जयपुर. साल 2017 में केंद्र सरकार की तरफ से लागू किए गए रेरा एक्ट के नियम और विनियमों को लेकर बुधवार को जेडीए परिसर में बैठक आयोजित हुई. जिसमें रेरा चेयरमैन एनसी गोयल ने जेडीए अधिकारियों को रेरा नियमों की जानकारी दी.
राजस्थान में रेरा एक्ट लागू होने से पहले आए दिन बिल्डर्स के आम जनता से धोखाधड़ी करने की घटनाएं सामने आती थीं. लेकिन, रेरा लागू होने के बाद आम जनता को बड़ी राहत मिली है. इसी एक्ट के नियम और विनियमन की जानकारी साझा करने के लिए आज रेरा चेयरमैन एनसी गोयल जेडीए पहुंचे. इस बैठक में जेडीसी और जेडीए सचिव के अलावा वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी जोन उपायुक्त, आयोजना और अभियांत्रिकी शाखा के वरिष्ठ अधिकारी भी जुड़ें.
इस दौरान एनसी गोयल ने रेरा के नियमों और विनियमों की मूलभूत जानकारी देते हुए बताया कि रेरा एक्ट 1 मई 2017 को केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया था. राज्य सरकार द्वारा 2017 में ही रेरा के नियम और विनियम बनाकर लागू किए गए. इस एक्ट के लागू होने के बाद बिल्डर्स की आम जनता से धोखाधड़ी करने की घटनाएं खत्म हो गईं. बिल्डर द्वारा रेरा रजिस्ट्रेशन के समय प्रस्तुत ब्रोशर के अनुरूप ही क्रेता को सुविधाएं उपलब्ध करवानी होंगी. ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाने की स्थिति में रेरा में संबंधित बिल्डर पर पेनल्टी का प्रावधान है. वहीं, विकासकर्ता द्वारा प्रोजेक्ट को समय पर पूरा नहीं करने की स्थिति में क्रेता द्वारा बुकिंग निरस्त करवाई जा सकती है.
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उन्होंने बताया कि, रेरा नियम के सेक्शन 12 के अनुसार रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ विकासकर्ता का वेबसाइट एड्रेस भी अंकित किया जाना अनिवार्य है. ऐसा नहीं करने पर पेनल्टी का प्रावधान है. वहीं, विकासकर्ता द्वारा प्रोजेक्ट की मासिक प्रगति रिपोर्ट रेरा में प्रस्तुत करना अनिवार्य है और प्रोजेक्ट में किसी भी प्रकार के परिवर्तन करने पर रजिस्ट्रेशन के साथ वेबसाइट पर अपलोड करना होगा.