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Congress President Election दिग्विजय सिंह के समर्थकों को पूरा भरोसा - मां नर्मदा के आशीर्वाद से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे - नर्मदा परिक्रमा का असर 2018 के चुनाव में

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद (Congress president election) के लिए हो रहे चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रबल दावेदार के रूप में उभरे हैं. दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को एआईसीसी पहुंचकर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्र लिया और शुक्रवार 11:30 पर वह नामांकन दाखिल (Digvijay singh file to nomination) करने जा रहे हैं. खास बात ये है कि आज 30 सितंबर को दिग्विजय सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर रहे हैं और ठीक 5 साल पहले उन्होंने 30 सितंबर को हुई नरसिंहपुर जिले के नर्मदा नदी के बरमान घाट से नर्मदा परिक्रमा शुरू की थी. अब दिग्विजय सिंह समर्थकों को पूरा विश्वास (Digvijay supporters confidence) है कि मां नर्मदा की आशीर्वाद उन्हें अवश्य मिलेगा और वह राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे. (Congress president election) (Digvijay supporters confidence) (Blessings of maa Narmada) (National president of Congress) (Digvijay singh file to nomination)

Digvijay supporters confidence Congress president election
दिग्विजय सिंह के समर्थकों को पूरा भरोसा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे
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Published : Sep 30, 2022, 9:55 AM IST

सागर। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह अपने बेबाक बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं. सर्वधर्म समभाव की कांग्रेस की विचारधारा को आगे बढ़ाने के एवज में उन्हें मुस्लिम परस्त का तमगा दिया जाता है. लेकिन ठीक साल ठीक 5 साल पहले 30 सितंबर 2017 को उनके तमाम विरोधी आश्चर्यचकित रह गए थे, जब दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा (Narmada parikrama Digvijay Singh) पैदल करने का ऐलान किया था. दिग्विजय सिंह ने नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट से पूजा अर्चना के बाद नर्मदा परिक्रमा शुरू की थी.

Digvijay supporters confidence Congress president election
दिग्विजय सिंह के समर्थकों को पूरा भरोसा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे

नर्मदा परिक्रमा का असर 2018 के चुनाव में दिखा था : नर्मदा परिक्रमा करीब 192 दिन चली थी और 192 दिनों में दिग्विजय सिंह ने करीब 33 सौ किमी का सफर पैदल तय किया था. कहा जाता है कि नर्मदा परिक्रमा से मध्य प्रदेश कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ा था और उसी का नतीजा था कि 2018 में 15 साल बाद कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में जीत हासिल की थी. दरअसल, दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा में से करीब 144 विधानसभा से होकर गुजरी थी. जहां उनका स्वागत करने के लिए काफी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता नेता और समर्थक पहुंचते थे. हालाकि यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह ने किसी तरह की सियासी बयानबाजी नहीं की थी. लेकिन पैदल चलकर उन्हें जो अनुभव हासिल हुआ था, वह 2018 चुनाव में काफी कारगर साबित हुआ.

Digvijay supporters confidence Congress president election
दिग्विजय सिंह के समर्थकों को पूरा भरोसा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे

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क्या फिर इतिहास रचेंगे दिग्विजय सिंह : ठीक 5 साल बाद 30 सितंबर 2022 को आज फिर मौका आया है, जब दिग्विजय सिंह अपने राजनैतिक जीवन का सबसे बड़ा पद हासिल करने के लिए नामांकन दाखिल करने वाले हैं. नर्मदे हर के जयकारे के साथ अपना हर काम शुरू करने वाले दिग्विजय सिंह की मां नर्मदा में आस्था को लेकर किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है और ऐसी स्थिति में उनके समर्थकों और नेताओं को भरोसा है कि मां नर्मदा अपने भक्त के लिए भरपूर आप आशीर्वाद देंगी और दिग्विजय सिंह देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे.

सागर। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह अपने बेबाक बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं. सर्वधर्म समभाव की कांग्रेस की विचारधारा को आगे बढ़ाने के एवज में उन्हें मुस्लिम परस्त का तमगा दिया जाता है. लेकिन ठीक साल ठीक 5 साल पहले 30 सितंबर 2017 को उनके तमाम विरोधी आश्चर्यचकित रह गए थे, जब दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा (Narmada parikrama Digvijay Singh) पैदल करने का ऐलान किया था. दिग्विजय सिंह ने नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट से पूजा अर्चना के बाद नर्मदा परिक्रमा शुरू की थी.

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नर्मदा परिक्रमा का असर 2018 के चुनाव में दिखा था : नर्मदा परिक्रमा करीब 192 दिन चली थी और 192 दिनों में दिग्विजय सिंह ने करीब 33 सौ किमी का सफर पैदल तय किया था. कहा जाता है कि नर्मदा परिक्रमा से मध्य प्रदेश कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ा था और उसी का नतीजा था कि 2018 में 15 साल बाद कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में जीत हासिल की थी. दरअसल, दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा में से करीब 144 विधानसभा से होकर गुजरी थी. जहां उनका स्वागत करने के लिए काफी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता नेता और समर्थक पहुंचते थे. हालाकि यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह ने किसी तरह की सियासी बयानबाजी नहीं की थी. लेकिन पैदल चलकर उन्हें जो अनुभव हासिल हुआ था, वह 2018 चुनाव में काफी कारगर साबित हुआ.

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क्या फिर इतिहास रचेंगे दिग्विजय सिंह : ठीक 5 साल बाद 30 सितंबर 2022 को आज फिर मौका आया है, जब दिग्विजय सिंह अपने राजनैतिक जीवन का सबसे बड़ा पद हासिल करने के लिए नामांकन दाखिल करने वाले हैं. नर्मदे हर के जयकारे के साथ अपना हर काम शुरू करने वाले दिग्विजय सिंह की मां नर्मदा में आस्था को लेकर किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है और ऐसी स्थिति में उनके समर्थकों और नेताओं को भरोसा है कि मां नर्मदा अपने भक्त के लिए भरपूर आप आशीर्वाद देंगी और दिग्विजय सिंह देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे.

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