भरतपुर. जिले में बाल मजदूरी, बाल विवाह और बच्चों के शोषण के खिलाफ होने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए जुवेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन एक्ट 2000 और राजस्थान सरकार के अभियान ''आवाज'' के तहत जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बुधवार को संगोष्ठी हुई, जिसमें 16 थानों के थाना प्रभारी व सीओ ने भाग लिया. बच्चों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था आंगन के पदाधिकारियों ने भी भाग लेकर तय किया कि बच्चों के शोषण को किस तरह से रोका जा सकता है और उसमें पुलिस विभाग की अहम भूमिका होती है.
जिला पुलिस अधीक्षक डॉ. अमनदीप सिंह ने बताया कि जुवेनाइल जस्टिस की मीटिंग हुई है, जिसमें 16 ऐसे थाना प्रभारियों को बुलाया गया है, जिनके इलाके में बच्चों पर ज्यादा शोषण के मामले सामने आते है. बच्चों पर होने वाले शोषण को रोकने, बाल मजदूरी रोकने व बाल विवाह रोकने के लिए किस तरह काम किया जा सकता है. इसके बारे में जानकारी प्रदान की गई है. अभी कोरोना थमने के बाद बाल विवाह के मामले सामने आ सकते हैं, इसलिए इनको रोकने पर ध्यान देना होगा. इसके अलावा छोटे बड़े कारखानों में बाल मजदूरी होती है, इसलिए बाल मजदूरी से बच्चों को मुक्त कर उनको शिक्षा से जोड़ने पर ध्यान देना होगा.
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दरअसल, प्रदेश सरकार के आवाज व जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत हर जिले में जिला पुलिस प्रशासन द्वारा कार्रवाई कर बच्चों के शोषण को रोकने, बाल मजदूरी और वेश्यावृत्ति जैसे कामों से मुक्त कराकर शिक्षा से जोड़ने का काम किया जा रहा है.