ETV Bharat / city

राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएम केयर फंड के वेंटिलेटर निजी अस्पताल को किराये पर देने पर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएम केयर फंड से आए वेंटिलेटर्स को भरतपुर के एक निजी अस्पताल को किराये पर दिये जाने के मामले में सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार, मुख्य सचिव, प्रमुख चिकित्सा सचिव और भरतपुर कलेक्टर सहित निजी अस्पताल से जवाब मांगा है.

rajasthan highcourt,  pm cares fund ventilators
राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएम केयर फंड के वेंटिलेटर निजी अस्पताल को किराये पर देने पर मांगा जवाब
author img

By

Published : May 12, 2021, 7:53 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएम केयर फंड से आए वेंटिलेटर को निजी अस्पताल को किराये पर देने पर केन्द्र सरकार, मुख्य सचिव, प्रमुख चिकित्सा सचिव और भरतपुर कलेक्टर सहित निजी अस्पताल से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश विजय कुमार गोयल व अन्य की ओर जनहित याचिकाओं पर दिए.

पढे़ं: कोरोना वार्डों के सुचारु संचालन के लिए निजी अस्पतालों का क्यों नहीं किया अधिग्रहण: हाईकोर्ट

याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि पीएम केयर फंड से गत वर्ष भरतपुर में वेंटिलेटर भेजे गए थे. वहीं इनमें से दस वेंटिलेटर स्थानीय जिंदल हॉस्पिटल को दो हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किराये पर दिए गये हैं. भरतपुर का सरकारी आरबीएम अस्पताल मरीजों का निशुल्क इलाज कर रहा है. वहीं निजी अस्पताल संचालक मरीज से एक वेंटिलेटर के तीस से पैंतीस हजार रुपये प्रतिदिन वसूल रहा है. राज्य सरकार ने निजी अस्पताल पर वेंटिलेटर को लेकर अधिकतम राशि वसूल करने की लिमिट भी तय नहीं की है.

राजस्थान हाईकोर्ट

याचिका में कहा गया कि प्रकरण से जुड़ा समस्त रिकॉर्ड तलब कर निजी अस्पताल को वेंटिलेटर आवंटन का कारण पता किया जाना चाहिए और यदि मामला अवैध वसूली का पाया जाए तो दोषी अफसरों पर जिम्मेदारी तय की जानी चाहिये. इसके अलावा यदि अदालत निजी अस्पताल को वेंटिलेटर आवंटन सही मानती है तो मरीजों से वेंटिलेटर सुविधा के बदले ली जाने वाली अधिकतम राशि तय की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएम केयर फंड से आए वेंटिलेटर को निजी अस्पताल को किराये पर देने पर केन्द्र सरकार, मुख्य सचिव, प्रमुख चिकित्सा सचिव और भरतपुर कलेक्टर सहित निजी अस्पताल से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश विजय कुमार गोयल व अन्य की ओर जनहित याचिकाओं पर दिए.

पढे़ं: कोरोना वार्डों के सुचारु संचालन के लिए निजी अस्पतालों का क्यों नहीं किया अधिग्रहण: हाईकोर्ट

याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि पीएम केयर फंड से गत वर्ष भरतपुर में वेंटिलेटर भेजे गए थे. वहीं इनमें से दस वेंटिलेटर स्थानीय जिंदल हॉस्पिटल को दो हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किराये पर दिए गये हैं. भरतपुर का सरकारी आरबीएम अस्पताल मरीजों का निशुल्क इलाज कर रहा है. वहीं निजी अस्पताल संचालक मरीज से एक वेंटिलेटर के तीस से पैंतीस हजार रुपये प्रतिदिन वसूल रहा है. राज्य सरकार ने निजी अस्पताल पर वेंटिलेटर को लेकर अधिकतम राशि वसूल करने की लिमिट भी तय नहीं की है.

राजस्थान हाईकोर्ट

याचिका में कहा गया कि प्रकरण से जुड़ा समस्त रिकॉर्ड तलब कर निजी अस्पताल को वेंटिलेटर आवंटन का कारण पता किया जाना चाहिए और यदि मामला अवैध वसूली का पाया जाए तो दोषी अफसरों पर जिम्मेदारी तय की जानी चाहिये. इसके अलावा यदि अदालत निजी अस्पताल को वेंटिलेटर आवंटन सही मानती है तो मरीजों से वेंटिलेटर सुविधा के बदले ली जाने वाली अधिकतम राशि तय की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.