जयपुर. देश भर में कोरोना कहर है और कोरोना के चलते देशभर की व्यवस्था गड़बड़ा गई है. इसका आसर ट्रांसपोर्ट पर भी देखने को मिला है. कोरोना वायरस के चलते पहले ही रेलवे प्रशासन कम संख्या में ट्रेनें संचालित कर रहा है, लेकिन वर्तमान में जो ट्रेन चल रही है, उनमें यात्री भार इन दिनों काफी अच्छा है. हर वर्ष नवरात्रि से दिवाली और उसके बाद छठ पूजा तक ट्रेनों में यात्रियों की जबरदस्त भीड़ रहती है. आम यात्रियों के लिए एक से दूसरे शहर तक पहुंचने का सबसे सुगम जरिया रेलवे ही है. कोरोना वायरस के चलते ट्रेनों का संचालन काफी कम संख्या में किया जा रहा है.
वर्तमान में देश भर में मात्र 310 ट्रेनें ही संचालित हो रही हैं. इनमें से 80 ट्रेनों का संचालन 12 सितंबर से शुरू किया गया है. इससे पहले मात्र 230 ट्रेनें ही देश भर में संचालित की जा रही थी. उत्तर-पश्चिम रेलवे में भी फिलहाल काफी कम संख्या में ट्रेनें चल रही है. सितंबर माह के पहले पखवाड़े में नीट जीईई मेंस और एनडीए परीक्षाओं के अभ्यार्थियों के लिए आधा दर्जन ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया था. रेलवे के आंकड़े दर्शाते हैं , कि ज्यादातर ट्रेनों में सभी 100 फीसदी सीटें फुल चल रही है. कई ट्रेनों में 100 फ़ीसदी से ज्यादा ऑक्युपेंसी होने से बाकी लोगों को वेटिंग में रहना पड़ रहा है.
हालांकि जो नई ट्रेनें शुरू की गई है, उनके रूट यात्रियों के लिए ज्यादा सुविधाजनक साबित नहीं हो रहे हैं. इससे यात्रियों के लिए परेशानी भी हो रही है. इसी वजह से जयपुर से प्रयागराज और जबलपुर के लिए शुरू हुई ट्रेनों में यात्री भार की कमी देखी जा रही है. इसके बजाय यदि वाराणसी के लिए मरुधर एक्सप्रेस, जम्मू तवी के लिए पूजा एक्सप्रेस आदि ट्रेनों को मंजूरी मिलती तो ट्रेनों में अच्छी भीड़ रहती और रेलवे प्रशासन को भी मुनाफा होता.
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इसके अलावा हाल ही में रेलवे प्रशासन ने परीक्षार्थियों की सुविधा के लिए जिन ट्रेनों का संचालन शुरू किया था, उन्हें भी काफी कम संख्या में यात्री गए हैं. हालांकि सभी परीक्षा स्पेशल ट्रेन अब खत्म हो गई है, लेकिन अब बड़ा सवाल यह है, कि जो ट्रेनें चल रही है वह फुल दौड़ रही है. अब नवरात्रि और दिवाली का सीजन भी शुरू हो गया है. ऐसे में मौजूदा ट्रेनों के बड़े शहरों से रेलवे प्रशासन यात्रियों को कैसे उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाएगा.