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SPECIAL : अलवर जिले में 11 दिन में 176 अंतिम संस्कार...मौतों का सरकारी आंकड़ा सिर्फ 61, तथ्य से मेल नहीं खा रहा 'सत्य'

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Published : May 3, 2021, 7:20 PM IST

अलवर जिले में मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. प्रशासन मौतों के आंकड़े में फेरबदल कर रहा है. हालात ये हैं कि श्मशान और कब्रिस्तान में होने वाले अंतिम संस्कार और प्रशासन के मौतों के आंकड़े में दिन रात का अंतर है.

Alwar Coronavirus death data continues
अलवर जिले में 11 दिन में 176 अंतिम संस्कार

अलवर. जिले में कोरोना का संक्रमण बेकाबू हो चुका है. एक्टिव केस की संख्या 11000 पार कर चुकी है. प्रशासन बेड की संख्या बढ़ाने की भरसक कोशिश कर रहा है. मौतों के आंकड़े जारी किए जा रहे हैं लेकिन अंतिम संस्कारों की तादाद कहीं ज्यादा है.

मौतों के सरकारी आंकड़े अंतिम संस्कारों के आंकड़ों से बेहद कम

राजस्थान में कोरोना संकट के हालात महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे होने लगे हैं. कोरोना संक्रमित मरीजों में इजाफा हो रहा है और मौतों के आंकड़े बढ़ रहे हैं. जिला स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मरने वालों की संख्या कम दिखाई जा रही है.

हालात ये हैं कि 22 अप्रैल से 2 मई तक अलवर जिले में 176 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया है. जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से मौतें महज 61 दर्ज की गई हैं. 3 मई को जिले में मरने वालों की संख्या 15 पहुंच गई है.

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सरकारी तथ्य से मेल नहीं खा रहा 'सत्य'

जाहिर है कि स्वास्थ्य विभाग मरने वालों की संख्या कम बता रहा है. ईटीवी भारत के पास अस्पताल के रिकॉर्ड हैं. जिनमें मरने वालों का आंकड़ा ज्यादा है. प्रत्येक तारीख के हिसाब से उसमें मरने वाले व्यक्ति का नाम उम्र और सभी जानकारी दर्ज हैं. इसके अलावा निजी अस्पताल, जिले के अन्य ब्लॉक, कस्बों और गांवों में भी कोरोना से लगातार मौतें हो रही हैं. जिसकी जानकारी जिला प्रशासन को नहीं मिल पा रही है.

पढ़ें- जीवन बचाने के लिए सख्ती से लागू करें रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाड़ा: CM गहलोत

कुछ लोग तो प्रशासन के प्रोटोकॉल से बचने के लिए अपने मरीज की जानकारी भी समय पर नहीं देते हैं. कई लोगों के अंतिम संस्कार के बाद प्रशासन को कोरोना की पुष्टि होती है और कोरोना से मौत का पता चलता है. ऐसे में साफ है कि अलवर के हालात भयावह हो रहे हैं.

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मौतों का सरकारी आंकड़ा सिर्फ 61

प्रोटोकॉल की नहीं हो रही पालना

कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद अंतिम संस्कार नगर परिषद के कर्मचारियों की ओर से स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की मौजूदगी में होना चाहिए. साथ ही मृतक का शव प्लास्टिक के बैग में पैक होना चाहिए. अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में शामिल परिजन पीपीई किट में होने चाहिएं. लेकिन इसकी पालना अलवर में न के बराबर हो रही है.

संदिग्ध का नहीं होता प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार

अलवर जिले में हर तीसरा व्यक्ति कोरोना संक्रमित है. कुछ लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने से पहले ही मौत हो जाती है. उन लोगों का कोरोना प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार नहीं होता. अंतिम संस्कार प्रक्रिया पूरी होने के बाद मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो जाते हैं. साथ ही संक्रमण का आंकड़ा भी कई गुना अधिक बढ़ जाता है.

पढ़ें- SPECIAL : अपना घर आश्रम में 2164 लोगों के पास नहीं है आधार कार्ड या पहचान पत्र...गंभीर संक्रमण के संकट में कैसे होगा वैक्सीनेशन

अंतिम संस्कार प्रक्रिया में भी लापरवाही

कोरोना संक्रमित व्यक्ति के अंतिम संस्कार प्रक्रिया में परिवार के सीमित सदस्यों के शामिल होने का नियम है. लेकिन अलवर में कई बार अंतिम संस्कार प्रक्रिया में बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने का मामला सामने आ चुका है. इसमें कई राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हैं. बिगड़ते हालात और टूटते नियमों को देखते हुए प्रशासन की तरफ से प्रत्येक मोक्ष धाम और शमशान घाट पर पुलिस नगर परिषद के कर्मचारी तैनात किए गए हैं. जो इस प्रोटोकॉल और नियम को फॉलो करवा रहे हैं.

