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टीकमगढ़ जिले का ऐतिहासिक सूर्यमन्दिर संकट में

टीकमगढ़ जिले में बना ऐतिहासिक और देश का अनोखा सूर्यमन्दिर जो अपना अस्तिव खोता पुरातत्व विभाग की लापरवाही के चलते आज बदहाली के आलम से गुजर रहा.

टीकमगढ़ जिले का ऐतिहासिक सूर्यमन्दिर संकट में
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Published : Nov 3, 2019, 3:39 PM IST

टीकमगढ़। बुन्देलखण्ड के मड़खेरा गांव में स्थित कला का बेजोड़ नमूना सूर्य मन्दिर अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है. जलाभिषेक होने से चार स्तंभों पर खड़े विशाल सूर्य मंदिर का क्षरण हो रहा है, लेकिन पुरातत्व विभाग ऐतिहासक धरोहर को बचाने की वजाय उसकी नष्ट होने का साक्षी बन रहा है.

टीकमगढ़ जिले का ऐतिहासिक सूर्यमन्दिर संकट में


चंदेलकालीन राजाओं ने बनवाया था सूर्यमन्दिर

चंदेलकालीन बर्धन राजा वर्धन सम्राट सूर्य के उपासक थे, लिहाजा उन्होंने आपने आराध्य भगवान सूर्य का मंदिर मड़खेरा गांव में बनवाया. ग्रेनाइट के पत्थरों को तराशकर बनाए गए इस मंदिर में हिन्दू देवी देवताओं की कलाकृतियां बनाई गई हैं, जो इसकी खूबसरती में चार चांद लगाती हैं. सूर्य मंदिर जिला का सबसे खूबसूरत, सुंदर और आकर्षक मंदिर है.


पड़ती है पहली सूर्य किरण

मंदिर का शिखर घोड़ों के खुरों के आकार का है और मंदिर के गर्भ गृह में विराजे सूर्य देव की प्रतिमा पर सुबह की पहली किरण पड़ती है. यह मंदिर चमत्कारिक भी है. लोगों की मान्यता है कि यहां आने से मनोकामनाएं पूरी होती है, लिहाजा श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का केंद्र बना हुआ है.

सुरक्षा और संरक्षण इंतजाम नहीं है

मध्यप्रदेश सरकार ने चंदेलकालीन मन्दिरों की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर कोई कदम नहीं उठाया हैं जिसकी वजह से मन्दिर के ऊपर कि बनी कलाकृतियां टूटकर नीचे गिर रही और मन्दिर का गुम्मद और दीवारें टूटने लगी है. मंदिर के कर्मचारियों के पास भले ही मेंटिनेंस के लिए लाखों रुपये आते हों, मंदिर की हालत बद से बदतर होती जा रही है.


पुरातत्व विभाग ओरछा और ग्वालियर के अधिकारियों ने तो मन्दिर की साफ सफाई को लेकर कर्मचारी नियुक्त किए हैं, लेकिन रखरखाव करने के बजाय वो ऐतिहासिंक धरोहरों के नष्ट होने के साक्षा बनने रहे हैं. हालांकि अपर कलेक्टर पुरातत्व विभाग को मंदिर की सुरक्षा के लिए पत्र लिखने की बात कर रहे हैं.


दुनिया भर में मंदिरों की अनूठी कलाकृति के लिए मशहूर टीकमगढ़ में पुरातत्व विभाग अगर अब भी नहीं जागता और मंदिरों के संरक्षण की ओर ध्यान नहीं देता तो मंदिरों का अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा. और जिले का स्थान पर्यटन नक्शे से गायब हो जाएगा.

टीकमगढ़। बुन्देलखण्ड के मड़खेरा गांव में स्थित कला का बेजोड़ नमूना सूर्य मन्दिर अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है. जलाभिषेक होने से चार स्तंभों पर खड़े विशाल सूर्य मंदिर का क्षरण हो रहा है, लेकिन पुरातत्व विभाग ऐतिहासक धरोहर को बचाने की वजाय उसकी नष्ट होने का साक्षी बन रहा है.

