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फर्जी मतदाता सूची मामले पर हाईकोर्ट का फैसला, तीन महीने में सुधार करने के लिए आदेश

हाईकोर्ट ने फर्जी मतदाता मामले में दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया है. जिसमें निर्वाचन आयोग और जिला निवार्चन आयोग को तीन महीने के अंदर जवाब देने का आदेश दिया है.

आरटीआई कार्यकर्ता
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Published : May 10, 2019, 11:49 PM IST

इंदौर। फर्जी मतदाता मामले में दायर एक पिटीश पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने निर्वाचन आयोग और जिला निवार्चन आयोग को तीन महीने के अंदर जवाब देने को आदेश दिया है. कोर्ट अब इस मामले में 30 अगस्त सुनवाई करेगी. दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता के मुताबिक भारत में कई ऐसे लोगों जिन्होंने मतदाता परिचय पत्र बनवा लिए, लेकिन वह भारत के नागरिक ही नहीं है. इसके लेकर हाईकोर्ट में एक याचिक दायर की गई थी.

फर्जी मतदाता सूची मामले पर हाईकोर्ट का फैसला

आरटीआई कार्यकर्ता राजेन्द्र के गुप्ता ने सूचना के अधिकारी पर सभी फर्जी मतदाताओं की जानकारी एकत्रित की. जिसके बाद भारत निवार्चन आयोग के समक्ष रख उनके मतदाताओं का परिचय निरस्त कर करने की मांग की थी. आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि मतदाता लिस्ट में उन लोगों के नाम और डिलीट भी शामिल थे जिन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज थे.

आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि 2014 और 2015 में उन्होंने सभी जानकारी निवार्चन आयोग को सौंप दी थी. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट याचिका दायर की थी.

इंदौर। फर्जी मतदाता मामले में दायर एक पिटीश पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने निर्वाचन आयोग और जिला निवार्चन आयोग को तीन महीने के अंदर जवाब देने को आदेश दिया है. कोर्ट अब इस मामले में 30 अगस्त सुनवाई करेगी. दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता के मुताबिक भारत में कई ऐसे लोगों जिन्होंने मतदाता परिचय पत्र बनवा लिए, लेकिन वह भारत के नागरिक ही नहीं है. इसके लेकर हाईकोर्ट में एक याचिक दायर की गई थी.

फर्जी मतदाता सूची मामले पर हाईकोर्ट का फैसला

आरटीआई कार्यकर्ता राजेन्द्र के गुप्ता ने सूचना के अधिकारी पर सभी फर्जी मतदाताओं की जानकारी एकत्रित की. जिसके बाद भारत निवार्चन आयोग के समक्ष रख उनके मतदाताओं का परिचय निरस्त कर करने की मांग की थी. आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि मतदाता लिस्ट में उन लोगों के नाम और डिलीट भी शामिल थे जिन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज थे.

आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि 2014 और 2015 में उन्होंने सभी जानकारी निवार्चन आयोग को सौंप दी थी. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट याचिका दायर की थी.

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