कोटपुतली (जयपुर). एक तरफ जहां देश व प्रदेश में कोरोना महामारी ने कहर बरपा रखा है. आए दिन जिस प्रकार से कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है, उससे ऐसा लग रहा है कि अब सब कुछ धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर्स के भरोसे है. जिस प्रकार से मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ रही है और मौतें हो रही हैं. उससे निपटने के लिए अस्पताल और डॉक्टर दोनों की भूमिका अहम हो जाती है, लेकिन लचर व्यवस्था के चलते जब हॉस्पिटल ही संक्रमित हों तो क्या कहेंगे.
जयपुर ग्रामीण के सबसे बड़े बीडीएम अस्पताल की कुछ ऐसी ही तस्वीरें सामने आई हैं, जो लचर व्यवस्था का जीता जागता उदाहरण हैं. जो कहने को तो जिला स्तरीय अस्पताल की श्रेणी में आता है, लेकिन व्यवस्थाओं के नाम पर जीरो साबित हो रहा है. जहां एक ओर आए दिन सुनने को मिलता है कि ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं. वहीं कोटपूतली के बीडीएम अस्पताल में कुछ विपरीत नजर आ रहा है. जिला स्तरीय अस्पताल होने के कारण केंद्र सरकार की ओर से यहां 17 वेंटिलेटर उपलब्ध करवाए गए थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के ढुलमुल रवैया के कारण वह सभी वेंटिलेटर आज भी डब्बों में बंद पड़े हैं. जिसके कारण यह कहा जा सकता है कि या तो अस्पताल किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहा है, या अस्पताल में संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है. जिसके लिए चिकित्सा विभाग ही जिम्मेदार है.
सरकार ने लाखों रुपए खर्च करके वेंटिलेटर मुहैया कराए, लेकिन चिकित्सा विभाग की लापरवाही से वह बंद पड़े हैं. ऐसे में गंभीर मरीज वेंटिलेटर के अभाव में आए दिन जान गवां रहे हैं. कोरोना महामारी के बीच गंभीर मरीजों की तबीयत खराब होने पर उसे अस्पताल से जयपुर रेफर किया जा रहा है. कोटपूतली क्षेत्र में करीब डेढ़ दर्जन कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत भी हो चुकी है. इसके बावजूद जिला अस्पताल में करीब 60 लाख रुपए के वेंटिलेटर डिब्बों में रखे हुए हैं. जबकि इनका उपयोग किसी भी मरीज का जीवन बचाने में उपयोगी साबित हो सकता है. कोरोना महामारी के उफान के बीच गत वर्ष अगस्त माह में राजकीय बीडीएम अस्पताल में 17 वेंटिलेटर नए आए थे, लेकिन इंस्टॉल स्टाफ व स्टाफ के अभाव में सभी वेंटिलेटर 8 माह से डिब्बों में बंद अनुपयोगी साबित हो रहे हैं. यह हालत तब है जब इस कोरोना आपदा के समय क्षेत्र में त्राहि-त्राहि मची हुई है.
डिब्बा में बंद वेंटिलेटर के बारे में छानबीन की गई तो पता चला कि उक्त सभी वेंटिलेटर केंद्र सरकार की ओर से भिजवाए गए थे और उनके इंस्टॉल की जिम्मेदारी भी उन्हीं की थी. अस्पताल प्रशासन ने कई बार पत्र लिखा, लेकिन आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया. वेंटिलेटर के अलावा उसके संचालन के लिए बेड सहित अन्य जरूरी संसाधनों के अलावा अनुभवी स्टाफ की भी आवश्यकता है. गौरतलब है कि क्षेत्र में कोरोना संक्रमण का फैलाव लगातार बढ़ रहा है. रोजाना बड़ी संख्या में संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. इसी को देखते हुए देखा जा रहा है कि विभाग की आंखें कब खुलेंगी.