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दमोह मामले पर बोले मुस्लिम उलेमा, स्कूल निलंबन के आदेश में हिजाब गर्ल्स का जिक्र ही नहीं

दमोह हिजाब का मामला जल्द ठंडा होता नजर नहीं आ रहा. इस पर मुस्लिम उलेमाओं ने भी सरकार को घेरा है. वहीं आदेश में भी इस तरह का कोई जिक्र नहीं है जिसमें हिजाब से संबंधित कोई बात कही गई हो. आदेश में सिर्फ यही कहा गया है कि स्कूल के मान्यता नियमों की अनदेखी कर कर उसे संचालित किया जा रहा था, जिस वजह से उसकी मान्यता निलंबित की गई है.

MP hijab controversy
एमपी हिजाब विवाद
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Published : Jun 3, 2023, 9:49 PM IST

Updated : Jun 3, 2023, 10:23 PM IST

दमोह। हिजाब मामले में शिक्षा विभाग ने दमोह के विवादित स्कूल के निलंबन का आदेश निकाल दिया लेकिन आदेश में हिजाब का जिक्र ही नहीं है. इसको लेकर उलेमाओं ने सवालिया निशान लगाएं है. उनका कहना है कि यह पूरी की पूरी कार्रवाई एकतरफा नफरत को बढ़ावा देने के लिए की गई है. दमोह के गंगा जमुना स्कूल में छात्राओं के हिजाब पहने फोटो वायरल होने के बाद मामला बढ़ गया और स्कूल की मान्यता निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए गए लेकिन, उस आदेश में हिजाब मामले का कोई जिक्र ही नहीं है.

मुस्लिम उलेमाओं ने उठाए सवाल: स्कूल को लेकर फिलहाल जांच अभी भी चल रही रही है लेकिन इसको लेकर मुस्लिम उलेमाओं ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि जिस मामले को मुख्यमंत्री से लेकर तमाम लोग उठा रहे हैं. स्कूल के निलंबन की प्रक्रिया में हिज़ाब के बिंदु ही शामिल नहीं है. काजी अजमत शाह का कहना है कि बीजेपी सरकार झूठ का पुलिंदा है, यह स्कूल पिछले 15 से 18 सालों से इसी तरह चल रहा है. पहले जो कलेक्टर से क्या उन्होंने यह सब चीजें नहीं देखी. अभी चुनावी साल है इसलिए वह जो चाहते हैं वह कर देते हैं. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री ने जब केरल से जब हिजाब का मामला उठा था, तब कहा था कि हमारे यहां इस तरह की कोई पाबंदी नहीं है. वह भी झूठ का पुलिंदा लेकर चल रहे हैं और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं.

Damoh news
दमोह मामले पर स्कूल निलंबन के आदेश

ऐसे में हिजाब के बहाने कोई भी स्कूल की मान्यता खत्म करना क्या उचित है. यह पूरा का पूरा काम माइनॉरिटी के बच्चों के भविष्य को लेकर है, प्रदेश सरकार और बीजेपी पार्टी के लोग चाहते ही नहीं है कि माइनॉरिटी के बच्चे आगे बढ़ जाएं और ज्यादा पढ़ लिख जाएं. इन बच्चों की पहले ही केन्द्र से स्कॉलरशिप बंद कर दी गई है, यह चाहते हैं कि यह बच्चे कहीं कुछ बन न जाए इसलिए हिंदू मुस्लिम का माहौल बनाया जा रहा है. हिंदुओं को खुश करने के लिए इस तरह से काम किए जा रहे हैं. जिसका लाभ बीजेपी को चुनावी साल में मिल सके. शिक्षा विभाग के लेटर में हिजाब से संबंधित कोई पॉइंट ही नहीं है निलंबन की जो प्रक्रिया हुई है वह तो लाइब्रेरी, खेल का ग्राउंड और अन्य बिंदु पर हुई है.

परिजनों ने नहीं जताया विरोध: मुस्लिम समाज से जुड़े एक और अन्य उलेमा काजी अनस कहते हैं कि मुस्लिमों को अभी टारगेट किया जा रहा है. उस स्कूल के जो संचालक हैं वह सभी बच्चों को तालीम देना चाहते हैं. अनस कहते हैं कि इस मामले में शिक्षा विभाग के आदेश पर कई सवाल उठते हैं और उसमें हिजाब से संबंधित कोई जिक्र ही नहीं है और निलंबन की जो प्रक्रिया हुई है, वह भी तब हुई जब लड़कियों ने इस बारे में कोई शिकायत ही नहीं की है. सिर्फ अच्छे परसेंट लाने वाली लड़कियों के पोस्ट लगाए गए थे, होल्डिंग लगाए गए थे. उसको देखते हुए ही यह माहौल बना दिया गया. वहां जो लड़कियां पढ़ रही हैं, ना उनके माता-पिता ने इस पर एतराज जताया, जिसमें हिंदू बच्चियां भी शामिल हैं. वह अपनी मर्जी से स्कार्फ पहन कर वहां जाती हैं.

स्कूल के संचालकों ने बिना भेदभाव के वहां होल्डिंग्स लगाए, जिस पर यह कार्रवाई हुई. वहां आने वाली बच्चियों को उस स्कूल से प्यार था इसलिए वहां आती हैं. अब इन बच्चों के भविष्य क्या होगा, जिसके साथ खिलवाड़ हुआ है. हम सवाल करते हैं कि आदेश में तो ऐसा कुछ नहीं है फिर किस मुद्दों पर मान्यता रद्द की गई. यह तो कुल मिलाकर अपमान है उन बच्चों का, जो शिक्षा लेने वहां आ रहे थे. स्कूल के निलंबन की कोई वजह ही नहीं है. बच्चा शिकायत करता तो कोई बात होती यह सिर्फ नफरत को बढ़ावा देने के लिए कार्रवाई की गई है.

