झाबुआ। जिले के पेटलावद विकासखंड के नाहरपुरा गांव की आदिवासी महिला की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद जिले में कोरोना की एंट्री हो गई है. महामारी की एंट्री के साथ ही झाबुआ में प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठने लगे हैं. पॉजिटिव महिला की जानकारी मिलने के बाद जिले के आला अधिकारी बुधवार को उस महिला के गांव पहुंचे थे. इस दौरान अधिकारियों और मेडिकल स्टाफ ने सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखा और बिना पीपीई किट के ही मरीजों, रिश्तेदारों के संपर्क में आए.
प्रशासनिक व्यवस्थाओं की चूक
पॉजिटिव महिला को क्वॉरेंटाइन सेंटर से जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट करने के दौरान महिला को जिस एंबुलेंस से जिला अस्पताल रेफर किया गया. उसी एंबुलेंस में उस महिला के पति और छोटे बच्चे को भी बैठाया गया, जबकि अभी वे दोनों कोरोना से संक्रमित नहीं हुए हैं. इसे प्रशासनिक व्यवस्थाओं की बड़ी लापरवाही माना जा रहा है.
झाबुआ में प्रशासनिक व्यवस्थाओं की बानगी इसी बात से लगाई जा सकती है की तीसरी चूक जिला अस्पताल में हुई, जब कोरोना वायरस से पीड़ित महिला एंबुलेंस से उतर रही थी उस दौरान भी मेडिकल स्टाफ के सदस्यों ने पूरी पीपीई किट नहीं पहनी थी. जबकि सेनिटाइजेशन का काम करने वाले कर्मचारी ने अपनी पूरी किट पहनी हुई थी. झाबुआ जिला चिकित्सालय को विधायक ने 11 लाख की मेडिकल सामग्री दी है. इसके बावजूद कर्मचारियों को आखिर क्यों उपलब्ध नहीं कराई जा रही है, ये जांच का विषय है.