शहडोल। मध्यप्रदेश का शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य कृषि प्रधान जिला है. जिले में कुछ दिन बाद ही बारिश दस्तक देने वाली है. जून का महीना चल रहा है. खरीफ सीजन की खेती की तैयारी जोरों पर हैं. जिले में कई ऐसे किसान हैं जो खेतों में रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या होती है कि असली और नकली खाद की वो पहचान कैसे करें. ईटीवी भारत की ये रिपोर्ट किसानों की इस समस्या का समाधान लेकर आयी है. कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति ने बताया कि इन आसान तरीकों काे अपनाकर असली और नकली खाद की पहचान कर सकते हैं. (How to check original and fake fertilizer)
आइये जानते हैं असली और नकली खाद को पहचानने का तरीका
यूरिया: कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति यूरिया खाद को लेकर बताते हैं कि यूरिया का दाना मोती की तरह सफेद होता है. सामान्य आकार में गोल और चमकदार होता है. अगर हम यूरिया को पानी में घोलते हैं तो वो तुरंत ही घुल जाता है. यही असली यूरिया की पहचान होती है. उस पानी को अगर आप टच करेंगे तो आपके घुलनशील यूरिया का पानी बहुत ही ठंडा मिलेगा. असली यूरिया को एक और तरीके से पहचाना जा सकता है. अगर हम गर्म तवे के ऊपर यूरिया के दाने डालते हैं और धीरे-धीरे तापमान बढ़ाते हैं असली यूरिया तुरंत पिघल जाता है. उसका कोई भी अवशेष तवे में नहीं मिलेगा. (Identification of real urea)
डीएपी: कृषि वैज्ञानिक बीके प्रजापति के मुताबिक, डीएपी (Diammonium phosphate) का दाना काला, भूरा और बैगनी रंग का होता है. यह बहुत कठोर होता है. असली डीएपी का दाना नाखून से खुरचने पर या तोड़ने पर भी नहीं टूटेगा. डीएपी की दूसरी पहचान है जिस तरह आप तंबाकू को हथेली पर रखकर तंबाकू और चूने को रगड़ते हैं उसी प्रकार डीएपी के दाने को लेकर उसमें थोड़ा सा चूना मिला लें. तो आप देखेंगे कि उसमें बहुत ही तेज गंध उत्पन्न होगा. यह भी एक असली डीएपी की पहचान होती है. इसके अलावा डीएपी के दाने को लेकर अगर गर्म तवे के ऊपर हम डालते हैं जो असली डीएपी का दाना निश्चित रूप से फूल जाएगा, और जो नकली डीएपी का दाना होगा वो फूलेगा नहीं.
तीन अन्य तरीकों से भी कर सकते हैं डीएपी की पहचान
सुपर फास्फेट: सुपर फास्फेट (Superphosphate) कम लागत में अधिक पैदावार के लिए वरदान साबित होती है. सुपर फास्टेस्ट में डीएपी खाद को ही मिश्रित किया जाता है. सुपर फास्फेट दिखने में डीएपी की तरह ही काली, भूरी और बैगनी रंग की होती है. यह भी बहुत कठोर होती है. सुपर फास्फेट को अगर हम तवे के ऊपर डालते हैं तो ये पिघलेगी नहीं और फूलेगी भी नहीं. जैसा डीएपी में दाने फूल जाते हैं, लेकिन सुपर फास्फेट में दाना बिल्कुल भी फूलेगा नहीं. सुपर फास्फेट के असली उर्वरक की यही पहचान होती है.
जिंक सल्फेट: कृषि वैज्ञानिक का जिंक सल्फेट (Zinc sulfate) को लेकर कहना है कि जिंक की जब हमारे खेत में कमी होती है तो 3 साल में एक बार हम जिंक उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं. जिंक की पूर्ति के लिए मुख्यत: कृषकों के द्वारा जिंक सल्फेट उर्वरक का उपयोग किया जाता है. जिंक सल्फेट में नकली उर्वरक के रूप में मैग्नीशियम सल्फेट उर्वरक का उपयोग किया जाता है. जिंक सल्फेट की जांच के लिए आप एक पानी में जिंक सल्फेट घोल लिए और एक पानी में डीएपी खाद को घोल लें. दोनों को मिलाने पर आप देखेंगे कि उसमें थक्का बन जाएगा. यही असली जिंक सल्फेट की पहचान होती है. जिंक सल्फेट की दूसरी पहचान यह है कि इसके घोल में पतला कास्टिक का घोल मिलाते हैं तो उसमें एक थक्का अवक्षेप बनता है. उस अवक्षेप में अगर गहरा और गाढ़ा कास्टिक घोल मिलाने पर वह अवक्षेप खत्म हो जाता है, परंतु मैग्नीशियम सल्फेट अगर उस में घुलनशील होगा तो अवक्षेप खत्म नहीं होगा.
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पोटाश उर्वरक: कृषि वैज्ञानिक बीके प्रजापति ने जानकारी देते हुए कहा पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिये पोटाश उर्वरक (potash fertilizer) आवश्यक है. पोटाश उर्वरक एक सफेद कण के रूप में होता है. यह नमक और लाल मिर्च के मिश्रण की तरह दिखाई देता है. उसको गर्म पानी में घोलते हैं तो आप देखते हैं लाल रंग का मिर्च के पाउडर की पानी के ऊपर तैरता हुआ मिलेगा. यही असली पोटाश की पहचान होती है.
(Shahdol agricultural scientist BK Prajapati) (Methods of identification of original and fake fertilizers) (Identification of original DAP)