2022, 12:05 PM IST
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