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केंद्रीय कारागार में बने मास्क, फिनाइल और सैनिटाइजर को अलवर के लोग कर रहे हैं पसंद

अलवर के केंद्रीय कारागार में बने हुए मास्क, सैनिटाइजर और फिनाइल को अलवर के लोग खासा पसंद कर रहे हैं. सुबह शाम सामान लेने के लिए लोगों की कतार लगी रहती है. इससे जेल प्रशासन को भी फायदा पहुंच रहा है. डिमांड इतनी ज्यादा है कि रात दिन काम करने के बाद भी बंदी डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं.

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केंद्रीय कारागार में बने मास्क
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Published : Apr 15, 2020, 8:54 AM IST

अलवर. कोरोना वायरस के बढ़ रहे प्रभाव को देखते हुए लोग मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करने लगे हैं. बाजार में हो रही कालाबाजारी के चलते सरकार की तरफ से सरकारी कंपनियों से सैनिटाइजर बनवाए जा रहे हैं. तो वहीं आम लोग और सामाजिक संस्थाएं भी घरों में मास्क बनाने के काम में लगे हैं. ऐसे में अलवर जेल के बंदी भी मास्क बना रहे हैं. वहीं जयपुर जेल में सैनिटाइजर बनाया जा रहा है.

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केंद्रीय कारागार में बने मास्क

बता दें अलवर के लोग जेल में बने हुए मास्क, सैनिटाइजर और फिनाइल को खासा पसंद कर रहे हैं. अलवर के केंद्रीय कारागार के गेट पर प्रतिदिन मास्क, सैनिटाइजर और फिनाइल लेने वालों की कतार लगी रहती है. जेल प्रशासन की मानें तो प्रतिदिन 1000 मास्क, 300 सैनिटाइजर की बोतल और 700 फिनाइल की बोतलें बिक रही हैं. सस्ते और गुणवत्ता में बेहतर होने के कारण इन सामान को सरकारी कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी भी इसे खासा पसंद कर रहे हैं.

ये पढ़ें-कोरोना से लड़ने के लिए क्या खाएं? बता रहे हैं एक्सपर्ट....

जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने कहा कि अलवर के केंद्रीय कारागार में बने मास्क और फिनाइल को लोग पसंद कर रहे हैं. इसके अलावा सैनिटाइजर जयपुर के कारागार में बन रहा है. फिनाइल की बोतल 20 रुपए, सैनिटाइजर 50 रुपए की 100 एमएल और वहीं मास्क 8 रुपए प्रति नग के हिसाब से बेचा जा रहा है. वहीं इससे कारागार को फायदा भी हो रहा है.

उन्होने बताया कि मास्क का डिमांड सबसे ज्यादा है, रात दिन काम करने के बाद भी बंदी डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं. सरकारी कार्यालय रेलवे और अन्य विभाग से भी लगातार मास्क की डिमांड आ रही है. दरअसल केंद्रीय कारागार में बना हुआ मास्क कपड़े का है. जिसको घर में धोकर कई बार काम में लिया जा सकता है. इसलिए लोग इस मास्क को ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

अलवर. कोरोना वायरस के बढ़ रहे प्रभाव को देखते हुए लोग मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करने लगे हैं. बाजार में हो रही कालाबाजारी के चलते सरकार की तरफ से सरकारी कंपनियों से सैनिटाइजर बनवाए जा रहे हैं. तो वहीं आम लोग और सामाजिक संस्थाएं भी घरों में मास्क बनाने के काम में लगे हैं. ऐसे में अलवर जेल के बंदी भी मास्क बना रहे हैं. वहीं जयपुर जेल में सैनिटाइजर बनाया जा रहा है.

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केंद्रीय कारागार में बने मास्क

बता दें अलवर के लोग जेल में बने हुए मास्क, सैनिटाइजर और फिनाइल को खासा पसंद कर रहे हैं. अलवर के केंद्रीय कारागार के गेट पर प्रतिदिन मास्क, सैनिटाइजर और फिनाइल लेने वालों की कतार लगी रहती है. जेल प्रशासन की मानें तो प्रतिदिन 1000 मास्क, 300 सैनिटाइजर की बोतल और 700 फिनाइल की बोतलें बिक रही हैं. सस्ते और गुणवत्ता में बेहतर होने के कारण इन सामान को सरकारी कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी भी इसे खासा पसंद कर रहे हैं.

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जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने कहा कि अलवर के केंद्रीय कारागार में बने मास्क और फिनाइल को लोग पसंद कर रहे हैं. इसके अलावा सैनिटाइजर जयपुर के कारागार में बन रहा है. फिनाइल की बोतल 20 रुपए, सैनिटाइजर 50 रुपए की 100 एमएल और वहीं मास्क 8 रुपए प्रति नग के हिसाब से बेचा जा रहा है. वहीं इससे कारागार को फायदा भी हो रहा है.

उन्होने बताया कि मास्क का डिमांड सबसे ज्यादा है, रात दिन काम करने के बाद भी बंदी डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं. सरकारी कार्यालय रेलवे और अन्य विभाग से भी लगातार मास्क की डिमांड आ रही है. दरअसल केंद्रीय कारागार में बना हुआ मास्क कपड़े का है. जिसको घर में धोकर कई बार काम में लिया जा सकता है. इसलिए लोग इस मास्क को ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

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