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world heritage khajuraho: विश्व की धरोहर है मंदिरों का ये शहर, जानें खजुराहो से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

World famous Khajuraho Temples: मध्य प्रदेश अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक सौंदर्यता के लिए जाना जाता है. यहां ऐसे कई सुंदर, मनमोहक और अविश्वस्नीय स्थान हैं, जिन्हें देश ही नहीं विश्वभर में प्रसिद्धी हासिल है. इनमें से एक है मंदिरों का शहर खजुराहो (city of temples Khajuraho) जिसे विश्व धरोहर स्थल कहा जाता है. रति कला से भरी हुई है यहां की मूर्तियां. इन मंदिरों का निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा कराया गया है.

Khajuraho is amazing
अद्भुत है खजुराहो की शिल्पकला
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Published : Dec 7, 2021, 9:47 PM IST

छतरपुर। (world heritage khajuraho) मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित खजुराहों के मंदिर अद्भुत शिल्पकला के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं . चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए इन मंदिरों को यूनेस्को (UNESCO) ने विश्व धरोहर में शामिल किया है. दुनिया भर से इन मंदिरों की कलाकृति को देखने पर्यटक आते हैं. यहां भारत के बेहद प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों का समूह है. वहीं इन मंदिरों की दीवारों पर बनी कामोत्तेजक मूर्तियां यहां आने वाले सभी सैलानियों का ध्यान अपनी तरफ आर्कषित करती हैं.

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मंदिरों का शहर खजुराहो (city of temples Khajuraho)
खजुराहों में हिन्दू और जैन धर्म के प्रमुख मंदिरों का समूह है, इस अद्भुत मंदिर को इसकी भव्यता और आर्कषण की वजह से विश्व धरोहर में शामिल किया गया है. अपनी वास्तु विशेषज्ञता, बारीक़ नक्काशियों और कामुक मूर्तियों के लिए जाना जाने वाली यह रचना यूनेस्को द्वारा वैश्विक धरोहर की सूची में भी शामिल है. इन आकर्षक मूर्तियों को यहाँ की दीवारों, खम्भों में देखा जा सकता है. मूर्तियों में चित्रित चरित्र सांसारिक सुख के बारे में काफी कुछ बयां करते हैं.

अद्भुत है खजुराहो की शिल्पकला
85 में से 22 मंदिर ही बचे हैं

मंदिर की केयर टेकर टीम में शामिल राजेश बताते हैं कि पहले चंदेल राजाओं ने यहां पर समूह के रूप में इन मंदिरों की स्थापना की थी. जिसमें 85 मंदिरों का एक संग्रह था, लेकिन अब संख्या 22 तक रह गई है. खजुराहो के मंदिरों में रति कला से भरपूर हजारों मूर्तियां प्रांगण में बनाई गई है, जिन्हें देखने के लिए सैलानी बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं. छतरपुर जिले के अंतर्गत आने वाला खजुराहो, जिला मुख्यालय से 44 किलोमीटर दूर स्थित है. चंदेल राजाओं ने 950 ईसा पूर्व में इन मंदिरों की स्थापना करवाई थी.

मंदिर परिसर तीन क्षेत्रों में विभाजित
मंदिर परिसर को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिसमें पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी शामिल है. पश्चिमी समूह में अधिकांश मंदिर हैं, पूर्वी में नक्काशीदार जैन मंदिर हैं जबकि दक्षिणी समूह में केवल कुछ मंदिर हैं. पूर्वी समूह के मंदिरों में जैन मंदिर चंदेला शासन के दौरान क्षेत्र में फलते-फूलते जैन धर्म के लिए बनाए गए थे. पश्चिमी और दक्षिणी भाग के मंदिर विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित हैं. इनमें से आठ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित हैं, छह शिव को, और एक गणेश और सूर्य को जबकि तीन जैन तीर्थंकरों को समर्पित है. कंदरिया महादेव मंदिर उन सभी मंदिरों में सबसे बड़ा है.

चंदेल शासकों ने करवाया था निर्माण (world heritage khajuraho)

मंदिरों का निर्माण चंदेल साम्राज्य के समय 950 और 1050 ईसवी के बीच हुआ था. जिसे चंदेल राजा चंद्रवर्मन ने बनवाया था. यहां हिन्दू और जैन धर्म के मंदिरों का समूह है. इतिहासकार बताते हैं कि चंदेल राजाओं ने अपने साम्राज्य में शुरुआती दौर खजुराहो में ही बिताए, मंदिर बनने के बाद उन्होंने महोबा को अपनी राजधानी बनाई.वहीं मुगल शासन काल में इनमें से कई मंदिरों को ध्वस्त भी किया गया.

