मंडला। मध्यप्रदेश का मंडला जिला ऐतिहासिक और पुरातत्व की लिहाज से समृद्ध माना गया है. यहां हजारों साल पुराने जीवाश्म मिलते हैं. आज ईटीवी भारत आपको जिला पुरातत्व संग्रहालय की बिल्डिंग से रूबरू करा रहा है, जिसको 100 साल पूरे हो चुके हैं. कभी अपनी खूबसूरती से पूरे प्रदेश में पहचान रखने वाली ये बिल्डिंग आज जर्जर हो चुकी है और इसके कायाकल्प की कवायद पिछले तीन साल से चल रही हे, जो आज तक पूरी नहीं हो पायी.
इस बिल्डिंग का निर्माण अग्रेजों के द्वारा 1919 में कराया गया था. पुरातत्व विभाग इस भवन को सुरक्षित करना चाहता था, इसके लिए नवीन उपाध्यय नाम के ठेकेदार ने करीब 19 लाख में इसका ठेका लिया, लेकिन इसका कायाकल्प अब तक नहीं हो पाया है. निर्माण कार्य के दौरान बिल्डिंग में तोड़फोड़ की गई, जिससे मूर्तियों को काफी नुकसान पहुंचा है. पुरातत्व विभाग सिर्फ मूक दर्शक बना सबकुछ देखता रहा, क्योंकि दिए गए ठेके में मूर्तियों को हटाने का उल्लेख नहीं किया गया, लिहाजा यहां मौजूद मूर्तियों पर मलवा गिरने से उन्हें काफी नुकसान पहुंचा.
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2018 में शुरू हुआ जीर्णोद्धार का काम 8 महीने में पूरा होना था, जो आज तक अधूरा है. इसके लिए पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने सैकड़ों पत्र लिखे, हालांकि ठेकेदार पर उनका कोई फर्क नहीं पड़ा और न ही विभाग ने ठेका रद्द किया. इसी के चलते यहां आने वाले दर्शकों और पुरातत्व के शोधकर्ताओं को बेशकीमती मूर्तियों का दीदार किए बिना निराश होकर वापस लौटना पड़ता है.
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भवन के जीर्णोद्धार की सोच तो अच्छी थी, लेकिन पूरी तैयारी किए बिना दिया गया ठेका और अनुभव हीन ठेकेदार के साथ ही पुरातत्व विभाग ने भी इस संग्रहालय के महत्व को नहीं समझा. यही वजह है कि इतिहास को बचाने के लिए उन धरोहरों को ही दरकिनार कर दिया गया, जिनके चलते ये विभाग और भवन है.
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