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प्रवासी मजदूरों के मामले में एएसजी का जवाब रिकॉर्ड पर लेने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के मामले में रजिस्ट्री को कहा है कि मामले में अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल की ओर से पेश जवाब को रिकॉर्ड पर लिया जाए. इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 21 मई को तय की है.

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राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला
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Published : May 15, 2020, 8:54 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के मामले में रजिस्ट्री को कहा है कि मामले में अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल की ओर से पेश जवाब को रिकॉर्ड पर लिया जाए. इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 21 मई को तय की है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. जिसके चलते मजदूर अपने स्तर पर घरों की ओर जा रहे हैं. रास्ते में हुई दुर्घटनाओं में कुछ मजदूर भी मारे गए हैं. इसके अलावा रेलवे की क्षमता रोजना दो करोड़ लोगों को ले जाने की है, लेकिन ट्रेनों का संचालन कम किया जा रहा है.

पढ़ेंः मंत्री मास्टर भंवरलाल को एयरलिफ्ट कर मेदांता अस्पताल में किया गया शिफ्ट

याचिका में कहा गया कि मजदूर बिना किसी साधन सैकड़ों किलोमीटर दूर तक पैदल ही जा रहे हैं. कई मजदूरों के साथ गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी साथ चल रहे हैं. इनके पास न तो भोजन आदि की व्यवस्था है और ना ही कोई आश्रय स्थल है.

वहीं केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उनकी ओर से मामले में जवाब पेश किया जा चुका है, लेकिन वह अभी तक रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया है. इस पर अदालत जवाब को रिकॉर्ड लेने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 21 मई को तय की है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के मामले में रजिस्ट्री को कहा है कि मामले में अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल की ओर से पेश जवाब को रिकॉर्ड पर लिया जाए. इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 21 मई को तय की है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. जिसके चलते मजदूर अपने स्तर पर घरों की ओर जा रहे हैं. रास्ते में हुई दुर्घटनाओं में कुछ मजदूर भी मारे गए हैं. इसके अलावा रेलवे की क्षमता रोजना दो करोड़ लोगों को ले जाने की है, लेकिन ट्रेनों का संचालन कम किया जा रहा है.

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याचिका में कहा गया कि मजदूर बिना किसी साधन सैकड़ों किलोमीटर दूर तक पैदल ही जा रहे हैं. कई मजदूरों के साथ गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी साथ चल रहे हैं. इनके पास न तो भोजन आदि की व्यवस्था है और ना ही कोई आश्रय स्थल है.

वहीं केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उनकी ओर से मामले में जवाब पेश किया जा चुका है, लेकिन वह अभी तक रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया है. इस पर अदालत जवाब को रिकॉर्ड लेने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 21 मई को तय की है.

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