टीकमगढ़ जिले का ऐतिहासिक सूर्यमन्दिर संकट में


चंदेलकालीन राजाओं ने बनवाया था सूर्यमन्दिर

चंदेलकालीन बर्धन राजा वर्धन सम्राट सूर्य के उपासक थे, लिहाजा उन्होंने आपने आराध्य भगवान सूर्य का मंदिर मड़खेरा गांव में बनवाया. ग्रेनाइट के पत्थरों को तराशकर बनाए गए इस मंदिर में हिन्दू देवी देवताओं की कलाकृतियां बनाई गई हैं, जो इसकी खूबसरती में चार चांद लगाती हैं. सूर्य मंदिर जिला का सबसे खूबसूरत, सुंदर और आकर्षक मंदिर है.


पड़ती है पहली सूर्य किरण

मंदिर का शिखर घोड़ों के खुरों के आकार का है और मंदिर के गर्भ गृह में विराजे सूर्य देव की प्रतिमा पर सुबह की पहली किरण पड़ती है. यह मंदिर चमत्कारिक भी है. लोगों की मान्यता है कि यहां आने से मनोकामनाएं पूरी होती है, लिहाजा श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का केंद्र बना हुआ है.

सुरक्षा और संरक्षण इंतजाम नहीं है

मध्यप्रदेश सरकार ने चंदेलकालीन मन्दिरों की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर कोई कदम नहीं उठाया हैं जिसकी वजह से मन्दिर के ऊपर कि बनी कलाकृतियां टूटकर नीचे गिर रही और मन्दिर का गुम्मद और दीवारें टूटने लगी है. मंदिर के कर्मचारियों के पास भले ही मेंटिनेंस के लिए लाखों रुपये आते हों, मंदिर की हालत बद से बदतर होती जा रही है.


पुरातत्व विभाग ओरछा और ग्वालियर के अधिकारियों ने तो मन्दिर की साफ सफाई को लेकर कर्मचारी नियुक्त किए हैं, लेकिन रखरखाव करने के बजाय वो ऐतिहासिंक धरोहरों के नष्ट होने के साक्षा बनने रहे हैं. हालांकि अपर कलेक्टर पुरातत्व विभाग को मंदिर की सुरक्षा के लिए पत्र लिखने की बात कर रहे हैं.


दुनिया भर में मंदिरों की अनूठी कलाकृति के लिए मशहूर टीकमगढ़ में पुरातत्व विभाग अगर अब भी नहीं जागता और मंदिरों के संरक्षण की ओर ध्यान नहीं देता तो मंदिरों का अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा. और जिले का स्थान पर्यटन नक्शे से गायब हो जाएगा.

Intro:एंकर इन्ट्रो / टीकमगढ़ जिले में बना ऐतिहासिक और देश का अनोखा ओर बुन्देलखण्ड की शान सूर्यमन्दिर अपना अस्तिव खोता पुरातत्व विभाग की लापरवाही के चलते आज बदहाली के आलम से गुजररहा


Body:वाइट् /01 मनोज बाबू चोवे समाजसेवी टीकमगढ़ वाइट् /02 राजेन्द्र अध्वर्यु बरिष्ठ पत्रकार टीकमगढ़ वाइट् /03 राजेन्द्र अध्वर्यु बरिष्ठ पत्रकार टीकमगढ़ वाइट् /04 मनोहर लाल स्थानीय निवासी मड़खेरा गांव वाइट् /05 एस के अहिरवार अपरकलेक्टर टीकमगढ़ वाइस ओबर / बुन्देलखण्ड का ऐतिहासिक सूर्यमन्दिर आज अपनी बदहाली पर आँसू बहाने पर मजबूर है !यह कलात्मक ओर चमत्कारिक सूर्यमन्दिर टीकमगढ़ जिले के मड़खेरा गांव में अपनी दुर्दशा को खुद देखकर हैरान ओर परेसान है !इस मन्दिर का रख रखाव ओर संरक्षण न होने पर यह आज नष्ट होने की कगार पर है यदि जिला प्रसासन ओर पुरातत्व विभाग ने इस ओर ध्यान नही दिया तो जल्द ही हमारी ओर हमारे युवाओ की नजरों से बेशकीमती कला और यह मंदिर ओझल हो जावेगा ओर फिर हमारी युवा पीढ़ी ओर हम इसको किताबो में पड़ेंगे ओर देखेगे दरअसल टीकमगढ़ जिले के मड़खेरा गांव में बना यह कलात्मक सूर्यमन्दिर अपने आप मे एक मिसाल है !जिसे बुन्देलखण्ड में जब चंदेलकालीन राजाओं का शासन तव यह मंदिर बनवाया गया था मन्दिर चंदेलकालीन राजा बर्धन सम्राट ने बनवाया था और इसका निर्माण सम्बत 795 के दरमियान करवाया गया था जिसे हम 8 वी शताव्दी भी कह सकते है !इस मंदिर को कुशल कारीगरों द्वारा ग्रेनाइट पत्थरो पर तराश कर बनाया गया था जिसमे सूर्य भगवान की मूर्ति स्थापित है !चंदेलकालीन राजा सूर्य उपासक थे जिस कारण उन्होंने जहा जहा पर उनका शासन रहा वहा पर यह ऐतिहासिक सूर्यमन्दिर का निर्माण करवाया था जिसमे मड़खेरा गांव में भी यह कलात्मक सूर्यमन्दिर का निर्माण करवाया था जो आज उदासीनता के चलते धूमिल होने की कगार पर है !