सेंड स्टोन के बने हैं मंदिर (World famous Khajuraho Temples)
कहा जाता है कि चंदेल राजाओं ने खजुराहो मंदिर के निर्माण में सेंड स्टोन यानी बलुआ पत्थर का उपयोग किया है. जिसे वही पन्ना की खदानों के पास बनी केन नदी के पास से लिया गया था. इन पत्थरों की मजबूती इतनी ज्यादा होती है इस पर बनाई गई कलाकृति हजारों वर्षों तक वैसी की वैसी है रहती हैं.

छतरपुर। (world heritage khajuraho) मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित खजुराहों के मंदिर अद्भुत शिल्पकला के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं . चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए इन मंदिरों को यूनेस्को (UNESCO) ने विश्व धरोहर में शामिल किया है. दुनिया भर से इन मंदिरों की कलाकृति को देखने पर्यटक आते हैं. यहां भारत के बेहद प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों का समूह है. वहीं इन मंदिरों की दीवारों पर बनी कामोत्तेजक मूर्तियां यहां आने वाले सभी सैलानियों का ध्यान अपनी तरफ आर्कषित करती हैं.

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मंदिरों का शहर खजुराहो (city of temples Khajuraho)
खजुराहों में हिन्दू और जैन धर्म के प्रमुख मंदिरों का समूह है, इस अद्भुत मंदिर को इसकी भव्यता और आर्कषण की वजह से विश्व धरोहर में शामिल किया गया है. अपनी वास्तु विशेषज्ञता, बारीक़ नक्काशियों और कामुक मूर्तियों के लिए जाना जाने वाली यह रचना यूनेस्को द्वारा वैश्विक धरोहर की सूची में भी शामिल है. इन आकर्षक मूर्तियों को यहाँ की दीवारों, खम्भों में देखा जा सकता है. मूर्तियों में चित्रित चरित्र सांसारिक सुख के बारे में काफी कुछ बयां करते हैं.

अद्भुत है खजुराहो की शिल्पकला
85 में से 22 मंदिर ही बचे हैं

मंदिर की केयर टेकर टीम में शामिल राजेश बताते हैं कि पहले चंदेल राजाओं ने यहां पर समूह के रूप में इन मंदिरों की स्थापना की थी. जिसमें 85 मंदिरों का एक संग्रह था, लेकिन अब संख्या 22 तक रह गई है. खजुराहो के मंदिरों में रति कला से भरपूर हजारों मूर्तियां प्रांगण में बनाई गई है, जिन्हें देखने के लिए सैलानी बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं. छतरपुर जिले के अंतर्गत आने वाला खजुराहो, जिला मुख्यालय से 44 किलोमीटर दूर स्थित है. चंदेल राजाओं ने 950 ईसा पूर्व में इन मंदिरों की स्थापना करवाई थी.

मंदिर परिसर तीन क्षेत्रों में विभाजित
मंदिर परिसर को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिसमें पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी शामिल है. पश्चिमी समूह में अधिकांश मंदिर हैं, पूर्वी में नक्काशीदार जैन मंदिर हैं जबकि दक्षिणी समूह में केवल कुछ मंदिर हैं. पूर्वी समूह के मंदिरों में जैन मंदिर चंदेला शासन के दौरान क्षेत्र में फलते-फूलते जैन धर्म के लिए बनाए गए थे. पश्चिमी और दक्षिणी भाग के मंदिर विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित हैं. इनमें से आठ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित हैं, छह शिव को, और एक गणेश और सूर्य को जबकि तीन जैन तीर्थंकरों को समर्पित है. कंदरिया महादेव मंदिर उन सभी मंदिरों में सबसे बड़ा है.

चंदेल शासकों ने करवाया था निर्माण (world heritage khajuraho)

मंदिरों का निर्माण चंदेल साम्राज्य के समय 950 और 1050 ईसवी के बीच हुआ था. जिसे चंदेल राजा चंद्रवर्मन ने बनवाया था. यहां हिन्दू और जैन धर्म के मंदिरों का समूह है. इतिहासकार बताते हैं कि चंदेल राजाओं ने अपने साम्राज्य में शुरुआती दौर खजुराहो में ही बिताए, मंदिर बनने के बाद उन्होंने महोबा को अपनी राजधानी बनाई.वहीं मुगल शासन काल में इनमें से कई मंदिरों को ध्वस्त भी किया गया.

सेंड स्टोन के बने हैं मंदिर (World famous Khajuraho Temples)
कहा जाता है कि चंदेल राजाओं ने खजुराहो मंदिर के निर्माण में सेंड स्टोन यानी बलुआ पत्थर का उपयोग किया है. जिसे वही पन्ना की खदानों के पास बनी केन नदी के पास से लिया गया था. इन पत्थरों की मजबूती इतनी ज्यादा होती है इस पर बनाई गई कलाकृति हजारों वर्षों तक वैसी की वैसी है रहती हैं.

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