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नई रेत नीति पर HC ने राज्य सरकार को भेजा नोटिस, चार हफ्ते में मांगा जवाब - New Sand Policy 2019

जबलपुर हाईकोर्ट में मध्यप्रदेश सरकार की नई रेत नीति को चुनौती दी गई है. याचिका पर हुई प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई तक राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जबाव मांगा है.

जबलपुर हाईकोर्ट
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Published : Sep 14, 2019, 6:58 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने नई रेत नीति 2019 लागू की है. जिसके प्रावधानों को कटघरे में खड़ा करते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. दायर याचिका में कहा गया है कि नई रेत नीति 2019 के प्रावधानों के तहत रेत भंडारण और बेचने के लिए दिए गए लाइसेंस जीरो घोषित कर दिए गए हैं. मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जबाव तलब किया है.

कमलनाथ सरकार की नई रेत नीति को हाईकोर्ट में चुनौती

पीड़ित ने कोर्ट को बताया है कि उसका क्या कुसूर है, जो उसका लाइसेंस रद कर दिया गया है. आवेदक का कहना है कि रेत नीति 2018 के प्रावधानों के तहत रेत भंडारण के लिए 5 साल और रेत बेचने के लिए 3 साल की अवधि के लिए लाइसेंस दिए गए थे, जिसे नई रेत नीति 2019 के नियम 17 (1) व 18 (1) के तहत शून्य घोषित कर दिया गया है.

याचिककर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि जब कानूनन ये लाइसेंस दिए गए हैं, तब उन्हें अचानक रद कर दिया गया, जोकि संवैधानिक हैं. याचिकाकर्ता कई ट्रक रेत की खरीददारी रॉयल्टी जमा करने के बाद की है. ऐसे में उसका लाइसेंस रद कर दिया गया है.

इस मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह में जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई एक नबंवर को तय की गयी है.

जबलपुर। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने नई रेत नीति 2019 लागू की है. जिसके प्रावधानों को कटघरे में खड़ा करते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. दायर याचिका में कहा गया है कि नई रेत नीति 2019 के प्रावधानों के तहत रेत भंडारण और बेचने के लिए दिए गए लाइसेंस जीरो घोषित कर दिए गए हैं. मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जबाव तलब किया है.

कमलनाथ सरकार की नई रेत नीति को हाईकोर्ट में चुनौती

पीड़ित ने कोर्ट को बताया है कि उसका क्या कुसूर है, जो उसका लाइसेंस रद कर दिया गया है. आवेदक का कहना है कि रेत नीति 2018 के प्रावधानों के तहत रेत भंडारण के लिए 5 साल और रेत बेचने के लिए 3 साल की अवधि के लिए लाइसेंस दिए गए थे, जिसे नई रेत नीति 2019 के नियम 17 (1) व 18 (1) के तहत शून्य घोषित कर दिया गया है.

याचिककर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि जब कानूनन ये लाइसेंस दिए गए हैं, तब उन्हें अचानक रद कर दिया गया, जोकि संवैधानिक हैं. याचिकाकर्ता कई ट्रक रेत की खरीददारी रॉयल्टी जमा करने के बाद की है. ऐसे में उसका लाइसेंस रद कर दिया गया है.

इस मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह में जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई एक नबंवर को तय की गयी है.

Intro:कमलनाथ सरकार की नई रेत नीति में खामी रेत भंडारण के शिवराज सरकार के दौरान दिए गए लाइसेंस बिना किसी कारण रद्द किए गये पीड़ित ने हाई कोर्ट में लगाई गुहार


Body:जबलपुर राज्य सरकार की रेत नीति 1 तारीख से लागू हो गई है लेकिन इसमें कई खामियां हैं इसके चलते हैं परेशान लोगों को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा रहा है

रेत ऐसा खनिज है जिसकी सबसे ज्यादा चोरी होती है और नेता अधिकारी माफिया और रेट कारोबारी सभी कहीं ना कहीं रेत के कारोबार से जरूर जुड़े हुए हैं और रेत का अवैध कारोबार पूरे प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा है कमलनाथ सरकार ने शिवराज सरकार के दौरान बनी रेत नीति को खारिज करते हुए नई रेत नीति बनाई जिसे 1 तारीख से लागू कर दिया गया है लेकिन इसमें एक प्रावधान है जिसके तहत रेत के कारोबार से जुड़े लोगों के पुराने लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिए जाएंगे शिवराज सरकार के दौरान रेत कारोबार के लिए भंडारण का लाइसेंस 3 साल के लिए दिया गया था और कई लोगों ने लाइसेंस बनवाए थे इन लोगों के पास बड़ी तादाद में रेत रखी हुई है इन सभी के सामने अब संकट खड़ा हो गया है सागर के एक रेत कारोबारी की रेत को अवैध घोषित करते हुए सरकार ने इसे नीलाम करने की घोषणा कर दी जबकि इस कारोबारी ने पिछले साल लाइसेंस लिया था जो अगले 3 सालों के लिए बनाया गया था पीड़ित कारोबारी ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की बात को सुनते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और 4 सप्ताह में जवाब मांगा है



Conclusion:दरअसल रेत के कारोबार में अब तक भारतीय जनता पार्टी के लोग लगे हुए थे लेकिन सरकार बदलने के बाद कांग्रेस के लोगों की नजर भी रेत पर है इसलिए नए ढंग की पॉलिसी बनाई गई है ताकि मौजूदा सरकार अपने लोगों को फायदा दे सके
बाइट रामेश्वर सिंह एडवोकेट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट
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