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हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने के दिए आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के याचिका पर सुनवाई करते हुए राजकीय चिकित्सालय के अधीक्षक को मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा है. बता दें कि दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग है, पीड़िता ने गर्भपात की अनुमति मांगी थी. जिसपर कोर्ट ने यह आदेश दिया.

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Published : Oct 17, 2019, 11:04 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के चलते गर्भवती हुई नाबालिग का गर्भपात करने के लिए सीकर राजकीय चिकित्सालय के अधीक्षक को मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा है. अदालत ने कहा है कि मेडिकल बोर्ड पीड़िता का परीक्षण करे और एडवांस स्टेज को देखते हुए उसका गर्भपात करने का निर्णय ले. वहीं अदालत ने गर्भपात होने की स्थिति में भ्रूण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित भी रखने को कहा है.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के याचिका पर सुनवाई की

बता दें कि न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश पीड़िता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में अधिवक्ता राकेश कुमार सैनी ने अदालत को बताया कि उसके साथ हुए दुष्कर्म के चलते वह गर्भवती हो गई. वहीं उसने निचली अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर गर्भपात की अनुमति मांगी, लेकिन निचली अदालत ने 19 जुलाई को प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के गर्भपात के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा है.

यह भी पढे़ं.जयपुर : कंपनी से 85 लाख रुपए का सामान चोरी करने के मामले में सुपरवाइजर सहित 5 आरोपी गिरफ्तार

विधवा के साथ दुष्कर्म मामले में दस साल की सजा

वहीं जयपुर शहर की महिला उत्पीड़न एवं दहेज प्रकरण मामलों की विशेष दआलत ने क्रम-1 ने विधवा के साथ डरा धमकाकर दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त प्रकाश पारीक को दस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर छह हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

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दुष्कर्म मामले में दस साल की सजा

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि नाहरगढ़ थाना इलाका में रहने वाली विधवा को अभियुक्त ने 15 जून 2012 को परिजनों को जान से मारने की धमकी दी और उसके साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता की मां की रिपोर्ट पर पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के चलते गर्भवती हुई नाबालिग का गर्भपात करने के लिए सीकर राजकीय चिकित्सालय के अधीक्षक को मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा है. अदालत ने कहा है कि मेडिकल बोर्ड पीड़िता का परीक्षण करे और एडवांस स्टेज को देखते हुए उसका गर्भपात करने का निर्णय ले. वहीं अदालत ने गर्भपात होने की स्थिति में भ्रूण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित भी रखने को कहा है.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के याचिका पर सुनवाई की

बता दें कि न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश पीड़िता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में अधिवक्ता राकेश कुमार सैनी ने अदालत को बताया कि उसके साथ हुए दुष्कर्म के चलते वह गर्भवती हो गई. वहीं उसने निचली अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर गर्भपात की अनुमति मांगी, लेकिन निचली अदालत ने 19 जुलाई को प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के गर्भपात के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा है.

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विधवा के साथ दुष्कर्म मामले में दस साल की सजा

वहीं जयपुर शहर की महिला उत्पीड़न एवं दहेज प्रकरण मामलों की विशेष दआलत ने क्रम-1 ने विधवा के साथ डरा धमकाकर दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त प्रकाश पारीक को दस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर छह हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

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दुष्कर्म मामले में दस साल की सजा

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि नाहरगढ़ थाना इलाका में रहने वाली विधवा को अभियुक्त ने 15 जून 2012 को परिजनों को जान से मारने की धमकी दी और उसके साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता की मां की रिपोर्ट पर पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के चलते गर्भवती हुई नाबालिग का गर्भपात करने के लिए सीकर राजकीय चिकित्सालय के अधीक्षक को मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा है। अदालत ने कहा है कि मेडिकल बोर्ड पीडिता का परीक्षण करे और एडवांस स्टेज को देखते हुए उसका गर्भपात करने का निर्णय ले। अदालत ने गर्भपात होने की स्थिति में भू्रण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित भी रखने को कहा है।
Body:न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश पीडिता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता राकेश कुमार सैनी ने अदालत को बताया कि उसके साथ हुए दुष्कर्म के चलते वह गर्भवती हो गई। वहीं उसने निचली अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर गर्भपात की अनुमति मांगी, लेकिन निचली अदालत ने गत 19 जुलाई को प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के गर्भपात के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा है। Conclusion:
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