Conclusion:टीकमगढ़ जिले में बेसे 6 सूर्यमन्दिर है !लेकिन यह सूर्यमन्दिर सबसे बेहतरीन ओर आकर्षक और सुंदर है !जिसकी ऊंचाई जमीन से 60 फिट है !इस मंदिर में जो पत्थरो पर तराशकर कुशल कारीगरों ने बेहतरीन कला कारी कर सुंदर बनाया गया है !सारे मन्दिर में पत्थरो पर हिन्दू देवी देबताओ की कलाकृतियो को उकेरकर बनाया गया और बेहतरीन कलाकारी का नमूना पेश किया गया है !इस मंदिर के पत्थरो में आज भी जान देखने को मिलती है !इस मंदिर में बैठे सूर्य देव पर जैसे ही आसमान में सुबह सूर्यनारायण निकलते है !तो सबसे पहिली किरण पड़ती है !इस मंदिर को देखने दूर दूर ओर देश विदेश से सैलानी देखने आते है !इस मंदिर का शिखर घोड़ो के खुरो के आकार का है !यह मंदिर एक चमत्कारिक भी है यहां पर लोगो की मनोकामनाएं भी सूर्यदेव पूरी करते है !जिसकारण यह मंदिर यहां के लोगो की आस्था का केंद्र बन गया है !पुरातत्व ओर धर्मिकता के चलते ऐसा मन्दिर आपको समूचे बुन्देलखण्ड में देखने को नही मिलेगा इस मंदिर की बदहाली को लेकर एक बात यह भी सही रही कि तकरिवान 2 दशको से मध्यप्रदेश सरकार ने चंदेलकालीन मन्दिरों की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर कोई कदम नही उठाया यदि उठाया होता तो आज यह मंदिर जीवित होता होता और ठीक होता मगर आज यह मंदिर तमाम जगहो से फट गया है !और मन्दिर के ऊपर बनी कलाकृतियां टूटकर नीचे गिर रही और मन्दिर का गुम्मद ओर दीवारें टूटने लगी और मन्दिर का छत भी टूटकर गिरने लगा जबकि यह पुरात्तव बिभाग के अधीन है फिर भी कोई सुरक्षा नही ओर न ही देखरेख के नाम पर कोई कर्मचारी जबकि इस मंदिर के नाम पर मेंटिनेंस पर लाखों जो रुपया आता उससे कागजो में काम करवा दिया जाता और अपनी अपनी जेवे गर्म करलेते है !पुरातत्व विभाग ओरछा ओर ग्वालियर के अधिकारी गण यदि हम ओर गहराई में जावे तो मन्दिर की साफ सफाई को लेकर एक कर्मचारी नियुक्त है !लेकिन वह भी सिर्फ कागजों में हकीकत में नही इस तरह से पुरातत्व विभाग के अधिकारी इन ऐतिहासिक धरोहरों में पलीता लगाने का काम करने में जुटे हुए है !वही इस सम्बंध में टीकमगढ़ अपरकलेक्टर का कहना रहा कि यदि ऐसा है तो सूर्यमन्दिर की सुरक्षा को लेकर पुरातत्व विभाग को पत्र लिखकर सुरक्षा के कदम उठाया जावेगा जिससे वह इस मन्दिर का अस्तित्व बचाया जा सके
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