जयपुर. प्रदेश में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की बात करें तो इनमें तीन सीट सामान्य और एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. पूरे चुनाव में दोनों दलों के लिए परिवारवाद सबसे बड़ी चुनौती रहने वाला है. मौजूदा अशोक गहलोत सरकार के लिए रिपोर्ट कार्ड के तौर पर इन सीटों के नतीजे तय करेंगे. वहीं, आंतरिक मतभेदों से जूझ रही बीजेपी के लिए मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की मजबूती इन चुनावों के परिणाम तय करेंगे. तीन सीटों पर पहले कांग्रेस काबिज थी तो एक सीट राजसमंद पर बीजेपी का कब्जा था.
राजसमंद सीट...
राजसमंद सीट पूर्व मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता किरण माहेश्वरी के निधन से खाली हुई. माहेश्वरी उदयपुर से सांसद रहीं और बाद में राजसमंद से दो बार विधायक रहीं. बीजेपी और प्रदेश में जाना-पहचाना चेहरा था. यहां उनका परिवार दावेदारी में है और चुनावी माहौल तैयार होने लगा है. किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति माहेश्वरी क्षेत्र में लगातार एक्विट नजर आ रही हैं.
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इतना ही नहीं, बीजेपी कार्यकर्ता और जन प्रतिनिधियों ने आलाकमान को यह तक भरोसा दिलाया है कि अगर पार्टी दीप्ति को प्रत्याशी बनाती है तो यह सीट वो बीजेपी की झोली में डाल देंगे. वहीं, तीन अलग-अलग प्रत्याशी मैदान में दावेदारी को लेकर ताल ठोक रहे हैं. पूर्व सांसद हरिओम सिंह राठौड़ के पुत्र भी मैदान में हैं. ऐसे में बीजेपी में टिकट तय करना विवाद का विषय रहेगा.
वहीं, सत्ताधारी कांग्रेस की भी यहां पैनी नजर है. बीजेपी की परंपरागत सीट पर सेंध के लिए मुख्यमंत्री से लेकर संगठन तक का जोर है. मौजूदा सांसद दीया कुमारी की रायशुमारी यहां अहम रहने वाली है. माहेश्वरी इस सीट से 20 हजार से ज्यादा अंतर से जीतकर आई थीं, लेकिन उनके निधन के बाद अब यहां मुकाबला काफी रोचक रहने वाला है. यहां बीजेपी की तरफ से जोर-आजमाइश का दौर शुरू हो गया है तो कांग्रेस का प्रत्याशी विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की राय पर तय होगा.