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तीन बेटों ने किया बूढ़ी मां को बेघर, कर रही है शौचालय में गुजर-बसर
एक मां को उसके तीन बेटों ने घर से बाहर निकाल दिया है इसलिए वो शौचालय में रहकर जीवन बसर कर रही है. उसकी परेशानी सुनने के बाद तहसीलदार ने उसकी मदद करने का आश्वासन दिया है.
शौचालय में रह रही महिला।
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Published : Mar 24, 2019, 4:05 PM IST
सतना। एक मां जिसने अपने बच्चों को बड़ी उम्मीदों और लाड़-प्यार से पाला था, यह सोच कर कि वो उसके बुढ़ापे का सहारा बनेगा. लेकिन सतना में शैतान बेटों ने मां पर न सिर्फ जुल्म ढाया जिसे सुन आपका भी मन बेचैन हो जाएगा. जिन्हें महिला ने बुढा़पे का लाठी समझ बड़े लाड़ प्यार से पाला था उन्होंने ही उसे घर से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया है. बेटों की शर्मनाक करतूत से परेशान मां खुद बता रही है अपने दर्द की कहानी.
पूरा मामला अमरपाटन तहसील के बर्रेह गांव का है. बिटनिया बाई तीन बेटे होने के बावजूद शौचालय में गुजर-बसर कर रही है. आपको शायद लगे कि बेटों की गरीबी और तंगहाली की वजह से ऐसा हो रहा है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. तीनों बेटों के पास अपने अलग-अलग घर हैं लेकिन उन्होंने अपनी मां को ही बेघर कर दिया है. जनप्रतिनिधि यानी गांव के सरपंच से महिला की परेशानी को लेकर बात की गई तो साहब एक्पर्ट की तरह तपाक से बोले कि सब कुछ नाटक है.हालांकि तहसीलदार महिला की मदद करने की बात कह रहे हैं.
प्रशासन की ओर से महिला की मदद का भरोसा तो दिया गया है, लेकिन इसे अमलीजामा कब तक पहनाया जाएगा और बजुर्ग को इस नारकीय जीवन से मुक्ति मिलेगी.
सतना। एक मां जिसने अपने बच्चों को बड़ी उम्मीदों और लाड़-प्यार से पाला था, यह सोच कर कि वो उसके बुढ़ापे का सहारा बनेगा. लेकिन सतना में शैतान बेटों ने मां पर न सिर्फ जुल्म ढाया जिसे सुन आपका भी मन बेचैन हो जाएगा. जिन्हें महिला ने बुढा़पे का लाठी समझ बड़े लाड़ प्यार से पाला था उन्होंने ही उसे घर से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया है. बेटों की शर्मनाक करतूत से परेशान मां खुद बता रही है अपने दर्द की कहानी.
पूरा मामला अमरपाटन तहसील के बर्रेह गांव का है. बिटनिया बाई तीन बेटे होने के बावजूद शौचालय में गुजर-बसर कर रही है. आपको शायद लगे कि बेटों की गरीबी और तंगहाली की वजह से ऐसा हो रहा है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. तीनों बेटों के पास अपने अलग-अलग घर हैं लेकिन उन्होंने अपनी मां को ही बेघर कर दिया है. जनप्रतिनिधि यानी गांव के सरपंच से महिला की परेशानी को लेकर बात की गई तो साहब एक्पर्ट की तरह तपाक से बोले कि सब कुछ नाटक है.हालांकि तहसीलदार महिला की मदद करने की बात कह रहे हैं.
प्रशासन की ओर से महिला की मदद का भरोसा तो दिया गया है, लेकिन इसे अमलीजामा कब तक पहनाया जाएगा और बजुर्ग को इस नारकीय जीवन से मुक्ति मिलेगी.
