नीमच। बैंड संचालकों के लिए कोरोना काल एक अभिशाप बनकर आया है. बैंड बाजा व्यवसायी सीजन में बैंड नहीं बजने से पाई-पाई के लिए मोहताज हो गए हैं. ऐसे में सरकार ने इस उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया. अनलॉक होने के बाद कुछ उम्मीद जगी थी, लेकिन सीजन ही चला गया. बैंडबाजा कलाकारों ने ज्ञापन दिए, अनुरोध किया, लेकिन किसी ने भी इनके दर्द पर मरहम लगाने की जहमत नहीं उठाई. चारों ओर से मदद की उम्मीद खो बैठे बैंडबाजा कलाकारों को सड़क पर संगीत की धुन के साथ उतरने पर मजबूर होना पड़ा और मनासा क्षेत्र के बैंडबाजा कलाकार मंडी गेट पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए.
कोरोना महामारी के चलते आर्थिक संकट का सामना कर रहे बैंडबाजा व्यवसाइयों ने शासन से राहत देने की मांग की है. धंधा ठप्प होने से घर खर्च के लिए भी मोहताज हो चुके संगीत कलाकार सड़क पर सुरों की महफिल सजाकर शासन से अपनी व्यथा का बखान कर रहे हैं. धरने से पूर्व संगठन के सदस्यों ने विधायक और प्रशासन को ज्ञापन देकर मदद उपलब्ध कराने की गुहार लगाई है.
सात माह से कोरोना के कारण बेरोजगारी का दंश झेल रहे 'शारदे बैंड' के कलाकार श्रमिक संगठन मनासा ने स्थानीय कृषि मंडी चौराहे पर अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन किया. धरना स्थल पर सभी कलाकार वाद्य यंत्रों पर संगीत की प्रस्तुति देकर अपना दर्द सरकार तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. उनके दर्द भरे नारे भी संगीत के सुरों से सज रहे हैं. संगठन अध्यक्ष प्रमोद गंधर्व ने बताया कि सरकार ने कोरोना महामारी के चलते बीते मार्च से ही सभी सामाजिक, वैवाहिक और धार्मिक आयोजन पर रोक लगा रखी है. जिसकी वजह से हम बैंड बाजा कलाकार बेरोजगारी में जीवन यापन कर रहे हैं.
बैंड संचालकों का कहना है कि शासन ने सभी व्यवसायियों को राहत देने के साथ ही संचालित करने की अनुमति दे दी है, लेकिन हमारे व्यवसाय की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया है. बैंड संचालकों को राहत देने के लिए सरकार ने कोई राहत घोषणा नहीं की है, जिसके चलते बैंड संचालकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.