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सरकार की ऐसी क्या मजबूरी जो भ्रष्ट लोगों को SP, DM, IG पद पर बैठाया है, कांग्रेस विधायक ने सदन में उठाया मुद्दा

अब तक लगातार मुख्यमंत्री को लिखे जा रहे पत्रों के माध्यम से भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहे कांग्रेस के विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने बुधवार को विधानसभा में भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार के जीरो टॉलरेंस के तहत बर्खास्त निरीक्षक को गृह विभाग के नौकरी पर वापस लगा देने का सवाल उठाया.

राजस्थान कांग्रेस सीपी जोशी भरत सिंह कुंदनपुर, jaipur news
कांग्रेस के विधायक भरत सिंह कुंदनपुर
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Published : Mar 3, 2021, 1:51 PM IST

जयपुर. अब तक लगातार मुख्यमंत्री को लिखे जा रहे पत्रों के माध्यम से भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहे कांग्रेस के विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने बुधवार को विधानसभा में भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार के जीरो टॉलरेंस के तहत बर्खास्त निरीक्षक को गृह विभाग के नौकरी पर वापस लगा देने का सवाल उठाया. इस सवाल के जवाब में मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि साल 2019 और 2020 में राज्य सरकार ने अपने बजट घोषणा में जीरो टॉलरेंस के बाबत बात कही थी. पुलिस निरीक्षक एवं अन्य के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गए अभियोग में अनुसंधान से आरोप प्रमाणित पाए जाने पर इनके विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है.

सदन में गूंजा भ्रष्टाचार का मुद्दा...

वर्तमान में यह प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है. पुलिस निरीक्षक का आचरण लोक सेवक की ही अपेक्षा में अनुपयुक्त और अशोभनीय पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त किया गया था. इस आदेश के खिलाफ निरीक्षक ने गृह विभाग को अपील प्रस्तुत की, जिसे स्वीकार कर उन्हें बर्खास्त करने के आदेश को अपास्त किया गया. अनुशासनिक अधिकारी की ओर से पुलिस निरीक्षक को सेवा में वापस नहीं लिया गया और उक्त अपील आदेश के खिलाफ वर्तमान में राजस्थान सिविल सेवा में वर्गीकरण निरंतर अपील नियम 1958 के नियम 34 के तहत राज्यपाल के समक्ष पुनरावलोकन याचिका पेश की गई है, जो विचाराधीन है.

पढ़ें: विधायक बोले- मैंने सदन में मुद्द उठाया था, मंत्री ने कहा...पता नहीं, स्पीकर ने लगाई फटकार

इस जवाब के बाद विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा कि कोरोना काल में जब अपराधों में कमी आई, लेकिन पूरे प्रदेश में उस समय भ्रष्टाचार के केसों में कोई कमी नहीं आई. उन्होंने कहा, जिस संभाग मैं और मंत्री शांति धारीवाल आते हैं. 7 महीने में 32 केस भ्रष्टाचार के केस पकड़े गए. मुझे सरकार की जीरो टॉलरेंस की मंशा पर कोई सवाल नहीं है, लेकिन सरकार की क्या मजबूरी है कि जिन अधिकारियों का ट्रैक रिकॉर्ड भ्रष्ट है. उनको एसपी ,कलेक्टर और आईजी पदों पर लगाया जाता है और वह पुनः भ्रष्टाचार में पकड़े जाने पर जेल में जाते हैं. बारां, दोसा और उदयपुर के अधिकारियों के बारे में जानकारी दें. इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि जिस के संबंध में आपने प्रश्न किया है, उस निरीक्षक के बारे में पूछें. प्रश्नकाल केवल एक स्पेसिफिक सवाल के लिए होता है, यह जनरल डिबेट का नहीं होता है. प्रश्नकाल किसी एक घटना की जानकारी के लिए है, जनरल पॉलिसी के लिए नहीं है. आपका जो इशू है इसे आप दूसरे तरीके से लेकर आए, तो मैं आपको अनुमति दूंगा. इस प्रश्न में केवल आप निरीक्षक के बारे में कुछ पूछना चाहते हैं तो पूछे.

जयपुर. अब तक लगातार मुख्यमंत्री को लिखे जा रहे पत्रों के माध्यम से भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहे कांग्रेस के विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने बुधवार को विधानसभा में भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार के जीरो टॉलरेंस के तहत बर्खास्त निरीक्षक को गृह विभाग के नौकरी पर वापस लगा देने का सवाल उठाया. इस सवाल के जवाब में मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि साल 2019 और 2020 में राज्य सरकार ने अपने बजट घोषणा में जीरो टॉलरेंस के बाबत बात कही थी. पुलिस निरीक्षक एवं अन्य के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गए अभियोग में अनुसंधान से आरोप प्रमाणित पाए जाने पर इनके विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है.

सदन में गूंजा भ्रष्टाचार का मुद्दा...

वर्तमान में यह प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है. पुलिस निरीक्षक का आचरण लोक सेवक की ही अपेक्षा में अनुपयुक्त और अशोभनीय पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त किया गया था. इस आदेश के खिलाफ निरीक्षक ने गृह विभाग को अपील प्रस्तुत की, जिसे स्वीकार कर उन्हें बर्खास्त करने के आदेश को अपास्त किया गया. अनुशासनिक अधिकारी की ओर से पुलिस निरीक्षक को सेवा में वापस नहीं लिया गया और उक्त अपील आदेश के खिलाफ वर्तमान में राजस्थान सिविल सेवा में वर्गीकरण निरंतर अपील नियम 1958 के नियम 34 के तहत राज्यपाल के समक्ष पुनरावलोकन याचिका पेश की गई है, जो विचाराधीन है.

पढ़ें: विधायक बोले- मैंने सदन में मुद्द उठाया था, मंत्री ने कहा...पता नहीं, स्पीकर ने लगाई फटकार

इस जवाब के बाद विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा कि कोरोना काल में जब अपराधों में कमी आई, लेकिन पूरे प्रदेश में उस समय भ्रष्टाचार के केसों में कोई कमी नहीं आई. उन्होंने कहा, जिस संभाग मैं और मंत्री शांति धारीवाल आते हैं. 7 महीने में 32 केस भ्रष्टाचार के केस पकड़े गए. मुझे सरकार की जीरो टॉलरेंस की मंशा पर कोई सवाल नहीं है, लेकिन सरकार की क्या मजबूरी है कि जिन अधिकारियों का ट्रैक रिकॉर्ड भ्रष्ट है. उनको एसपी ,कलेक्टर और आईजी पदों पर लगाया जाता है और वह पुनः भ्रष्टाचार में पकड़े जाने पर जेल में जाते हैं. बारां, दोसा और उदयपुर के अधिकारियों के बारे में जानकारी दें. इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि जिस के संबंध में आपने प्रश्न किया है, उस निरीक्षक के बारे में पूछें. प्रश्नकाल केवल एक स्पेसिफिक सवाल के लिए होता है, यह जनरल डिबेट का नहीं होता है. प्रश्नकाल किसी एक घटना की जानकारी के लिए है, जनरल पॉलिसी के लिए नहीं है. आपका जो इशू है इसे आप दूसरे तरीके से लेकर आए, तो मैं आपको अनुमति दूंगा. इस प्रश्न में केवल आप निरीक्षक के बारे में कुछ पूछना चाहते हैं तो पूछे.

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