जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएम केयर फंड से आए वेंटिलेटर को निजी अस्पताल को किराये पर देने पर केन्द्र सरकार, मुख्य सचिव, प्रमुख चिकित्सा सचिव और भरतपुर कलेक्टर सहित निजी अस्पताल से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश विजय कुमार गोयल व अन्य की ओर जनहित याचिकाओं पर दिए.
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याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि पीएम केयर फंड से गत वर्ष भरतपुर में वेंटिलेटर भेजे गए थे. वहीं इनमें से दस वेंटिलेटर स्थानीय जिंदल हॉस्पिटल को दो हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किराये पर दिए गये हैं. भरतपुर का सरकारी आरबीएम अस्पताल मरीजों का निशुल्क इलाज कर रहा है. वहीं निजी अस्पताल संचालक मरीज से एक वेंटिलेटर के तीस से पैंतीस हजार रुपये प्रतिदिन वसूल रहा है. राज्य सरकार ने निजी अस्पताल पर वेंटिलेटर को लेकर अधिकतम राशि वसूल करने की लिमिट भी तय नहीं की है.
याचिका में कहा गया कि प्रकरण से जुड़ा समस्त रिकॉर्ड तलब कर निजी अस्पताल को वेंटिलेटर आवंटन का कारण पता किया जाना चाहिए और यदि मामला अवैध वसूली का पाया जाए तो दोषी अफसरों पर जिम्मेदारी तय की जानी चाहिये. इसके अलावा यदि अदालत निजी अस्पताल को वेंटिलेटर आवंटन सही मानती है तो मरीजों से वेंटिलेटर सुविधा के बदले ली जाने वाली अधिकतम राशि तय की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.