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बंद शहर में लकड़ी बेचने निकलीं महिलाएं, बच्चों का पेट भरने के लिए कर रहीं ये सब

पन्ना जिले में कुछ मजदूर महिलाएं अपने बच्चों का पेट भरने के लिए गांव में लकड़ी बेचने को मजबूर है उनका कहना है कि प्रशासनिक तौर पर उनकी कोई मदद नहीं की जा रही है.

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बंद शहर में लकड़ी बेचने निकली महिलाएं
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Published : Apr 11, 2020, 4:26 PM IST

पन्ना। लॉकडाउन के चलते शहर की सड़कें वीरान हैं. लॉकडाउन में योगदान को प्रभावी बनाने के लिए 12 से 15 अप्रैल तक किराना दुकानों को 4 घंटे के लिए खोलने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में शहर पूरी तरह बंद है इसी बीच वीरान सड़कों पर कुछ महिलाएं सिर पर भारी भरकम लकड़ी का गठरा रखें इन्हें बेचने की आस में निकली लेकिन शहर बंद होने के कारण बेहद हताश दिखीं.

इन महिलाओं से जब पूछा गया कि क्या उन्हें नहीं पता कि लॉकडाउन है और सभी को घरों में रहने को कहा गया है ऐसे में उनका जवाब था कि पेट के लिए कुछ तो करना ही होगा नहीं तो बच्चे भूखे मर जाएंगे. लकड़ी बेचने निकली इन महिलाओं में एक गुलाब बाई ने बताया कि उन्हें शासन द्वारा कोई खाद्यान उपलब्ध नहीं कराया गया है ना ही उन्हें राशन मिला और ना ही खाना. ऐसे में उनके पास लकड़ी बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. वहीं ममता बाई ने बताया कि वे सभी लोग जनवार गांव के निवासी हैं और किसानों के खेतों की रखवाली करती हैं.

महिलाओं ने सीधे तौर पर कहा कि यदि प्रशासन उन्हें कोई व्यवस्था कर दे तो फिर उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है. इस बात की जानकारी लगते ही कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने कहा कि ऐसे लोगों को लगातार खाद्यान सामग्री पहुंचाई जा रही है. तहसीलदारों को निर्देश है कि जिनके पास पात्रता भी नहीं है और राशन खत्म हो गया है उन्हें राशन उपलब्ध कराया जाए. इन महिलाओं को भी खाद्यान्न उपलब्ध करा दिया जाएगा.

पन्ना। लॉकडाउन के चलते शहर की सड़कें वीरान हैं. लॉकडाउन में योगदान को प्रभावी बनाने के लिए 12 से 15 अप्रैल तक किराना दुकानों को 4 घंटे के लिए खोलने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में शहर पूरी तरह बंद है इसी बीच वीरान सड़कों पर कुछ महिलाएं सिर पर भारी भरकम लकड़ी का गठरा रखें इन्हें बेचने की आस में निकली लेकिन शहर बंद होने के कारण बेहद हताश दिखीं.

इन महिलाओं से जब पूछा गया कि क्या उन्हें नहीं पता कि लॉकडाउन है और सभी को घरों में रहने को कहा गया है ऐसे में उनका जवाब था कि पेट के लिए कुछ तो करना ही होगा नहीं तो बच्चे भूखे मर जाएंगे. लकड़ी बेचने निकली इन महिलाओं में एक गुलाब बाई ने बताया कि उन्हें शासन द्वारा कोई खाद्यान उपलब्ध नहीं कराया गया है ना ही उन्हें राशन मिला और ना ही खाना. ऐसे में उनके पास लकड़ी बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. वहीं ममता बाई ने बताया कि वे सभी लोग जनवार गांव के निवासी हैं और किसानों के खेतों की रखवाली करती हैं.

महिलाओं ने सीधे तौर पर कहा कि यदि प्रशासन उन्हें कोई व्यवस्था कर दे तो फिर उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है. इस बात की जानकारी लगते ही कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने कहा कि ऐसे लोगों को लगातार खाद्यान सामग्री पहुंचाई जा रही है. तहसीलदारों को निर्देश है कि जिनके पास पात्रता भी नहीं है और राशन खत्म हो गया है उन्हें राशन उपलब्ध कराया जाए. इन महिलाओं को भी खाद्यान्न उपलब्ध करा दिया जाएगा.

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