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जोधपुर में महिलाओं की सुरक्षा पर मंथन...सेफ्टी एनालिसिस रिपोर्ट जारी

जोधपुर में मंगलवार को सेफ्टीपिन और सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की साझा मेजबानी में परामर्श बैठक आयोजित की गई. जिसमें भविष्य में महिलाओं की सुरक्षा विषय को लेकर मंथन किया गया.

जोधपुर में महिलाओं की सुरक्षा पर मंथन...सेफ्टी एनालिसिस रिपोर्ट जारी
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Published : Aug 6, 2019, 10:02 PM IST

जोधपुर. जिले में मंगलवार को सेफ्टीपिन और सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की साझा मेजबानी में परामर्श बैठक आयोजित की गई. जिसमें भविष्य में महिलाओं की सुरक्षा पर मंथन किया गया. इस दौरान सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निर्देशक डॉ. रजना कुमारी ने बताया कि शहरों को स्मार्ट सिटी में लाने से पहले महिला सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी है. साथ ही बताया कि सेफ्टीपिन और सेंटर फॉर सोशल रिसर्च ने भोपाल, ग्वालियर और जोधपुर में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर शोध किया है.

जोधपुर में महिलाओं की सुरक्षा पर मंथन...सेफ्टी एनालिसिस रिपोर्ट जारी

पढ़ें- आर्टिकल 370 : प्रदेश में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट, गृह विभाग एसीएस ने कलेक्टर-एसपी से वीसी के जरिए जाने प्रदेश के हालात

वहीं सेफ्टीपिन संस्था की संस्थापक डॉ. कल्पना ने बताया कि भारतीय शहरों में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ी चिंता है. जिसे लेकर हमारे अध्ययन में यह पता चला है कि सर्वे में लगभग 95% महिलाएं सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते समय और 84% महिलाएं इंतजार करते वक्त खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती है. साथ ही उन्होंने बताया कि इससे पहले जोधपुर में राजस्थान पुलिस सेंटर में सेंटर फॉर सोशल रिसर्च द्वारा विशेष रूप से सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं और लड़कियों को अधिक प्रभावी उत्तरदाई पुलिसिंग प्रदान करने के लिए कार्यशाला भी आयोजित की गई थी.

यह भी पढ़ें : आर्टिकल-370 की सबसे बड़ी खुशी : राजा हरिसिंह के जमाने में श्रीनगर में थी हवेली, अब मोदी के फैसले से फिर लौटेगा कवि'राज' परिवार

इस बैठक में AIIMG के विनोद पालीवाल, संभली ट्रस्ट के गोविंद सिंह राठौड़ , ग्राविस की शशि त्यागी, जन चेतना की रिचा आदित्य, कैन कॉलेज की निर्देशक डॉ. कैलाश कौशिक और बिना भाटिया, पीजी महिला कॉलेज की प्राचार्य मनोरमा उपाध्याय, वीसीडी के साहित्यकार दिनेश जिंदल व पूर्णिमा जायसवाल, मीरा संस्थान की आशा सुशीला बोहरा सहित अनेक समाजशास्त्री और कई स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी निभाई.

जोधपुर. जिले में मंगलवार को सेफ्टीपिन और सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की साझा मेजबानी में परामर्श बैठक आयोजित की गई. जिसमें भविष्य में महिलाओं की सुरक्षा पर मंथन किया गया. इस दौरान सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निर्देशक डॉ. रजना कुमारी ने बताया कि शहरों को स्मार्ट सिटी में लाने से पहले महिला सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी है. साथ ही बताया कि सेफ्टीपिन और सेंटर फॉर सोशल रिसर्च ने भोपाल, ग्वालियर और जोधपुर में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर शोध किया है.

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वहीं सेफ्टीपिन संस्था की संस्थापक डॉ. कल्पना ने बताया कि भारतीय शहरों में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ी चिंता है. जिसे लेकर हमारे अध्ययन में यह पता चला है कि सर्वे में लगभग 95% महिलाएं सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते समय और 84% महिलाएं इंतजार करते वक्त खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती है. साथ ही उन्होंने बताया कि इससे पहले जोधपुर में राजस्थान पुलिस सेंटर में सेंटर फॉर सोशल रिसर्च द्वारा विशेष रूप से सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं और लड़कियों को अधिक प्रभावी उत्तरदाई पुलिसिंग प्रदान करने के लिए कार्यशाला भी आयोजित की गई थी.

