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कल्पवृक्ष के नीचे बैठने से लोगों की मनोकामनाएं होती हैं पूरी, भगवान का स्वरूप मान कर पूजते हैं रहवासी - भगवान इंद्र

मंदसौर जिले में कल्पवृक्ष के 10 पेड़ खड़े हैं. ग्राम कुंचडोद की चौपाल पर खड़ा हरा भरा पेड़ इनमें से सबसे पुराना और मोटा बताया जाता है. इसकी मोटाई 12 मीटर यानी 39 फीट बड़ी है. सदियों से गांव के लोग इस पेड़ के नीचे ही गांव की चौपाल लगाते आ रहे हैं. गांव के लोग वृक्ष को हजार रुंख यानी हजार साल पुराना वृक्ष के नाम से भी पुकारते हैं. ग्रामीण इस पेड़ को भगवान की प्रतिमा मानकर पूजा पाठ भी करते हैं.

People living in Kalpavriksha worship
कल्पवृक्ष की रहवासी करते है पूजा
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Published : Aug 30, 2020, 2:52 PM IST

Updated : Aug 31, 2020, 5:38 PM IST

मंदसौर। पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व रखने वाले कल्पवृक्ष का उल्लेख वेद और पुराणों में भी मिलता है. हिंदू मान्यता के मुताबिक कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्न निकले थे, जिसमें से एक कल्पवृक्ष भी था. जिसके बाद इस रत्न को इंद्र देव को सौंपा गया था, तब से यह वृक्ष भारत के तटवर्ती इलाकों के साथ ही देश के कई हिस्सों में पहुंचे हैं. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि कल्पवृक्ष के नीचे बैठने से इंसान के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

पौराणिक महत्व रखता है कल्पवृक्ष

मंदसौर जिले में कल्पवृक्ष के 10 पेड़ खड़े हैं. ग्राम कुंचडोद की चौपाल पर खड़ा हरा भरा पेड़ इनमें से सबसे पुराना और मोटा बताया जाता है. इसकी मोटाई 12 मीटर यानी 39 फीट बड़ी है. सदियों से गांव के लोग इस पेड़ के नीचे ही गांव की चौपाल लगाते आ रहे हैं. गांव के लोग वृक्ष को हजार रुंख यानी हजार साल पुराना वृक्ष के नाम से भी पुकारते हैं. ग्रामीण इस पेड़ को भगवान की प्रतिमा मानकर पूजा पाठ भी करते हैं.

Sitting under the Kalpavriksha fulfills the wishes of the people
भगवान की प्रतिमा की तरह पूजे है लोग

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से कल्पवृक्ष की उम्र 4 हजार साल मानी गई है. करीब 100 फीट की ऊंचाई वाला वाले इस विशाल पेड़ का तना अमूमन 40 फीट गोलाई के मोटे आकार वाला होता है. मांडव गढ़ के अलावा मंदसौर जिले में खड़े विशालकाय पेड़ों को सामान्य उर्दू भाषा में खुरासानी इमली के नाम से जाना जाता है. मंदसौर के कुंचडोद में खड़े इस पेड़ के नीचे ग्रामवासी हर साल गणेश प्रतिमा की और दुर्गा प्रतिमा की स्थापना करते हैं. बुजुर्गों के मुताबिक महिलाएं इस पेड़ की अमावस्या पर पूजा भी करती है. भगवान इंद्र का रूप होने से यहां के लोग बरसात के पहले मानसून की आमद भी इसी पेड़ के हरे भरे होने के संकेत से लगाते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक गर्मी के सीजन खत्म होने के बाद जब इस पेड़ की कोंपलें फूट कर आना शुरू हो जाती हैं, तो एक हफ्ते भर के भीतर ही मानसून आ जाता है.

Kalpavriksha rises 100 feet high
100 फीट ऊंचा होता है कल्पवृक्ष

ग्राम कुंचडोद के तमाम लोग तीज त्योहार के साथ ही गांव के विवादों के फैसले भी इसी पेड़ के नीचे बनी चौपाल पर बैठ कर करते हैं. पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व की हरी-भरी धरोहर के संरक्षण के मामले में मंदसौर के इतिहासकार कैलाश चंद्र पांडे ने वन विभाग से अपील की है.

मंदसौर। पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व रखने वाले कल्पवृक्ष का उल्लेख वेद और पुराणों में भी मिलता है. हिंदू मान्यता के मुताबिक कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्न निकले थे, जिसमें से एक कल्पवृक्ष भी था. जिसके बाद इस रत्न को इंद्र देव को सौंपा गया था, तब से यह वृक्ष भारत के तटवर्ती इलाकों के साथ ही देश के कई हिस्सों में पहुंचे हैं. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि कल्पवृक्ष के नीचे बैठने से इंसान के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

पौराणिक महत्व रखता है कल्पवृक्ष

मंदसौर जिले में कल्पवृक्ष के 10 पेड़ खड़े हैं. ग्राम कुंचडोद की चौपाल पर खड़ा हरा भरा पेड़ इनमें से सबसे पुराना और मोटा बताया जाता है. इसकी मोटाई 12 मीटर यानी 39 फीट बड़ी है. सदियों से गांव के लोग इस पेड़ के नीचे ही गांव की चौपाल लगाते आ रहे हैं. गांव के लोग वृक्ष को हजार रुंख यानी हजार साल पुराना वृक्ष के नाम से भी पुकारते हैं. ग्रामीण इस पेड़ को भगवान की प्रतिमा मानकर पूजा पाठ भी करते हैं.

Sitting under the Kalpavriksha fulfills the wishes of the people
भगवान की प्रतिमा की तरह पूजे है लोग

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से कल्पवृक्ष की उम्र 4 हजार साल मानी गई है. करीब 100 फीट की ऊंचाई वाला वाले इस विशाल पेड़ का तना अमूमन 40 फीट गोलाई के मोटे आकार वाला होता है. मांडव गढ़ के अलावा मंदसौर जिले में खड़े विशालकाय पेड़ों को सामान्य उर्दू भाषा में खुरासानी इमली के नाम से जाना जाता है. मंदसौर के कुंचडोद में खड़े इस पेड़ के नीचे ग्रामवासी हर साल गणेश प्रतिमा की और दुर्गा प्रतिमा की स्थापना करते हैं. बुजुर्गों के मुताबिक महिलाएं इस पेड़ की अमावस्या पर पूजा भी करती है. भगवान इंद्र का रूप होने से यहां के लोग बरसात के पहले मानसून की आमद भी इसी पेड़ के हरे भरे होने के संकेत से लगाते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक गर्मी के सीजन खत्म होने के बाद जब इस पेड़ की कोंपलें फूट कर आना शुरू हो जाती हैं, तो एक हफ्ते भर के भीतर ही मानसून आ जाता है.

Kalpavriksha rises 100 feet high
100 फीट ऊंचा होता है कल्पवृक्ष

ग्राम कुंचडोद के तमाम लोग तीज त्योहार के साथ ही गांव के विवादों के फैसले भी इसी पेड़ के नीचे बनी चौपाल पर बैठ कर करते हैं. पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व की हरी-भरी धरोहर के संरक्षण के मामले में मंदसौर के इतिहासकार कैलाश चंद्र पांडे ने वन विभाग से अपील की है.

Last Updated : Aug 31, 2020, 5:38 PM IST
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