टीकमगढ़। बुन्देलखण्ड के मड़खेरा गांव में स्थित कला का बेजोड़ नमूना सूर्य मन्दिर अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है. जलाभिषेक होने से चार स्तंभों पर खड़े विशाल सूर्य मंदिर का क्षरण हो रहा है, लेकिन पुरातत्व विभाग ऐतिहासक धरोहर को बचाने की वजाय उसकी नष्ट होने का साक्षी बन रहा है.
चंदेलकालीन राजाओं ने बनवाया था सूर्यमन्दिर
चंदेलकालीन बर्धन राजा वर्धन सम्राट सूर्य के उपासक थे, लिहाजा उन्होंने आपने आराध्य भगवान सूर्य का मंदिर मड़खेरा गांव में बनवाया. ग्रेनाइट के पत्थरों को तराशकर बनाए गए इस मंदिर में हिन्दू देवी देवताओं की कलाकृतियां बनाई गई हैं, जो इसकी खूबसरती में चार चांद लगाती हैं. सूर्य मंदिर जिला का सबसे खूबसूरत, सुंदर और आकर्षक मंदिर है.
पड़ती है पहली सूर्य किरण
मंदिर का शिखर घोड़ों के खुरों के आकार का है और मंदिर के गर्भ गृह में विराजे सूर्य देव की प्रतिमा पर सुबह की पहली किरण पड़ती है. यह मंदिर चमत्कारिक भी है. लोगों की मान्यता है कि यहां आने से मनोकामनाएं पूरी होती है, लिहाजा श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का केंद्र बना हुआ है.
सुरक्षा और संरक्षण इंतजाम नहीं है
मध्यप्रदेश सरकार ने चंदेलकालीन मन्दिरों की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर कोई कदम नहीं उठाया हैं जिसकी वजह से मन्दिर के ऊपर कि बनी कलाकृतियां टूटकर नीचे गिर रही और मन्दिर का गुम्मद और दीवारें टूटने लगी है. मंदिर के कर्मचारियों के पास भले ही मेंटिनेंस के लिए लाखों रुपये आते हों, मंदिर की हालत बद से बदतर होती जा रही है.
पुरातत्व विभाग ओरछा और ग्वालियर के अधिकारियों ने तो मन्दिर की साफ सफाई को लेकर कर्मचारी नियुक्त किए हैं, लेकिन रखरखाव करने के बजाय वो ऐतिहासिंक धरोहरों के नष्ट होने के साक्षा बनने रहे हैं. हालांकि अपर कलेक्टर पुरातत्व विभाग को मंदिर की सुरक्षा के लिए पत्र लिखने की बात कर रहे हैं.
दुनिया भर में मंदिरों की अनूठी कलाकृति के लिए मशहूर टीकमगढ़ में पुरातत्व विभाग अगर अब भी नहीं जागता और मंदिरों के संरक्षण की ओर ध्यान नहीं देता तो मंदिरों का अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा. और जिले का स्थान पर्यटन नक्शे से गायब हो जाएगा.