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एक 'पंखा' ने चोर को खिला दी जेल की हवा, 1998 में चोरी 2021 में हुई सजा

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Published : Feb 4, 2021, 3:14 AM IST

इंदौर जिला कोर्ट ने एक चोर को दुकान में चोरी करने के मामले में एक साल की सजा सुनाई है. साथ ही 500 रुपए का जुर्माना भी लगाया है. खास बात ये है कि चोर ने वारदात को साल 1998 में अंजाम दिया था. लेकिन सजा 2021 में हुई.

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इंदौर। एक चोर को चोरी करना इतना भारी पड़ गया कि अपने करतूत के लिए वो जीवन भर अफसोस करेगा. आखिर चोर ने चुराया क्या..? एक दुकान में लगा पंखा. इस जुर्म के लिए उसे 23 साल तक कोर्ट के चक्कर काटने पड़े. 23 साल बाद इंदौर जिला कोर्ट ने उसे दोषी कराया दिया. कोर्ट ने चोर को 1 साल की सजा सुनाई है. साथ ही 500 रूपए का जुर्माना लगाया है.

मामला बड़ा दिलचस्प है. 23 मार्च 1998 की रात शंकर नाम का एक शख्स सेंट्रल कोतवाली थाना क्षेत्र में स्थित एक दुकान में घुसा. इरादा था दुकान का पंखा चोरी करना. लेकिन क्या पता था कि ये पंखा ही उसे जेल की हवा खिला देगा. अच्छा हुआ क्या..? अंधेरी रात थी, प्लानिंग परफेक्ट भी थी. शंकर दुकान में घुस गया. पंखा भी खोल लिया. लेकिन इसी दौरान चौकीदार को कुछ आहट सुनाई दी. उसने तुरंत पुलिस को फोन घुमा दिया. पुलिस मौके पर पहुंची और शंकर रंगेहाथ पकड़ा गया.

पुलिस ने चोर को गिरफ्तार कर लिया. कोर्ट के सामने पेश किया. कार्रवाई आगे बढ़ी. इसके बाद चला पेशियों का दौर. तारीख पर तारीख निकलती गई और ऐसे ही 23 साल गुजर गए. 23 साल बाद 3 फरवरी 2021 को आखिरकार शंकर को कोर्ट ने दोषी करार दिया और सजा सुना दी. इस तरह अब एक चोर पंखा की चोरी के चक्कर में अब जेल की हवा खाएगा.

हालांकि इस फैसले को लेकर दो बातें दिमाग में आ सकतीं हैं. पहली ये कि अपराधी कितना भी शातिर हो, उसे सजा जरूर मिलेगी. कानून की नजर से अपराधी बच नहीं सकता. अपराधी ने भी नहीं सोचा होगा कि वो 23 साल बाद सजा का हकदार होगा. लेकिन इसका दूसरा पहूल भी है. जिसमें सवाल उठता है कि आखिरकार एक अपराध सिद्ध होने में इतना समय लगता है.

इंदौर। एक चोर को चोरी करना इतना भारी पड़ गया कि अपने करतूत के लिए वो जीवन भर अफसोस करेगा. आखिर चोर ने चुराया क्या..? एक दुकान में लगा पंखा. इस जुर्म के लिए उसे 23 साल तक कोर्ट के चक्कर काटने पड़े. 23 साल बाद इंदौर जिला कोर्ट ने उसे दोषी कराया दिया. कोर्ट ने चोर को 1 साल की सजा सुनाई है. साथ ही 500 रूपए का जुर्माना लगाया है.

मामला बड़ा दिलचस्प है. 23 मार्च 1998 की रात शंकर नाम का एक शख्स सेंट्रल कोतवाली थाना क्षेत्र में स्थित एक दुकान में घुसा. इरादा था दुकान का पंखा चोरी करना. लेकिन क्या पता था कि ये पंखा ही उसे जेल की हवा खिला देगा. अच्छा हुआ क्या..? अंधेरी रात थी, प्लानिंग परफेक्ट भी थी. शंकर दुकान में घुस गया. पंखा भी खोल लिया. लेकिन इसी दौरान चौकीदार को कुछ आहट सुनाई दी. उसने तुरंत पुलिस को फोन घुमा दिया. पुलिस मौके पर पहुंची और शंकर रंगेहाथ पकड़ा गया.

पुलिस ने चोर को गिरफ्तार कर लिया. कोर्ट के सामने पेश किया. कार्रवाई आगे बढ़ी. इसके बाद चला पेशियों का दौर. तारीख पर तारीख निकलती गई और ऐसे ही 23 साल गुजर गए. 23 साल बाद 3 फरवरी 2021 को आखिरकार शंकर को कोर्ट ने दोषी करार दिया और सजा सुना दी. इस तरह अब एक चोर पंखा की चोरी के चक्कर में अब जेल की हवा खाएगा.

हालांकि इस फैसले को लेकर दो बातें दिमाग में आ सकतीं हैं. पहली ये कि अपराधी कितना भी शातिर हो, उसे सजा जरूर मिलेगी. कानून की नजर से अपराधी बच नहीं सकता. अपराधी ने भी नहीं सोचा होगा कि वो 23 साल बाद सजा का हकदार होगा. लेकिन इसका दूसरा पहूल भी है. जिसमें सवाल उठता है कि आखिरकार एक अपराध सिद्ध होने में इतना समय लगता है.

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