जयपुर. कारगिल में शहीद हुए कैप्टन अमित भारद्वाज के बचपन से लेकर उनके सेना में जाने तक के सफर के बारे में ईटीवी भारत ने उनके माता-पिता से खास बातचीत की. शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज के पिता ओपी शर्मा ने बताया कि अमित जब 12वीं क्लास में पढ़ते थे तो उन्होंने 'गॉड फादर' नामक एक उपन्यास पढ़ा और वन मैन आर्मी बनने का संकल्प लिया.
शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज अपनी मन की बातों को एक डायरी में लिखा करते थे.जिसमें उन्होंने देश सेवा के लिए पुलिस या सेना में जाने की बात भी लिखी हुई है. अमित के पिता ने बताया कि अमित ने जो भी ठाना उसे पूरा जरूर किया. अमित ने अपनी डायरी में यह लिखा है कि आप जो भी काम जिस भी उद्देश्य के साथ करना चाहते हो उसे एक सीक्रेट रहने दो और किसी के भी सामने डिस्क्लोज मत करो.जब आप उस काम में सफलता प्राप्त कर लोगे तो वह सफलता अपने आप सब कुछ बयां कर देगी.
कमीशन प्राप्त कर चार जाट रेजीमेंट में नियुक्त हुए थे शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज
शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज के पिता ओपी शर्मा ने बताया कि 12वीं तक सेंट जेवियर स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने के बाद अमित ने राजस्थान कॉलेज से बीए किया. उसके बाद 1996 में सीडीएस का एग्जाम पास करने के बाद 1997 में कमीशन प्राप्त कर चार जाट रेजीमेंट में नियुक्त हुए. शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज ने सेना में जाने के बाद उसकी इन्फेंट्री ब्रांच को चुना. उनकी पहली पोस्टिंग पिथौरागढ़ में हुई और उसके बाद कमांडो ट्रेनिंग पूरा करने के बाद कारगिल के कागसर में उनकी पोस्टिंग हुई.
अनेक बार हुआ मौत से सामना और हर बार बढ़ा हौसला
शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज ने अपनी डायरी में ऐसी अनेक घटनाओं का जिक्र किया है जिसमें अनेक बार मौत से उनका सामना हुआ था. कमांडो ट्रेनिंग के दौरान उनका ट्रक खाई में गिरा जिसमें वह बाल-बाल बचे. वहीं काकसर में उनके पास एक फायर आकर गिरा जिसमें भी उनकी जान जाते-जाते बची. इसके साथ कई ऐसी घटनाओं का जिक्र कैप्टन अमित भारद्वाज ने अपनी डायरी में कर रखा है. इसके साथ ही अमित ने डायरी में लिखा हुआ है कि जितनी भी घटनाएं घटित हुई है उन तमाम घटनाओं से उनका हौसला और भी कहीं अधिक बढ़ा है.
शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज की बहन को दी शहादत की सूचना
शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज जब दुश्मनों से बजरंग चौकी पर लोहा लेते हुए शहीद हुए तो उसकी सूचना एक अधिकारी ने अमित की बड़ी बहन को दी. अमित ने अपने साथी अधिकारियों को यह कहा था कि यदि किसी भी तरह की कोई अनहोनी घटित होती है तो उसकी सूचना मेरी बहन को देना क्योंकि वह बहुत मजबूत है और वह सब कुछ संभाल लेगी. बता दें कि 56 दिन के बाद शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज का पार्थिव देह रिकवर किया गया था और फिर जयपुर लाया गया था.
भारत की डिमांड है कि युवा आर्मी जॉइन करें
शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज के पिता ओपी शर्मा ने कहा कि जब भी देश में कोई भी प्राकृतिक आपदा आती है तो सबसे पहले सेना को ही वहां पर भेजा जाता है. सेना ही बचाव और राहत कार्य चलाकर लोगों को सुरक्षित बाहर निकालती है. चाहे कश्मीर में बाढ़ आए, केदारनाथ त्रासदी की बात की जाए या फिर कहीं भी बोरवेल में कोई बच्चा गिर जाए तो सेना को ही मदद के लिए भेजा जाता है. ओपी शर्मा ने कहा कि भारत देश की डिमांड है कि युवा आर्मी जॉइन करें. इसके साथ ही ओपी शर्मा ने कहा कि आर्मी में सभी को सम्मान मिलना चाहिए. डिसएबल आर्मी पर्सन की पेंशन को टैक्स के दायरे में नहीं लाना चाहिए और सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.
बचपन में कहता था बड़ा आदमी बनूंगा : सुशीला शर्मा (अमित की माताजी)
शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज के बचपन के समय के बारे में जब उनकी माताजी सुशीला शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अमित बचपन से ही कहा करता था कि बड़ा आदमी बनूंगा. न्यूज में इंदिरा गांधी को देख कर अमित कहता कि मैं भी इंदिरा गांधी की तरह बनूंगा और इस पर उन्हें उनकी माताजी खूब पढ़ाई कर बड़ा आदमी बनने के लिए प्रेरित करतीं थी. 1 दिन एरोप्लेन को उड़ता देख अमित ने अपनी माताजी से कहा कि मैं भी एरोप्लेन उड़ाऊंगा. इस तरह से अमित के मन में बचपन से ही बड़ा बनने और देशप्रेम की भावना साफ देखी जा सकती थी.
मस्त मौला मिजाज के थे शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज
शहीद की माताजी सुशीला शर्मा ने बताया कि अमित बचपन से ही बड़े मस्त मिजाज के थे. वह दोस्तों के साथ मिलकर भी काफी मौज मस्ती करते और घूमने जाया करते थे. अमित की नॉलेज काफी बढ़िया थी. अमित की माताजी ने देश के उन तमाम नौजवानों को जो देश सेवा के लिए आर्मी में जाना चाहते हैं, उन्हें संदेश देते हुए कहा है कि एक मां का आशीर्वाद आप सब के साथ है. आप सभी प्रयत्न कीजिए और सफलता आपको अवश्य मिलेगी. देश पर जब भी कोई संकट आए तो आप पीछे ना हटे और दुश्मन को पीठ ना दिखाएं.