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महंगाई से त्राहिमाम! पेट्रोल-डीजल ने लगाई फल-सब्जियां में 'आग'

पेट्रोल-डीजल के बढ़े हुए दामों ने आम आदमी के साथ ही, सब्जी व्यापारियों को भी परेशान किया. लंबी दूरी से आने वाले फल और सब्जी की आवक घटी. स्थानीय सब्जी उत्पादक अपने उत्पाद को बाहर नहीं भेज पा रहे हैं.

Inflation to quarter
महंगाई से त्राहि त्राहि
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Published : Feb 25, 2021, 7:38 PM IST

Updated : Feb 25, 2021, 10:50 PM IST

जबलपुर। पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ते हुए दामों ने हर वर्ग पर असर डाला है. इसका सीधा असर सब्जियों की कीमत पर नजर आ रहा है. जबलपुर सब्जी की एक बड़ी मंडी है और यहां से जबलपुर के आसपास के कई जिलों में सब्जी जाती है और कई जिलों से सब्जी आती है. इसके साथ ही कुछ सब्जियां और फल देश के दूसरे प्रदेशों से भी यहां आते हैं और इन सब के दामों पर पेट्रोल-डीजल की कीमत का असर महसूस किया जा सकता है.

Inflation to quarter
महंगाई से त्राहि त्राहि

जबलपुर में सब्जी के दाम

जबलपुर में इन दिनों प्याज 50 किलो बिक रहा है और जबलपुर में नासिक और खंडवा से प्याज लाया जाता है. डीजल के बढ़ते हुए दामों की वजह से प्याज लगभग 10 तेज है यदि डीजल इतना अधिक नहीं बड़ा होता तो प्याज की कीमत 40 के करीब होनी चाहिए थी. यही स्थिति लहसुन में है. लहसुन नया 100 किलो है और पुराना लहसुन 200 किलो तक बिक रहा है. लहसुन देश की कई मंडियों से यहां पहुंचता है, इसलिए लहसुन के दाम भी तेज है. अचार वाली लाल मिर्च 80 किलो बिक रही है या आगरा से जबलपुर आती है यही स्थिति फल के दामों की भी है. जबलपुर में पपीता आंध्र प्रदेश से आता है जो पपीता 15 से 20 किलो बिकता था, उसमें दोगुने की तेजी है और पपीता 25 से 30 किलो बिक रहा है. इसी तरीके से केला, महाराष्ट्र के भुसावल से आता है और संतरा, नागपुर से आता है और जो फल जितनी दूरी से आता है उस पर भाड़े का असर उतना अधिक दिख रहा है.

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महंगाई से त्राहि त्राहि

टमाटर और स्थानीय उत्पादों पर बुरा असर

एक तरफ डीजल के बढ़ते हुए दामों की वजह से बाहर से आने वाली सब्जियां महंगी है. दूसरी ओर जबलपुर से बाहर जाने वाली सब्जियों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. जबलपुर में इन दिनों टमाटर का उत्पादन अच्छा हो रहा है, लेकिन टमाटर को व्यापारी भाड़ा लगाकर बाहर बेचने को तैयार नहीं है. इसलिए जबलपुर में टमाटर के दाम में भारी गिरावट है और टमाटर मात्र पांच किलो तक बिक रहा है और थोड़ी सी भी यदि क्वालिटी ठीक नहीं है तो टमाटर फेंकने की स्थिति में भी हैं. किसान इसे फेंककर भी जा रहे हैं कुछ ऐसा ही हाल शिमला मिर्च का है. आज कल शिमला मिर्च जबलपुर के आसपास बड़ी मात्रा में उगाई जाती है.

पेट्रोल-डीजल ने लगाई फल-सब्जियां में 'आग'

डीजल और पेट्रोल के बढ़े हुए दामों की वजह से व्यापारियों की जोखिम उठाने की क्षमता घट गई है. इसलिए फल और सब्जी के मामले में आवक पर असर भी पड़ा है. लोग ज्यादा भाला लगाकर फल और सब्जी बुलवाना नहीं चाह रहे हैं, क्योंकि यदि सही दाम नहीं मिले तो नुकसान ज्यादा हो सकता है.

जबलपुर। पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ते हुए दामों ने हर वर्ग पर असर डाला है. इसका सीधा असर सब्जियों की कीमत पर नजर आ रहा है. जबलपुर सब्जी की एक बड़ी मंडी है और यहां से जबलपुर के आसपास के कई जिलों में सब्जी जाती है और कई जिलों से सब्जी आती है. इसके साथ ही कुछ सब्जियां और फल देश के दूसरे प्रदेशों से भी यहां आते हैं और इन सब के दामों पर पेट्रोल-डीजल की कीमत का असर महसूस किया जा सकता है.

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जबलपुर में सब्जी के दाम

जबलपुर में इन दिनों प्याज 50 किलो बिक रहा है और जबलपुर में नासिक और खंडवा से प्याज लाया जाता है. डीजल के बढ़ते हुए दामों की वजह से प्याज लगभग 10 तेज है यदि डीजल इतना अधिक नहीं बड़ा होता तो प्याज की कीमत 40 के करीब होनी चाहिए थी. यही स्थिति लहसुन में है. लहसुन नया 100 किलो है और पुराना लहसुन 200 किलो तक बिक रहा है. लहसुन देश की कई मंडियों से यहां पहुंचता है, इसलिए लहसुन के दाम भी तेज है. अचार वाली लाल मिर्च 80 किलो बिक रही है या आगरा से जबलपुर आती है यही स्थिति फल के दामों की भी है. जबलपुर में पपीता आंध्र प्रदेश से आता है जो पपीता 15 से 20 किलो बिकता था, उसमें दोगुने की तेजी है और पपीता 25 से 30 किलो बिक रहा है. इसी तरीके से केला, महाराष्ट्र के भुसावल से आता है और संतरा, नागपुर से आता है और जो फल जितनी दूरी से आता है उस पर भाड़े का असर उतना अधिक दिख रहा है.

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टमाटर और स्थानीय उत्पादों पर बुरा असर

एक तरफ डीजल के बढ़ते हुए दामों की वजह से बाहर से आने वाली सब्जियां महंगी है. दूसरी ओर जबलपुर से बाहर जाने वाली सब्जियों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. जबलपुर में इन दिनों टमाटर का उत्पादन अच्छा हो रहा है, लेकिन टमाटर को व्यापारी भाड़ा लगाकर बाहर बेचने को तैयार नहीं है. इसलिए जबलपुर में टमाटर के दाम में भारी गिरावट है और टमाटर मात्र पांच किलो तक बिक रहा है और थोड़ी सी भी यदि क्वालिटी ठीक नहीं है तो टमाटर फेंकने की स्थिति में भी हैं. किसान इसे फेंककर भी जा रहे हैं कुछ ऐसा ही हाल शिमला मिर्च का है. आज कल शिमला मिर्च जबलपुर के आसपास बड़ी मात्रा में उगाई जाती है.

पेट्रोल-डीजल ने लगाई फल-सब्जियां में 'आग'

डीजल और पेट्रोल के बढ़े हुए दामों की वजह से व्यापारियों की जोखिम उठाने की क्षमता घट गई है. इसलिए फल और सब्जी के मामले में आवक पर असर भी पड़ा है. लोग ज्यादा भाला लगाकर फल और सब्जी बुलवाना नहीं चाह रहे हैं, क्योंकि यदि सही दाम नहीं मिले तो नुकसान ज्यादा हो सकता है.

Last Updated : Feb 25, 2021, 10:50 PM IST
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