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राजस्थान में तीसरे मोर्चे का भविष्य नहीं, फिर भी पायलट भर सकते हैं हुंकार! - Third front of pilot

बागी हुए सचिन पायलट की भाजपा में आने से इंकार के बाद अब थर्ड फ्रंट बनाने की चर्चा सियासी गलियारों में जारी है. लेकिन मौजूदा सियासत में थर्ड फ्रंट का कोई भविष्य भी है या नहीं, ये बड़ा सवाल बना हुआ है. क्योंकि इसके पहले भी कई नेताओं ने अपने बूते पर प्रदेश में तीसरे मोर्चे की हुंकार भरी थी, लेकिन एक समय के बाद उन्हें सफलता नहीं मिली.

Third front of pilot, Third Front in Rajasthan
पायलट की तीसरे मोर्चे से वापसी की चर्चा
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Published : Jul 16, 2020, 6:56 PM IST

Updated : Jul 16, 2020, 11:31 PM IST

जयपुर. प्रदेश कांग्रेस में चल रहे सियासी संग्राम के बीच सचिन पायलट के भाजपा में आने से इंकार करने पर अब उनके द्वारा थर्ड फ्रंट बनाने की सुगबुगाहट और चर्चा सियासी गलियारों में चल पड़ी है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि राजस्थान कि मौजूदा सियासत में थर्ड फ्रंट का कोई भविष्य भी है या नहीं.

पायलट की तीसरे मोर्चे से वापसी की चर्चा

प्रदेश का राजनीतिक इतिहास तो यही कहता है कि राजस्थान में थर्ड फ्रंट सक्सेस नहीं है. प्रदेश के राजनीतिक इतिहास को यदि देखा जाए तो ऐसे कई दिग्गज नेता हैं, जो अपने बूते प्रदेश में तीसरे मोर्चे की हुंकार भरते नजर आए. लेकिन कुछ ही समय बाद राजनीति में उन्हें सफलता नहीं मिली और अब कई नेता तो गुमनाम अंधेरे में ही खो गए.

पढ़ें- Rajasthan Political Update: सचिन पायलट की याचिका को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने डिविजन बेंच को किया रेफर

फिर चाहे बीजेपी के दिग्गज नेता और कई बार विधायक रहे देवी सिंह भाटी की पार्टी सामाजिक न्याय मंच हो या फिर घनश्याम तिवाड़ी का सियासी दल भारत वाहिनी और सांसद किरोड़ी लाल मीणा की नेशनल पीपल्स पार्टी मतलब राजपा. सामाजिक न्याय मंच कुछ खास नहीं कर पाया और दीनदयाल वाहिनी ने पिछले विधानसभा चुनाव के बाद स्वयं ही पार्टी खत्म करने का ऐलान कर दिया.

किरोड़ी लाल मीणा कुछ विधायकों के साथ विधानसभा तक पहुंचे लेकिन बाद में उन्हें भी समझ में आ गया राजस्थान में थर्ड फ्रंट का ज्यादा सुनहरा भविष्य नहीं है. जिसके बाद अब वो वापस भाजपा में शामिल होकर राज्यसभा के सांसद हैं. हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी राजस्थान में थोड़ा दम जरूर भर रही है और तीन विधायक भी वर्तमान में हैं. लेकिन अकेले के बलबूते आरएलपी भी कुछ नहीं कर सकती लिहाजा भाजपा से गठबंधन के सहारे ही राजस्थान की राजनीति में अब कमल का फूल खिलाने में जुटी हुई है.

पढ़ें- गहलोत के करीबी विधायक जोगिंदर अवाना को दी गई 'Y' श्रेणी की सुरक्षा...

हालांकि, सचिन पायलट का अगला कदम क्या होगा इस पर सबकी निगाहें हैं. सियासत के जानकार कहते हैं कि वे भी इन तमाम सियासी घटनाक्रमों को अच्छी तरह देख चुके हैं. लिहाजा कोई भी कदम उठाने से पहले वो अपने सियासी भविष्य का भी ध्यान रखेंगे. वहीं भाजपा इस पूरे मामले में अब भी वेट एंड वॉच की स्थिति में है, क्योंकि सचिन पायलट के अगले कदम के बाद ही भाजपा भी अपनी रणनीति तय करेगी.

जयपुर. प्रदेश कांग्रेस में चल रहे सियासी संग्राम के बीच सचिन पायलट के भाजपा में आने से इंकार करने पर अब उनके द्वारा थर्ड फ्रंट बनाने की सुगबुगाहट और चर्चा सियासी गलियारों में चल पड़ी है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि राजस्थान कि मौजूदा सियासत में थर्ड फ्रंट का कोई भविष्य भी है या नहीं.

पायलट की तीसरे मोर्चे से वापसी की चर्चा

प्रदेश का राजनीतिक इतिहास तो यही कहता है कि राजस्थान में थर्ड फ्रंट सक्सेस नहीं है. प्रदेश के राजनीतिक इतिहास को यदि देखा जाए तो ऐसे कई दिग्गज नेता हैं, जो अपने बूते प्रदेश में तीसरे मोर्चे की हुंकार भरते नजर आए. लेकिन कुछ ही समय बाद राजनीति में उन्हें सफलता नहीं मिली और अब कई नेता तो गुमनाम अंधेरे में ही खो गए.

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फिर चाहे बीजेपी के दिग्गज नेता और कई बार विधायक रहे देवी सिंह भाटी की पार्टी सामाजिक न्याय मंच हो या फिर घनश्याम तिवाड़ी का सियासी दल भारत वाहिनी और सांसद किरोड़ी लाल मीणा की नेशनल पीपल्स पार्टी मतलब राजपा. सामाजिक न्याय मंच कुछ खास नहीं कर पाया और दीनदयाल वाहिनी ने पिछले विधानसभा चुनाव के बाद स्वयं ही पार्टी खत्म करने का ऐलान कर दिया.

किरोड़ी लाल मीणा कुछ विधायकों के साथ विधानसभा तक पहुंचे लेकिन बाद में उन्हें भी समझ में आ गया राजस्थान में थर्ड फ्रंट का ज्यादा सुनहरा भविष्य नहीं है. जिसके बाद अब वो वापस भाजपा में शामिल होकर राज्यसभा के सांसद हैं. हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी राजस्थान में थोड़ा दम जरूर भर रही है और तीन विधायक भी वर्तमान में हैं. लेकिन अकेले के बलबूते आरएलपी भी कुछ नहीं कर सकती लिहाजा भाजपा से गठबंधन के सहारे ही राजस्थान की राजनीति में अब कमल का फूल खिलाने में जुटी हुई है.

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हालांकि, सचिन पायलट का अगला कदम क्या होगा इस पर सबकी निगाहें हैं. सियासत के जानकार कहते हैं कि वे भी इन तमाम सियासी घटनाक्रमों को अच्छी तरह देख चुके हैं. लिहाजा कोई भी कदम उठाने से पहले वो अपने सियासी भविष्य का भी ध्यान रखेंगे. वहीं भाजपा इस पूरे मामले में अब भी वेट एंड वॉच की स्थिति में है, क्योंकि सचिन पायलट के अगले कदम के बाद ही भाजपा भी अपनी रणनीति तय करेगी.

Last Updated : Jul 16, 2020, 11:31 PM IST
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