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जयपुर: खान व निर्माण विभाग के ठेकों में बकाया राशि के लिए एमनेस्टी योजना को मंजूरी… - एमनेस्टी योजना की सीएम ने दी मंजूरी

जयपुर में शनिवार को सीएम ने अल्पावधि अनुमति पत्र के बकाया प्रकरणों व निर्माण विभाग के ठेकेदारों की बकाया राशि के लिए एमनेस्टी स्कीम लाने को मंजूरी दी है. वहीं यह योजना जारी किए जाने की तिथि से तीन महीने तक प्रभावी रहेगी.

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एमनेस्टी योजना की सीएम ने दी मंजूरी
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Published : Sep 12, 2020, 10:41 PM IST

जयपुर: प्रदेश के मुख्यमंत्री गहलोत ने खान विभाग में डेडरेंट, रॉयल्टी, शास्ति, रॉयल्टी वसूली ठेकों और अल्पावधि अनुमति पत्र के बकाया प्रकरणों व निर्माण विभाग के ठेकेदारों की बकाया राशि के लिए एमनेस्टी स्कीम लाने को मंजूरी दी है. यह योजना जारी किए जाने की तिथि से तीन महीने तक प्रभावी रहेगी. इस योजना का लाभ प्रशासनिक विभाग की ओर से बकायादाराें को देने के लिए समुचित प्रयास करने के साथ ही न्यूनतम 90 प्रतिशत बकाया राशि की वसूली किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा.

वहीं स्थिरभाटक, अधिशुल्क, अधिक अधिशुल्क, शास्ति, आरसीसी और ईआरसी ठेकों की बकाया, एसटीपी व निर्माण विभाग के ठेकेदारों की बकाया और अन्य विभागीय बकाया के प्रकरणों पर यह योजना लागू होगी. वहीं 31 प्रधान खनिज जिन्हें भारत सरकार की 10 फरवरी 2015 की अधिसूचना से अप्रधान खनिज घोषित किया गया है. उस प्रकरणों में इस तिथि से पूर्व की बकाया पर यह योजना लागू नहीं होगी.

न्यायालय से वाद वापस लिए जाने वाले प्रकरणों में भी मिल सकेगा लाभ

इस योजना में वे प्रकरण शामिल होंगे जिनमें खनन पट्टों और ठेकों की बकाया व अन्य बकाया, एसटीपी एवं निर्माण विभाग के ठेकेदारों की बकाया को लेकर मांग के आदेश 31 मार्च 2019 तक जारी हो चुके हैं. योजना में ऐसे प्रकरणों पर भी विचार किया जा सकेगा. जिनमें बकायादार ने न्यायालय से अपना वाद वापस ले लिया हो और इस आशय की अंडरटेकिंग प्रस्तुत करें, कि वह इस योजना के तहत निस्तारित प्रकरणों की बकाया के संबंध में किसी न्यायालय में चुनौती नहीं देग.

योजना आदेश जारी होने की तिथि के बाद शेष बकाया पर ही लागू…

योजना का लाभ उन्हीं बकायादारों को देय होगा जिनके द्वारा जमा करवाई जाने वाली राशि योजना के लागू होने की तिथि से प्रभावी रहने तक जमा करवा दी जाएगी. वहीं पहले जमा करवाई गई राशि उस समय के दायित्वों के अधीन मानी जाएगी जिसका समायोजन योजना में नहीं होगा. अगर किसी बकायादार ने पहले ही समस्त बकाया स्थिरभाटक, अधिशुल्क, अधिक अधिशुल्क अथवा अन्य बकाया की मूल राशि जमा करवा दी है, और केवल ब्याज शेष है तो ब्याज राशि संबंधित खनिज अभियंता या सहायक खनिज अभियंता द्वारा माफ की जा सकेगी.

पढ़ें: चूरूः करोड़ों खर्च के बाद भी खेल स्टेडियम बेहाल, जिला कलेक्टर ने किया निरीक्षण

किस अवधि के प्रकरणों में कितनी राशि जमा करानी होगी..

प्रकरणों का निस्तारण संबंधित खनिज अभियंता या सहायक खनिज अभियंता की ओर से किया जाएगा. इसके लिए निर्धारित प्रारूप में जमा करवाई गई राशि, माफ की गई मूल और ब्याज राशि का विवरण अंकित किया जाएगा. जिसमें खनन पट्टा व ईंट भट्टा परमिट के 31 मार्च 1980 तक के बकाया के प्रकरणों में मूल बकाया का 10 प्रतिशत, 1 अप्रैल 1980 से 31 मार्च 1990 तक के प्रकरणों में 20 प्रतिशत, 1 अप्रैल 1990 से 31 मार्च 2000 तक के प्रकरणों में 30 प्रतिशत, 1 अप्रैल 2000 से 31 मार्च 2010 तक के प्रकरणों में 50 प्रतिशत तथा 1 अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2019 तक के प्रकरणों में मूल बकाया का 70 प्रतिशत राशि जमा करवानी होगी तभी शेष मूल राशि और संपूर्ण ब्याज राशि माफी योग्य होगी.

