इंदौर। नासिक में हुए हादसे के बाद ऑक्सीजन गैस के रखरखाव और अस्पतालों में ऑक्सीजन उपयोग को लेकर सतर्कता बढ़ी है. सभी अस्पतालों को पहले से ही ऑक्सीजन के ऑडिट के साथ रखरखाव के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा प्लांट से लेकर अस्पतालों तक ऑक्सीजन की सप्लाई और सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन ने एडीएम और एसडीएम स्तर के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी है.
'ऑक्सीजन सिलेंडर की हर स्तर पर सुरक्षा की जाए'
कोरोना संक्रमण में जो मरीज इन दिनों सीमावर्ती जिलों से इंदौर इलाज के लिए भेजे जा रहे हैं, वह खासे गंभीर हैं. उन्हें अधिक ऑक्सीजन देनी पड़ रही है. शासन ने सभी अस्पतालों की ऑक्सीजन लाइन की रेंडम चेकिंग के निर्देश दिए हैं, इसके अलावा मरीजों के बेड से अनावश्यक रूप से दुरुपयोग होकर लीक होने वाली ऑक्सीजन का भी जरूरत के मुताबिक उपयोग और समुचित प्रबंध की जीरो ऑक्सीजन वेस्टेज की गाइडलाइन अस्पतालों में लागू करते हुए ऑक्सीजन ऑडिट कराने के निर्देश दिए गए हैं. निजी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन सिलेंडर के रखरखाव के साथ उन्हें लाने और ले जाने के लिए सभी अस्पतालों में अलग-अलग अधिकारी तैनात किए गए हैं. इसके अलावा अस्पतालों के सिक्योरिटी गार्डों को खास हिदायत दी गई है कि ऑक्सीजन सिलेंडर की हर स्तर पर सुरक्षा की जाए.
इंदौर में यह है व्यवस्था
इंदौर में मुख्य रूप से गुजरात के जामनगर एक्सप्रेस रिलायंस प्लांट से ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही है. जामनगर से 24 से 27 घंटे में ऑक्सीजन का टैंकर इंदौर आ रहा है. ऑक्सीजन की मात्रा प्रतिदिन इस टैंकर में 60 टन है, जिसे बढ़ाकर 100 टन किया जा रहा है. इसके अलावा पीथमपुर में एक प्लांट से 1200 से 1400 सिलेंडर प्रतिदिन इंदौर के अस्पतालों में जरूरत के मुताबिक भेजे जा रहे हैं. इस व्यवस्था की मॉनिटरिंग एडीएम अभय बेडेकर द्वारा की जा रही है. इस दौरान ऑक्सीजन टैंकर की मॉनिटरिंग और सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों के जिम्मे हैं.