विदिशा। सहारा इंडिया (Sahara India) में अपने जीवन की सारी पूंजी लगा चुके निवेशकों के सब्र का बांध टूट गया है. नाराज निवेशकों ने सहारा कंपनी के गेट पर तालाबंदी कर दी. 2013 से जमा राशि नहीं मिलने के कारण पहले सारे निवेशक कलेक्टर के जन दरबार में पहुंचे थे. 6 महीने बाद फिर से शुरू हुई जनसुनवाई में अपनी अर्जी लगाई थी. सहारा के कर्मचारी अधिकारियों को जैसे ही पता चला कि पीड़ित कलेक्टर से मिलने पहुंचे हैं, तो वे ऑफिस पर ताला जड़कर भाग गए.
सहारा के निवेशकों की पीड़ा
विदिशा कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने लोगों की समस्याएं सुनी. इस दौरान सहारा (Sahara India) के निवेशक भी बड़ी संख्या में पहुंचे. उन्होंने जमा की गई अपनी राशि लौटाने की गुहार लगाई. कलेक्टर को अपनी समस्या सुनाने के बाद सभी पीड़ित सिविल लाइंस रोड स्थित सहारा के कार्यालय पहुंचे. नाराज निवेशकों के आने की सूचना मिलते ही कंपनी के कर्मचारी गेट पर ताला लगाकर भाग गए. इस बात से नाराज निवेशक वहां नारेबाजी करने लगे और सहारा के दफ्तर पर अपना ताला भी ठोक दिया.
'जितनी सहारा कंपनी दोषी, उतनी ही सरकार की दोषी'
मामले में पीड़ित लोग जितना सहारा कंपनी (Sahara India) को दोषी मानते हैं, उतना ही सरकार को भी दोषी मान रहे हैं. लोगों का कहना है कि सरकार की नीतियों के कारण ही हम लोगों का पैसा मिल नहीं पा रहा है. पैसों को लेकर सेबी और सहारा में टकराव चल रहा है. जिसकी वजह से देश के करोड़ों उपभोक्ता परेशान हैं. लोगों ने गाढ़ी कमाई से 10-10 रुपए बचाकर जमा करवाए थे.
पैसा वापस नही मिला तो करेंगे बड़ा आंदोलन
पीड़ित लोगों ने बताया कि हमनें प्रधानमंत्री(Prime Minister), गृहमंत्री(Home Minister), वित्त मंत्री और मध्य प्रदेश के सीएम(CM Shivraj Singh Chouhan) के नाम ज्ञापन दिया है. हमें 2 महीने का आश्वासन मिला है. अगर 2 महीने में हमारे पैसे वापस नहीं मिले तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे. हम सहारा की संपत्तियों पर कब्जा करेंगे. इसकी जिम्मेदारी फिर हमारी नहीं होगी.