जयपुर. राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के लिए व्याख्याताओं और प्रधानाध्यापकों के अनुपात को लेकर अब खींचतान तेज होने लगी है. व्याख्याता जहां पहले से चल रहे अनुपात को बदलने की मांग कर रहे हैं. वहीं, प्रधानाध्यापक अनुपात को यथावत रखने की मांग कर रहे हैं. अपनी मांग को लेकर व्याख्याता 22 गोदाम पुलिया के पास धरना दे रहे हैं. शनिवार को धरनास्थल पर आठ व्याख्याता आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि अपनी मांग पूरी होने तक वे आंदोलन जारी रखेंगे.
रेसला के जालोर जिलाध्यक्ष धन्नाराम माली का कहना है कि प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के लिए संख्यात्मक अनुपात में बदलाव के लिए फाइल सभी विभागों से अप्रूव होकर यह मामला कैबिनेट बैठक में रखा जाना था, लेकिन पिछले दिनों हुई कैबिनेट बैठक से ठीक पहले यह मामला डेफर कर दिया गया. इससे व्याख्याताओं में रोष है.
उन्होंने बताया कि प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के लिए संख्यात्मक अनुपात जब तय किया गया था. तब प्रदेश में व्याख्याताओं की संख्या 23000 और प्रधानाध्यापकों की संख्या 9 हजार थी. इसलिए तब व्याख्याता और प्रधानाध्यापक का संख्यात्मक अनुपात 67:33 निर्धारित किया गया था, लेकिन अब प्रदेश में व्याख्याताओं के पद बढ़कर 54,514 हो गए हैं. जबकि प्रधानाध्यापकों की संख्या 9 हजार से घटकर 3500 रह गई है. ऐसे में 67:33 का अनुपात अब न्यायसंगत नहीं है. इसलिए रेसला इसमें बदलाव की मांग कर रहा है.
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उनका कहना है कि पिछले दिनों सरकार से हुई बातचीत के बाद यह अनुपात बदलकर 80:20 करने पर सहमति बनी थी. जिसे कैबिनेट बैठक में पारित कर नोटिफिकेशन जारी होना था, लेकिन पिछले दिनों हुई कैबिनेट बैठक से ठीक पहले उनका मामला डेफर कर दिया गया. इससे व्याख्याताओं में आक्रोश है और रेसला के बैनर तले आंदोलन किया जा रहा है. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती है। उनका आंदोलन जारी रहेगा.