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राजस्थान हाईकोर्ट ने होमगार्ड को सेवा मुक्त करने पर मांगा जवाब

28 साल पहले हुई मारपीट के मुकदमे के आधार पर याचिकाकर्ता होमगार्ड को गत 17 दिसंबर को सेवा मुक्त करने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

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कोर्ट ने होमगार्ड को सेवा मुक्त करने पर मांगा जवाब
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Published : Apr 18, 2020, 9:18 PM IST

Updated : May 24, 2020, 5:38 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 28 साल पहले हुई मारपीट के मुकदमे के आधार पर याचिकाकर्ता होमगार्ड को गत 17 दिसंबर को सेवा मुक्त करने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने वर्ष 2020 की होमगार्ड भर्ती में 1 पद याचिकाकर्ता के लिए सुरक्षित रखने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गोड़ की एकलपीठ ने यह आदेश मुकुट बिहारी की ओर से दायर याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को वर्ष 1992 में मारपीट के मामले में अदालत ने दोष सिद्ध करते हुए परिवीक्षा का लाभ दिया था. इसके बाद उसे वर्ष 1994 में होमगार्ड के पद पर नियुक्ति दी गई. वहीं आपराधिक मामले में 1 साल की सजा का हवाला देते हुए उसे गत 17 दिसंबर को सेवा मुक्त कर दिया.

पढ़ेंः अजमेर: सफाईकर्मी और अन्य व्यवस्थाओं में लगे कार्मिकों की होगी जांच, वितरित की गई बचाव की दवाइयां

याचिका में कहा गया कि उसे अदालत में 1 साल की सजा नहीं सुनाई थी, बल्कि परिवीक्षा का लाभ देते हुए उस पर 400 रुपये का जुर्माना लगाया था. वहीं परिवीक्षा के 2 साल बाद उसे होमगार्ड लगाया गया. अब इतने पुराने मामले में गलत तथ्यों के आधार पर उसे हटाया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ता के लिए एक पद सुरक्षित रखने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 28 साल पहले हुई मारपीट के मुकदमे के आधार पर याचिकाकर्ता होमगार्ड को गत 17 दिसंबर को सेवा मुक्त करने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने वर्ष 2020 की होमगार्ड भर्ती में 1 पद याचिकाकर्ता के लिए सुरक्षित रखने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गोड़ की एकलपीठ ने यह आदेश मुकुट बिहारी की ओर से दायर याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को वर्ष 1992 में मारपीट के मामले में अदालत ने दोष सिद्ध करते हुए परिवीक्षा का लाभ दिया था. इसके बाद उसे वर्ष 1994 में होमगार्ड के पद पर नियुक्ति दी गई. वहीं आपराधिक मामले में 1 साल की सजा का हवाला देते हुए उसे गत 17 दिसंबर को सेवा मुक्त कर दिया.

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याचिका में कहा गया कि उसे अदालत में 1 साल की सजा नहीं सुनाई थी, बल्कि परिवीक्षा का लाभ देते हुए उस पर 400 रुपये का जुर्माना लगाया था. वहीं परिवीक्षा के 2 साल बाद उसे होमगार्ड लगाया गया. अब इतने पुराने मामले में गलत तथ्यों के आधार पर उसे हटाया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ता के लिए एक पद सुरक्षित रखने को कहा है.

Last Updated : May 24, 2020, 5:38 PM IST
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