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जयपुर: एकाजल प्याऊ के विज्ञापन को लेकर स्वायत्त शासन विभाग ने नगर निगम प्रशासन से मांगा जवाब

एकाजल की प्याऊ पर लगाए जा रहे यूनीपोल से जयपुर के दोनों नगर निगमों को राजस्व का नुकसान हो रहा है, जिस पर संज्ञान लेते हुए अब स्वायत्त शासन विभाग ने निगम प्रशासन से जवाब-तलब करते हुए 4 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है. साथ ही प्याऊ पर लगाए जा रहे यूनीपोल को अवैध मानते हुए अंकुश लगाने के निर्देश दिए हैं.

Jaipur News, स्वायत्त शासन  विभाग,  Municipal Corporation
जयपुर में स्वायत्त शासन विभाग ने नगर निगम प्रशासन से मांगा जवाब
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Published : Jan 2, 2021, 12:57 AM IST

जयपुर. नगर निगम में अशोक लाहोटी के महापौर रहते हुए एकाजल प्याऊ की शुरुआत की गई थी. हालांकि, इसके बाद विष्णु लाटा के महापौर बनने पर उन्होंने राजस्व शाखा से प्याऊ पर अनुबंध के विपरीत लगने वाले यूनीपोल की रिपोर्ट मांगी, जिसमें ये स्पष्ट था कि निगम को करोड़ों का नुकसान हो रहा है. बावजूद इसके निगम और एकाजल के बीच अनुबंध को रद्द नहीं किया गया और अब आलम ये है कि एकाजल प्याऊ पर अवैध यूनीपोल लगाकर विज्ञापन के जरिए चौथ वसूली चल रही है, जिस पर संज्ञान लेते हुए अब स्वायत्त शासन विभाग ने दोनों निगमों से 7 दिन में 4 बिंदुओं पर रिपोर्ट तलब की है.

पढ़ें: कालवा में 53 मोरों की मौत पर हनुमान बेनीवाल ने जताया दुख, ट्वीट कर की जांच की मांग

डीएलबी डायरेक्ट ने साफ किया कि निगम और एकाजल के बीच जो अनुबंध हुआ है, उसके अनुसार अधिकतम 150 वर्ग फीट का विज्ञापन प्याऊ की दीवार पर ही लगाया जा सकता है. शर्तों में यूनीपोल लगाए जाने का प्रावधान ही नहीं है. दोनों नगर निगमों के अधिकारियों के अनुसार पहले भी कंपनी को नोटिस दिए जा चुके हैं. अब यूनीपोल हटाए जाएंगे.

जयपुर में स्वायत्त शासन विभाग ने नगर निगम प्रशासन से मांगा जवाब

पढ़ें: एवियन इनफ्लुएंजा : घना के हजारों पक्षियों के लिए घातक हो सकता है एवियन इनफ्लुएंजा...सरकार ने जारी की एडवाइजरी

बहरहाल, डीएलबी के निर्देश पर अब वाटर डिस्पेंसर यूनिट के विज्ञापन की साइज, स्पेसिफिकेशन और लोकेशन नगर निगम से अनुमोदन उपरांत लगाया जाना सुनिश्चित किया जाना है. साथ ही निगम को आर्थिक हानि ना हो, इसका भी ध्यान रखने के आदेश हैं. देखना होगा कि अब निगम और एकाजल के बीच हुए अनुबंध पर किस तरह का संशोधन किया जाता है.

जयपुर. नगर निगम में अशोक लाहोटी के महापौर रहते हुए एकाजल प्याऊ की शुरुआत की गई थी. हालांकि, इसके बाद विष्णु लाटा के महापौर बनने पर उन्होंने राजस्व शाखा से प्याऊ पर अनुबंध के विपरीत लगने वाले यूनीपोल की रिपोर्ट मांगी, जिसमें ये स्पष्ट था कि निगम को करोड़ों का नुकसान हो रहा है. बावजूद इसके निगम और एकाजल के बीच अनुबंध को रद्द नहीं किया गया और अब आलम ये है कि एकाजल प्याऊ पर अवैध यूनीपोल लगाकर विज्ञापन के जरिए चौथ वसूली चल रही है, जिस पर संज्ञान लेते हुए अब स्वायत्त शासन विभाग ने दोनों निगमों से 7 दिन में 4 बिंदुओं पर रिपोर्ट तलब की है.

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डीएलबी डायरेक्ट ने साफ किया कि निगम और एकाजल के बीच जो अनुबंध हुआ है, उसके अनुसार अधिकतम 150 वर्ग फीट का विज्ञापन प्याऊ की दीवार पर ही लगाया जा सकता है. शर्तों में यूनीपोल लगाए जाने का प्रावधान ही नहीं है. दोनों नगर निगमों के अधिकारियों के अनुसार पहले भी कंपनी को नोटिस दिए जा चुके हैं. अब यूनीपोल हटाए जाएंगे.

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बहरहाल, डीएलबी के निर्देश पर अब वाटर डिस्पेंसर यूनिट के विज्ञापन की साइज, स्पेसिफिकेशन और लोकेशन नगर निगम से अनुमोदन उपरांत लगाया जाना सुनिश्चित किया जाना है. साथ ही निगम को आर्थिक हानि ना हो, इसका भी ध्यान रखने के आदेश हैं. देखना होगा कि अब निगम और एकाजल के बीच हुए अनुबंध पर किस तरह का संशोधन किया जाता है.

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