जयपुर: प्रदेश के मुख्यमंत्री गहलोत ने खान विभाग में डेडरेंट, रॉयल्टी, शास्ति, रॉयल्टी वसूली ठेकों और अल्पावधि अनुमति पत्र के बकाया प्रकरणों व निर्माण विभाग के ठेकेदारों की बकाया राशि के लिए एमनेस्टी स्कीम लाने को मंजूरी दी है. यह योजना जारी किए जाने की तिथि से तीन महीने तक प्रभावी रहेगी. इस योजना का लाभ प्रशासनिक विभाग की ओर से बकायादाराें को देने के लिए समुचित प्रयास करने के साथ ही न्यूनतम 90 प्रतिशत बकाया राशि की वसूली किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा.

वहीं स्थिरभाटक, अधिशुल्क, अधिक अधिशुल्क, शास्ति, आरसीसी और ईआरसी ठेकों की बकाया, एसटीपी व निर्माण विभाग के ठेकेदारों की बकाया और अन्य विभागीय बकाया के प्रकरणों पर यह योजना लागू होगी. वहीं 31 प्रधान खनिज जिन्हें भारत सरकार की 10 फरवरी 2015 की अधिसूचना से अप्रधान खनिज घोषित किया गया है. उस प्रकरणों में इस तिथि से पूर्व की बकाया पर यह योजना लागू नहीं होगी.

न्यायालय से वाद वापस लिए जाने वाले प्रकरणों में भी मिल सकेगा लाभ

इस योजना में वे प्रकरण शामिल होंगे जिनमें खनन पट्टों और ठेकों की बकाया व अन्य बकाया, एसटीपी एवं निर्माण विभाग के ठेकेदारों की बकाया को लेकर मांग के आदेश 31 मार्च 2019 तक जारी हो चुके हैं. योजना में ऐसे प्रकरणों पर भी विचार किया जा सकेगा. जिनमें बकायादार ने न्यायालय से अपना वाद वापस ले लिया हो और इस आशय की अंडरटेकिंग प्रस्तुत करें, कि वह इस योजना के तहत निस्तारित प्रकरणों की बकाया के संबंध में किसी न्यायालय में चुनौती नहीं देग.

योजना आदेश जारी होने की तिथि के बाद शेष बकाया पर ही लागू…

योजना का लाभ उन्हीं बकायादारों को देय होगा जिनके द्वारा जमा करवाई जाने वाली राशि योजना के लागू होने की तिथि से प्रभावी रहने तक जमा करवा दी जाएगी. वहीं पहले जमा करवाई गई राशि उस समय के दायित्वों के अधीन मानी जाएगी जिसका समायोजन योजना में नहीं होगा. अगर किसी बकायादार ने पहले ही समस्त बकाया स्थिरभाटक, अधिशुल्क, अधिक अधिशुल्क अथवा अन्य बकाया की मूल राशि जमा करवा दी है, और केवल ब्याज शेष है तो ब्याज राशि संबंधित खनिज अभियंता या सहायक खनिज अभियंता द्वारा माफ की जा सकेगी.

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किस अवधि के प्रकरणों में कितनी राशि जमा करानी होगी..

प्रकरणों का निस्तारण संबंधित खनिज अभियंता या सहायक खनिज अभियंता की ओर से किया जाएगा. इसके लिए निर्धारित प्रारूप में जमा करवाई गई राशि, माफ की गई मूल और ब्याज राशि का विवरण अंकित किया जाएगा. जिसमें खनन पट्टा व ईंट भट्टा परमिट के 31 मार्च 1980 तक के बकाया के प्रकरणों में मूल बकाया का 10 प्रतिशत, 1 अप्रैल 1980 से 31 मार्च 1990 तक के प्रकरणों में 20 प्रतिशत, 1 अप्रैल 1990 से 31 मार्च 2000 तक के प्रकरणों में 30 प्रतिशत, 1 अप्रैल 2000 से 31 मार्च 2010 तक के प्रकरणों में 50 प्रतिशत तथा 1 अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2019 तक के प्रकरणों में मूल बकाया का 70 प्रतिशत राशि जमा करवानी होगी तभी शेष मूल राशि और संपूर्ण ब्याज राशि माफी योग्य होगी.

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