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इस बैठक में AIIMG के विनोद पालीवाल, संभली ट्रस्ट के गोविंद सिंह राठौड़ , ग्राविस की शशि त्यागी, जन चेतना की रिचा आदित्य, कैन कॉलेज की निर्देशक डॉ. कैलाश कौशिक और बिना भाटिया, पीजी महिला कॉलेज की प्राचार्य मनोरमा उपाध्याय, वीसीडी के साहित्यकार दिनेश जिंदल व पूर्णिमा जायसवाल, मीरा संस्थान की आशा सुशीला बोहरा सहित अनेक समाजशास्त्री और कई स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी निभाई.

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Body:जोधपुर। सेफ्टीपिन और सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की साझा मेजबानी में आयोजित परामर्श बैठक का आयोजन आज ताज हरी होटल में किया गया । बैठक में भविष्य में महिलाओं की सुरक्षा पर चिंतन मंथन किया गया । इस दौरान सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निर्देशक डॉ रजना कुमारी ने बताया कि शहरों को स्मार्ट सिटी में लाने से पहले महिला सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी है । उन्होंने बताया कि सेफ्टी पिन और सेंटर फॉर सोशल रिसर्च 3 शहरों में शोध किया है । यह तीन शहर भोपाल, ग्वालियर में जोधपुर शहर है । इन शहरों में महिलाओं को सुरक्षित कैसे हो उसको लेकर के शोध किया गया । इस दौरान सेफ्टीपिन के संस्थापक डॉ कल्पना ने बताया कि भारतीय शहरों में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ी चिंता है । हमारे अध्ययन में यह पता चला है कि सर्वे में लगभग 95% महिलाएं सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते समय व 84% महिलाएं इंतजार करते वक्त अपने आप को असुरक्षित महसूस करती । लेकिन यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट में कमी बरकरार है। महिलाओं के बीच शिक्षा और काम के अवसरों बढ़ती तलाश को देखते हुए सुरक्षित सड़कों और सार्वजनिक स्थानों को बनाने के लिए एक समग्र राजनीति का होना बहुत आवश्यक है । इस बैठक में आज ए आई आई एम जी के विनोद पालीवाल ,संभली ट्रस्ट के गोविंद सिंह राठौड़ ,ग्राविस की शशि त्यागी, जन चेतना की रिचा ऒदित्य,कैन कॉलेज  की निर्देशक डॉ कैलाश कौशिक व बिना भाटिया, पीजी महिला कॉलेज की प्राचार्य मनोरमा उपाध्याय, वीसीडी के साहित्यकार दिनेश जिंदल व पूर्णिमा जयसवाल, मीरा संस्थान की आशा सुशीला बोहरा सहित अनेक समाजशास्त्री जनप्रतिनिधियों विभाग विभिन्न सामाजिक एवं स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी निभाई । साथ ही उन्होंने बताया कि इससे पहले इस वर्ष जोधपुर में राजस्थान पुलिस सेंटर में सेंटर फॉर सोशल रिसर्च द्वारा विशेष रूप से सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं और लड़कियों को अधिक प्रभावी उत्तरदाई पुलिसिंग प्रदान करने के लिए कार्यशाला आयोजित की गई थी । इस प्रक्रिया में सहायता के लिए एक पुलिस प्रशिक्षण नियमावली विकसित की है । जिसका उपयोग राज्य के प्रशिक्षण अकादमी के माध्यम से विभिन्न शहरों में पुलिस अधिकारियों को इस प्रक्रिया में जोड़ने के लिए किया जा सकेगा । साथ ही सेफ्टीपिन ने जोधपुर में इस अध्ययन का संचालन करने के लिए शहर में सड़कों और सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले कई तरह के मापदंडों के आधार पर आकलन सहित सुरक्षा शामिल था । इसके साथ ही महिलाओं उत्तर दाताओं भागीदारों का सर्वे एवं सार्वजनिक परिवहन प्रदाताओं के साथ समूह चर्चा भी की गयी । सार्वजनिक परिवहन एवं सार्वजनिक स्थलों पर महिला की सुरक्षा में सुधार के लिए इस पर सुविधाओं के साथ सुरक्षा विश्लेषण रिपोर्ट भी तैयार की गई । इस रिपोर्ट में प्रकाश व्यवस्था ,पैदल चलने के रास्ते, सार्वजनिक परिवहन की बुनियादी ढांचे में सुधार के संदर्भ में विशिष्ट क्षेत्रों में हस्तक्षेपो को सूचीबद्ध किया गया है ।


बाइट :- डा. रजना कुमारी निर्देशक सेंटर फॉर सोशल रिसर्च





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