जयपुर. राजस्थान में सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर 2017 को राजस्थान में बिना रिप्लेनिशमेंट स्टडी और एनवायरमेंट क्लीयरेंस के नदियों में बजरी खनन पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी राजस्थान में अवैध बजरी खनन लगातार होता रहा है.
विधानसभा विपक्ष ने भी इस बात को सवाल के माध्यम से उठाया है और अब सरकार ने भी यह बात स्वीकार की है. यही कारण है कि बीते डेढ़ साल में अवैध खनन के 20,000 से ज्यादा मामले राजस्थान में सरकारी आंकड़ों में आए हैं. इसके बाद से प्रदेश में लगातार अवैध बजरी खनन की शिकायतें आना आम है.
बीते डेढ़ साल में प्रदेश में अवैध खनन के कई मामले सामने आए हैं. राज्य सरकार ने भी माना है कि प्रदेश में बीते करीब डेढ़ साल में अवैध बजरी खनन के 20397 प्रकरण विभिन्न जिलों के कलेक्टर ने बनाए हैं. अवैध बजरी खनन के मामले में अट्ठारह सौ बयासी एफ आई आर दर्ज कराई गई है और इस मामले में सरकार की ओर से अभी तक 118.98 करोड़ का जुर्माना अवैध बजरी खनन करने वालों से वसूला गया है. विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने यह आंकड़े दिए हैं.
इस जवाब में सरकार ने कहा है कि प्रदेश में सरकारी व निजी क्षेत्रों में भवनों, सड़कों एवं पुलिया का निर्माण कार्य चल रहा है, जिनमें उपयोग में आने वाली बजरी पैलियो चैनल्स एवं खातेदारी भूमि में स्वीकृत खनन पट्टों से ही आ रही है. सरकारी निर्माण कार्यों के लिए बजरी खनन के लिए राज्य सरकार द्वारा खातेदारी भूमि में एक हेक्टेयर क्षेत्रफल तक की अल्पावधि अनुमति पत्र भी जारी किए जा रहे हैं. इसके अलावा सरकारी निर्माण कार्यों में मैन्युफैक्चर सेंड और क्रेशर डस्ट का भी उपयोग हो रहा है.
सरकार भले ही अपने जवाब में यह बता रही हो कि प्रदेश में बीते करीब डेढ़ साल में 20,000 से ज्यादा मामले उन्होंने पकड़े हैं और 18000 से ज्यादा एफ आई आर दर्ज करवाई है. लेकिन हकीकत यह है कि यह तो वह मामले हैं जो सरकार ने दिखाए हैं. इसके अलावा लगातार अवैध खनन प्रदेश में बजरी का जारी है जिसके कोई आंकड़े किसी के पास नहीं है.