जयपुर. अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-4 ने भूमि के स्वामित्व से संबंधित फर्जी दस्तावेज बनाकर मुआवजे के तौर पर भूमि लेने के मामले में पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल सहित करीब पन्द्रह आरोपियों की रिवीजन अर्जी खारिज कर दी है. बता दें कि आरोपियों की ओर से गत 15 जुलाई को निचली अदालत द्वारा मामले में लिए गए प्रसंज्ञान को चुनौती दी गई थी.
रिवीजन में कहा गया कि राजस्व रिकॉर्ड में भूमि उनके नाम है. जिसे आधार मानकर ही राज्य सरकार ने भूमि अवाप्ति के बदले मुआवजे के तौर पर उन्हें पन्द्रह सौ वर्ग मीटर भूमि आवंटित की थी. परिवादी ने राजनीतिक द्वेषता के चलते उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया है. ऐसे में निचली अदालत की ओर से उनके खिलाफ लिए गए प्रसंज्ञान को रद्द किया जाए.
पढ़ेंः जम्मू-कश्मीर में राजस्थान के ट्रक ड्राइवर की हत्या आतंकवादियों की बौखलाहट : सतीश पूनिया
मामले के अनुसार संजय किशोर की ओर से वर्ष 2012 में परिवाद पेश कर कहा गया कि वर्ष 1953 में राज्य सरकार ने करीब 218 एकड भूमि सामूहिक कृषि कार्य के लिए किसान सामूहिक कृषि सहकारी समिति को 25 साल के लिए आवंटित की गई थी. वर्ष 1978 में यह अवधि स्वत: समाप्त हो गई. इस समिति के मूल सदस्यों को दरकिनार कर आरोपियों ने भूमि पर कब्जा जमा लिया.
वहीं जेडीए ने करधनी और पृथ्वीराज नगर योजना के लिए इस भूमि में से कुछ भूमि को अवाप्त किया. ऐसे में आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर भूमि पर स्वामित्व बताते हुए मुआवजे के तौर पर पन्द्रह सौ मीटर के भूखंड प्राप्त कर लिए. मामले में सुनवाई करते हुए अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-7 ने गत 15 जुलाई को कमला बेनीवाल सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में प्रसंज्ञान लिया गया था. जिसे आरोपियों की ओर से रिवीजन अर्जी दायर कर चुनौती दी गई थी.