Intro:एंकर इंट्रो --
" पूत कपूत ता का धन संचय और पूत सपूत ता का धन संचय" बुजुर्गों की यह कहावत सतना में चरितार्थ हुई है,,टूटते रिश्ते शर्मसार कर देने वाली यह तस्वीर आपके सामने आए तीन बेटे होते हुए भी एक मां शौचालय में रहने को मजबूर है,,मां अपने ही घर के शौचालय में रहती, खाती और सोती है, और तीनों बेटा बहू बच्चे उसी घर में आराम से रहते हैं,,बृद्ध मां गांव में मांग कर अपना पेट पालती है,, रिश्तो को तार-तार करने वाली आपबीती एक माँ रुँधे गले से खुलकर बता रही है,, अपराध की दुर्दशा पर एक ग्रामीण प्रशासन से दुहाई दे रहा है,, मामला तूल पकड़ते देख सरकारी अफसर मजबूर लाचार मां को पागल बता रहे हैं ।
Body:VO 1------
सतना जिले के अमरपाटन तहसील के बर्रेह गांव की तस्वीर ने मां शब्द के मायने बदल कर रख दिए हैं,,तीनो बेटे रामदास,मुन्नालाल और प्रेमलाल साकेत के होते हुए,70 वर्षीय माँ बिटनिया बाई शौचालय में रहने सोने,खाने को मजबूर है,,बेटो की बेरुखी के चलते माँ गाँव से माँगकर अपना पेट पाल लेती हैं,, बेदर्द बेशर्म तीन बेटे उसी घर में ठाठ से रहते हैं मां को इस हाल में देखकर,, बेटों की हलक से निवाला और आंखों में सुकून की नींद कैसे आ जाती है,,यह शोध का विषय है,,तीनों बेटे जोरू के गुलाम हैं,, उनकी पत्नियों से मां की ना पटने से रोजाना लड़ाई होती है,, झगड़ा होता था,,इसी कुर्बानी की मिसाल एक मां बेटों के पारिवारिक सुकून के लिए खुद अपना जीवन कष्टमय बना लिया,, और घर के शौचालय में अपना आशियाना बना कर रहने लगी ।
VO 2------
दरअसल बिटनिया बाई के पति कंनछेदी साकेत का 2 साल पहले निधन हो गया था,, जीवन काल में ही तीनों बेटों को बीच घर संपत्ति का बंटवारा कर दिया था,,बुढ़ापे में बैठे मां का ख्याल रखेंगे इस संभावना के चलते बिटनिया बाई के नाम कुछ नहीं छोड़ा,, पिता कंनछेदीलाल साकेत का निधन होते ही मां को रखने खिलाने पिलाने को लेकर तीनों बेटे बहुओं में कलह लड़ाई,झगड़ा शुरू हो गया,, बेटों को सुकून और घर की शांति के खातिर एक मां ने घर को त्याग कर शौचालय में डेरा डाल दिया,, खबर लगते ही मीडिया ने जब बर्रेह गांव पहुंची तो बेशर्म बेटे एक दूसरे पर ठिठका फोड़ते दिखे,, वहीं वैद्य मां की दुर्दशा पर ग्रामीण बुजुर्ग सरपंच सचिव और अफसरों की अनदेखी की बात बताते हुए मदद की गुहार लगा रहे हैं ।
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बिटनिया बाई -- पीड़ित माँ बर्रेह गांव ।
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रामधनी साकेत --- स्थानीय सजग ग्रामीण ।
VO 3-----
सरकार दर्जनभर योजनाओं के जरिए करोड़ों रुपए गरीब निराश्रित पर खर्च करने का दावा करती है,, लेकिन शायद योजनाएं बर्रेह गांव आते आते दम तोड़ देती है,, सरपंच सचिव से लेकर आला अफसर 2 साल से नारकीय जीवन में जी रही वृद्ध महिला की तरफ तवज्जो नहीं दे रही,, सतना के बर्रेह गाँव में इंसानियत शर्मसार करने वाली इन तस्वीरों को देखकर शायद प्रदेश सरकार हरकत में आए,, और वक्त की मारी एक आंवला कम से कम जिंदगी के बचे दिनों को इंसानों की तरह जी सकें,, मीडिया के दखल के बाद गांव के सरपंच ने उसे पागल बताया,, और कहते हैं कि वह ड्रामा कर रही है एक जनप्रतिनिधि का इस प्रकार से गैर जिम्मेदाराना बयान कहीं ना कहीं सवाल खड़े कर रहा है ।
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सावंत सिंह -- सरपंच बर्रेह गाँव ।
Conclusion:VO 4----
वर्तमान समाज में इंसानी रिश्तो की सरगर्मी खत्म होती दिख रही है,, ब्रह्मांड के सबसे असली और पवित्र मां बेटे की रिश्ते की शिद्दत में गिरावट दिख रही है,, ऐसी घटनाएं सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरनाक संकेत है,,समाज और सामाजिक चिंतकों ने अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया तो सामाजिक विघटन बेटों पर बुजुर्ग मां का लालन पालन करना ना सिर्फ इंसान ही बल्कि कानूनी तौर पर बाध्यता है,,बिना शिकायत स्वयं संज्ञान लेकर पुलिस बेटों को गिरफ्तार कर अदालत में मुकदमा चला सकती है,, और तीनों बेटों को जेल की चक्की पीस सकते हैं,, लेकिन यह हो न सका ...।