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किसानों के लिए बर्बादी बनकर आते हैं टिड्डी दल, करते हैं फसलों का विनाश

टिड्डी दल का हमला...यह जुमला तो आपने सुना ही होगा, लेकिन क्या वाकई में आप जानते हैं कि टिड्डी क्या होते हैं और टिड्डी दल हमला कैसे करते हैं? इस खबर में हम टिड्डी को लेकर आपकी हर जिज्ञासा का जवाब देंगे. टिड्डी देखने में एक छोटा सा कीट है. यदि आप एक टिड्डी  देखेंगे तो यह आपको बिल्कुल खतरनाक नहीं लगेगा, लेकिन जब यह झुंड में आते हैं, तो टिड्डी दल कहलाते हैं और बहुत तेज व विनाशकारी नुकसान पहुंचाने वाले हो जाते हैं. किसान टिड्डियों को अपना दुश्मन मानते हैं, क्योंकि यह फसलों को ही सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.

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Published : Feb 5, 2020, 6:14 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 7:16 AM IST

किसानों के लिए बर्बादी का पैगाम लेकर आते हैं टिड्डी दल

टिड्डी दल का हमला...यह जुमला तो आपने सुना ही होगा, लेकिन क्या वाकई में आप जानते हैं कि टिड्डी क्या होते हैं और टिड्डी दल हमला कैसे करते हैं? इस खबर में हम टिड्डी को लेकर आपकी हर जिज्ञासा का जवाब देंगे. टिड्डी देखने में एक छोटा सा कीट है. यदि आप एक टिड्डी देखेंगे तो यह आपको बिल्कुल खतरनाक नहीं लगेगा, लेकिन जब यह झुंड में आते हैं, तो टिड्डी दल कहलाते हैं और बहुत तेज व विनाशकारी नुकसान पहुंचाने वाले हो जाते हैं. किसान टिड्डियों को अपना दुश्मन मानते हैं, क्योंकि यह फसलों को ही सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. आमतौर पर टिड्डी की चार प्रजातियां होती हैं, लेकिन इनमें रेगिस्तानी टिड्डे (Schistocerca gregaria) सबसे खतरनाक माने जाते हैं.

किसानों के लिए बर्बादी के पैगाम टिड्डी दल पर विशेष रिपोर्ट

कैसे पनपते हैं टिड्डी दल

यह प्रवासी टिड्डे अंटार्कटिक को छोड़ कर बाकी सभी महाद्वीप पर पाए जाते हैं. ये पश्चिमी अफ्रीका, ईजिप्ट से लेकर भारत में पाए जाते हैं. ये टिड्डे अपने जन्म के शुरुआती कुछ दिन तक उड़ नहीं सकते. इस दौरान वह अपने आसपास की घास खाकर बड़े होते हैं. टिड्डी घास की महक का पीछा करते रहते हैं. आमतौर पर इन्हें बड़ा होने में एक माह तक का समय लगता है, लेकिन अनुकूल वातावरण में इनके बढ़ने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. जब एक जगह पर खाना खत्म हो जाता है, तो पंख वाले बड़े टिड्डे एक खास गंध छोड़ते हैं, जिसका मतलब होता है कि अब खाने के लिए आगे बढ़ने का समय आ गया है. ऐसे ही टिड्डियों के समूह के समूह जुड़ते जाते हैं और यह विनाशकारी विशालकाय झुंड बन जाते हैं. टिड्डी हवा के रुख के साथ उड़ते हैं और एक दिन में करीब 150 किलो मीटर का सफर कर सकते हैं. जब यह झुंड बना कर खाने की तलाश में निकलते हैं, तो रास्ते में पड़ने वाली किसी भी वनस्पति को नहीं छोड़ते. रेगिस्तानी टिड्डी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे विनाशकारी कीट माना जाता है. यह एक वर्ग किलोमीटर के छोटे से झुंड में ही एक दिन में 35,000 लोगों के भोजन के बराबर वनस्पति खा लेते हैं.