दमोह। हिजाब मामले में शिक्षा विभाग ने दमोह के विवादित स्कूल के निलंबन का आदेश निकाल दिया लेकिन आदेश में हिजाब का जिक्र ही नहीं है. इसको लेकर उलेमाओं ने सवालिया निशान लगाएं है. उनका कहना है कि यह पूरी की पूरी कार्रवाई एकतरफा नफरत को बढ़ावा देने के लिए की गई है. दमोह के गंगा जमुना स्कूल में छात्राओं के हिजाब पहने फोटो वायरल होने के बाद मामला बढ़ गया और स्कूल की मान्यता निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए गए लेकिन, उस आदेश में हिजाब मामले का कोई जिक्र ही नहीं है.

मुस्लिम उलेमाओं ने उठाए सवाल: स्कूल को लेकर फिलहाल जांच अभी भी चल रही रही है लेकिन इसको लेकर मुस्लिम उलेमाओं ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि जिस मामले को मुख्यमंत्री से लेकर तमाम लोग उठा रहे हैं. स्कूल के निलंबन की प्रक्रिया में हिज़ाब के बिंदु ही शामिल नहीं है. काजी अजमत शाह का कहना है कि बीजेपी सरकार झूठ का पुलिंदा है, यह स्कूल पिछले 15 से 18 सालों से इसी तरह चल रहा है. पहले जो कलेक्टर से क्या उन्होंने यह सब चीजें नहीं देखी. अभी चुनावी साल है इसलिए वह जो चाहते हैं वह कर देते हैं. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री ने जब केरल से जब हिजाब का मामला उठा था, तब कहा था कि हमारे यहां इस तरह की कोई पाबंदी नहीं है. वह भी झूठ का पुलिंदा लेकर चल रहे हैं और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं.

Damoh news
दमोह मामले पर स्कूल निलंबन के आदेश

ऐसे में हिजाब के बहाने कोई भी स्कूल की मान्यता खत्म करना क्या उचित है. यह पूरा का पूरा काम माइनॉरिटी के बच्चों के भविष्य को लेकर है, प्रदेश सरकार और बीजेपी पार्टी के लोग चाहते ही नहीं है कि माइनॉरिटी के बच्चे आगे बढ़ जाएं और ज्यादा पढ़ लिख जाएं. इन बच्चों की पहले ही केन्द्र से स्कॉलरशिप बंद कर दी गई है, यह चाहते हैं कि यह बच्चे कहीं कुछ बन न जाए इसलिए हिंदू मुस्लिम का माहौल बनाया जा रहा है. हिंदुओं को खुश करने के लिए इस तरह से काम किए जा रहे हैं. जिसका लाभ बीजेपी को चुनावी साल में मिल सके. शिक्षा विभाग के लेटर में हिजाब से संबंधित कोई पॉइंट ही नहीं है निलंबन की जो प्रक्रिया हुई है वह तो लाइब्रेरी, खेल का ग्राउंड और अन्य बिंदु पर हुई है.

परिजनों ने नहीं जताया विरोध: मुस्लिम समाज से जुड़े एक और अन्य उलेमा काजी अनस कहते हैं कि मुस्लिमों को अभी टारगेट किया जा रहा है. उस स्कूल के जो संचालक हैं वह सभी बच्चों को तालीम देना चाहते हैं. अनस कहते हैं कि इस मामले में शिक्षा विभाग के आदेश पर कई सवाल उठते हैं और उसमें हिजाब से संबंधित कोई जिक्र ही नहीं है और निलंबन की जो प्रक्रिया हुई है, वह भी तब हुई जब लड़कियों ने इस बारे में कोई शिकायत ही नहीं की है. सिर्फ अच्छे परसेंट लाने वाली लड़कियों के पोस्ट लगाए गए थे, होल्डिंग लगाए गए थे. उसको देखते हुए ही यह माहौल बना दिया गया. वहां जो लड़कियां पढ़ रही हैं, ना उनके माता-पिता ने इस पर एतराज जताया, जिसमें हिंदू बच्चियां भी शामिल हैं. वह अपनी मर्जी से स्कार्फ पहन कर वहां जाती हैं.

स्कूल के संचालकों ने बिना भेदभाव के वहां होल्डिंग्स लगाए, जिस पर यह कार्रवाई हुई. वहां आने वाली बच्चियों को उस स्कूल से प्यार था इसलिए वहां आती हैं. अब इन बच्चों के भविष्य क्या होगा, जिसके साथ खिलवाड़ हुआ है. हम सवाल करते हैं कि आदेश में तो ऐसा कुछ नहीं है फिर किस मुद्दों पर मान्यता रद्द की गई. यह तो कुल मिलाकर अपमान है उन बच्चों का, जो शिक्षा लेने वहां आ रहे थे. स्कूल के निलंबन की कोई वजह ही नहीं है. बच्चा शिकायत करता तो कोई बात होती यह सिर्फ नफरत को बढ़ावा देने के लिए कार्रवाई की गई है.

Last Updated : Jun 3, 2023, 10:23 PM IST
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