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अलवर जिले में 11 दिन में 176 अंतिम संस्कार

सरकारी रिकॉर्ड पर एक नजर

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 22 अप्रैल को अलवर जिले में 1 व्यक्ति की मौत हुई, 23 अप्रैल को 4, 24 अप्रैल को 5, 25 अप्रैल को 1, 26 अप्रैल को 5, 27 अप्रैल को 5, 28 अप्रैल को 6, 29 अप्रैल को 7, 30 अप्रैल को 14, 1 मई को 5, 2 मई को 8 लोगों की मौत हुई है. साफ है कि लगातार प्रशासन की तरफ से मौत के आंकड़े कम दर्शाए जा रहे हैं.

अलवर. जिले में कोरोना का संक्रमण बेकाबू हो चुका है. एक्टिव केस की संख्या 11000 पार कर चुकी है. प्रशासन बेड की संख्या बढ़ाने की भरसक कोशिश कर रहा है. मौतों के आंकड़े जारी किए जा रहे हैं लेकिन अंतिम संस्कारों की तादाद कहीं ज्यादा है.

मौतों के सरकारी आंकड़े अंतिम संस्कारों के आंकड़ों से बेहद कम

राजस्थान में कोरोना संकट के हालात महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे होने लगे हैं. कोरोना संक्रमित मरीजों में इजाफा हो रहा है और मौतों के आंकड़े बढ़ रहे हैं. जिला स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मरने वालों की संख्या कम दिखाई जा रही है.

हालात ये हैं कि 22 अप्रैल से 2 मई तक अलवर जिले में 176 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया है. जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से मौतें महज 61 दर्ज की गई हैं. 3 मई को जिले में मरने वालों की संख्या 15 पहुंच गई है.

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सरकारी तथ्य से मेल नहीं खा रहा 'सत्य'

जाहिर है कि स्वास्थ्य विभाग मरने वालों की संख्या कम बता रहा है. ईटीवी भारत के पास अस्पताल के रिकॉर्ड हैं. जिनमें मरने वालों का आंकड़ा ज्यादा है. प्रत्येक तारीख के हिसाब से उसमें मरने वाले व्यक्ति का नाम उम्र और सभी जानकारी दर्ज हैं. इसके अलावा निजी अस्पताल, जिले के अन्य ब्लॉक, कस्बों और गांवों में भी कोरोना से लगातार मौतें हो रही हैं. जिसकी जानकारी जिला प्रशासन को नहीं मिल पा रही है.

पढ़ें- जीवन बचाने के लिए सख्ती से लागू करें रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाड़ा: CM गहलोत

कुछ लोग तो प्रशासन के प्रोटोकॉल से बचने के लिए अपने मरीज की जानकारी भी समय पर नहीं देते हैं. कई लोगों के अंतिम संस्कार के बाद प्रशासन को कोरोना की पुष्टि होती है और कोरोना से मौत का पता चलता है. ऐसे में साफ है कि अलवर के हालात भयावह हो रहे हैं.

Alwar Coronavirus death data continues
मौतों का सरकारी आंकड़ा सिर्फ 61

प्रोटोकॉल की नहीं हो रही पालना

कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद अंतिम संस्कार नगर परिषद के कर्मचारियों की ओर से स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की मौजूदगी में होना चाहिए. साथ ही मृतक का शव प्लास्टिक के बैग में पैक होना चाहिए. अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में शामिल परिजन पीपीई किट में होने चाहिएं. लेकिन इसकी पालना अलवर में न के बराबर हो रही है.

संदिग्ध का नहीं होता प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार

अलवर जिले में हर तीसरा व्यक्ति कोरोना संक्रमित है. कुछ लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने से पहले ही मौत हो जाती है. उन लोगों का कोरोना प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार नहीं होता. अंतिम संस्कार प्रक्रिया पूरी होने के बाद मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो जाते हैं. साथ ही संक्रमण का आंकड़ा भी कई गुना अधिक बढ़ जाता है.

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अंतिम संस्कार प्रक्रिया में भी लापरवाही

कोरोना संक्रमित व्यक्ति के अंतिम संस्कार प्रक्रिया में परिवार के सीमित सदस्यों के शामिल होने का नियम है. लेकिन अलवर में कई बार अंतिम संस्कार प्रक्रिया में बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने का मामला सामने आ चुका है. इसमें कई राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हैं. बिगड़ते हालात और टूटते नियमों को देखते हुए प्रशासन की तरफ से प्रत्येक मोक्ष धाम और शमशान घाट पर पुलिस नगर परिषद के कर्मचारी तैनात किए गए हैं. जो इस प्रोटोकॉल और नियम को फॉलो करवा रहे हैं.

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अलवर जिले में 11 दिन में 176 अंतिम संस्कार

सरकारी रिकॉर्ड पर एक नजर

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 22 अप्रैल को अलवर जिले में 1 व्यक्ति की मौत हुई, 23 अप्रैल को 4, 24 अप्रैल को 5, 25 अप्रैल को 1, 26 अप्रैल को 5, 27 अप्रैल को 5, 28 अप्रैल को 6, 29 अप्रैल को 7, 30 अप्रैल को 14, 1 मई को 5, 2 मई को 8 लोगों की मौत हुई है. साफ है कि लगातार प्रशासन की तरफ से मौत के आंकड़े कम दर्शाए जा रहे हैं.

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