कहां है टिड्डियों का सर्वाधिक प्रकोप

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने वर्तमान स्थिति में हॉर्न ऑफ अफ्रीका, रेड सी क्षेत्र और दक्षिण-पश्चिम एशिया में टिड्डी झुंड के सबसे खतरनाक हमलों की चेतावनी जारी की है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में टिड्डियों के आक्रमण के कारण आपातकाल की घोषणा की गई है. वहीं सोमालिया में भी टिड्डियों के हमले के कारण राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया गया है. अफ्रीका के हॉर्न को टिड्डी से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र कहा गया है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार सोमालिया व इथियोपिया में 25 वर्ष में सबसे बड़े टिड्डी हमले हुए थे. अफ्रीका में एक टिड्डी दल की लंबाई 60 किलोमीटर (37 मील) और चौड़ाई 40 किलोमीटर (25 मील) मापी गई है.

साल 2019-20 में गुजरात और राजस्थान में हुआ दो दशकों का सबसे बड़ा टिड्डी हमला

भारत के राजस्थान और गुजरात में आने वाले टिड्डों की उत्पत्ति मॉनसून के बाद पाकिस्तान के रास्ते आने से पहले हॉर्न ऑफ अफ्रीका और मध्य पूर्वी देशों से होती है. गुजरात के कृषि निदेशालय के अनुसार टिड्डियों ने 25,000 हेक्टेयर (61,776 एकड़) से अधिक गेहूं, रेपसीड, जीरा और आलू की फसलों को बरबाद कर दिया था. वहीं हाल ही राजस्थान में हुए टिड्डी हमले में इलाके में जीरा, इसबगोल और अरंडी की फसल को बड़ा नुकसान हुआ है. राजस्थान में लगभग 3.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले फसलों पर कीटों के हमले के साथ छह दशकों का सबसे विनाशकारी टिड्डी हमला था. जैसलमेर, बीकानेर, जालौर, जोधपुर, बाड़मेर, सिरोही, चूरू, नागौर और हनुमानगढ़ के कुछ हिस्सों के साथ श्रीगंगानगर सबसे कठिन जिला है. पिछले साल मई में पहला हमला हुआ था, जब दक्षिणी पाकिस्तान से उड़ने वाले लाखों टिड्डियों ने खरीफ की फसल (जुलाई-सितंबर) को नुकसान पहुंचाया था.

टिड्डियों से रोक थाम और बचाव

हालांकि इन टिड्डियों से रोकथाम और बचाव के लिए फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव जरूर किया जाता है, लेकिन फिर भी यह उनके द्वारा किये जाने वाले नुकसान पर ज्यादा काबू नहीं कर पाता है. इनके उपर कई जगहों पर हेलीकाप्टरों से भी कीट नाशक का छिड़काव करतें हैं. लेकिन इनके झुंड इतने बड़े होतें हैं कि उसका भी इनकी तादात पर कोई खास असर नहीं पड़ता है.

किसानों के लिए बर्बादी का पैगाम लेकर आते हैं टिड्डी दल

टिड्डी दल का हमला...यह जुमला तो आपने सुना ही होगा, लेकिन क्या वाकई में आप जानते हैं कि टिड्डी क्या होते हैं और टिड्डी दल हमला कैसे करते हैं? इस खबर में हम टिड्डी को लेकर आपकी हर जिज्ञासा का जवाब देंगे. टिड्डी देखने में एक छोटा सा कीट है. यदि आप एक टिड्डी देखेंगे तो यह आपको बिल्कुल खतरनाक नहीं लगेगा, लेकिन जब यह झुंड में आते हैं, तो टिड्डी दल कहलाते हैं और बहुत तेज व विनाशकारी नुकसान पहुंचाने वाले हो जाते हैं. किसान टिड्डियों को अपना दुश्मन मानते हैं, क्योंकि यह फसलों को ही सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. आमतौर पर टिड्डी की चार प्रजातियां होती हैं, लेकिन इनमें रेगिस्तानी टिड्डे (Schistocerca gregaria) सबसे खतरनाक माने जाते हैं.

किसानों के लिए बर्बादी के पैगाम टिड्डी दल पर विशेष रिपोर्ट

कैसे पनपते हैं टिड्डी दल

यह प्रवासी टिड्डे अंटार्कटिक को छोड़ कर बाकी सभी महाद्वीप पर पाए जाते हैं. ये पश्चिमी अफ्रीका, ईजिप्ट से लेकर भारत में पाए जाते हैं. ये टिड्डे अपने जन्म के शुरुआती कुछ दिन तक उड़ नहीं सकते. इस दौरान वह अपने आसपास की घास खाकर बड़े होते हैं. टिड्डी घास की महक का पीछा करते रहते हैं. आमतौर पर इन्हें बड़ा होने में एक माह तक का समय लगता है, लेकिन अनुकूल वातावरण में इनके बढ़ने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. जब एक जगह पर खाना खत्म हो जाता है, तो पंख वाले बड़े टिड्डे एक खास गंध छोड़ते हैं, जिसका मतलब होता है कि अब खाने के लिए आगे बढ़ने का समय आ गया है. ऐसे ही टिड्डियों के समूह के समूह जुड़ते जाते हैं और यह विनाशकारी विशालकाय झुंड बन जाते हैं. टिड्डी हवा के रुख के साथ उड़ते हैं और एक दिन में करीब 150 किलो मीटर का सफर कर सकते हैं. जब यह झुंड बना कर खाने की तलाश में निकलते हैं, तो रास्ते में पड़ने वाली किसी भी वनस्पति को नहीं छोड़ते. रेगिस्तानी टिड्डी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे विनाशकारी कीट माना जाता है. यह एक वर्ग किलोमीटर के छोटे से झुंड में ही एक दिन में 35,000 लोगों के भोजन के बराबर वनस्पति खा लेते हैं.

कहां है टिड्डियों का सर्वाधिक प्रकोप

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने वर्तमान स्थिति में हॉर्न ऑफ अफ्रीका, रेड सी क्षेत्र और दक्षिण-पश्चिम एशिया में टिड्डी झुंड के सबसे खतरनाक हमलों की चेतावनी जारी की है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में टिड्डियों के आक्रमण के कारण आपातकाल की घोषणा की गई है. वहीं सोमालिया में भी टिड्डियों के हमले के कारण राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया गया है. अफ्रीका के हॉर्न को टिड्डी से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र कहा गया है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार सोमालिया व इथियोपिया में 25 वर्ष में सबसे बड़े टिड्डी हमले हुए थे. अफ्रीका में एक टिड्डी दल की लंबाई 60 किलोमीटर (37 मील) और चौड़ाई 40 किलोमीटर (25 मील) मापी गई है.

साल 2019-20 में गुजरात और राजस्थान में हुआ दो दशकों का सबसे बड़ा टिड्डी हमला

भारत के राजस्थान और गुजरात में आने वाले टिड्डों की उत्पत्ति मॉनसून के बाद पाकिस्तान के रास्ते आने से पहले हॉर्न ऑफ अफ्रीका और मध्य पूर्वी देशों से होती है. गुजरात के कृषि निदेशालय के अनुसार टिड्डियों ने 25,000 हेक्टेयर (61,776 एकड़) से अधिक गेहूं, रेपसीड, जीरा और आलू की फसलों को बरबाद कर दिया था. वहीं हाल ही राजस्थान में हुए टिड्डी हमले में इलाके में जीरा, इसबगोल और अरंडी की फसल को बड़ा नुकसान हुआ है. राजस्थान में लगभग 3.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले फसलों पर कीटों के हमले के साथ छह दशकों का सबसे विनाशकारी टिड्डी हमला था. जैसलमेर, बीकानेर, जालौर, जोधपुर, बाड़मेर, सिरोही, चूरू, नागौर और हनुमानगढ़ के कुछ हिस्सों के साथ श्रीगंगानगर सबसे कठिन जिला है. पिछले साल मई में पहला हमला हुआ था, जब दक्षिणी पाकिस्तान से उड़ने वाले लाखों टिड्डियों ने खरीफ की फसल (जुलाई-सितंबर) को नुकसान पहुंचाया था.

टिड्डियों से रोक थाम और बचाव

हालांकि इन टिड्डियों से रोकथाम और बचाव के लिए फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव जरूर किया जाता है, लेकिन फिर भी यह उनके द्वारा किये जाने वाले नुकसान पर ज्यादा काबू नहीं कर पाता है. इनके उपर कई जगहों पर हेलीकाप्टरों से भी कीट नाशक का छिड़काव करतें हैं. लेकिन इनके झुंड इतने बड़े होतें हैं कि उसका भी इनकी तादात पर कोई खास असर नहीं पड़ता है.

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Last Updated : Feb 29, 2020, 7:16 AM IST
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