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Skanda Shashti 2021: शिव पुत्र कार्तिकेय की अराधना से मिलती है तमाम कठिनाइयों से मुक्ति - Kartikeya Gayatri Mantra

हिन्दू पंचांग के अनुसार स्कंद षष्ठी का व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन रखा जाता है. स्कंद षष्ठी पूरे साल में 12 और महीने में एक बार आती है. इस दिन शिव-पार्वती के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है और मंदिरों में अखंड दीपक भी जलाए जाते हैं.

Skanda Shashthi 2021
स्कंद षष्ठी 2021
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Published : Jun 16, 2021, 7:35 AM IST

भोपाल: भगवान कार्तिकेय को समर्पित है स्कंद षष्ठी पर्व, इसे चम्पा षष्ठी भी कहते हैं. भगवान कार्तिकेय के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं. उनका पूजन-अर्चन करते हैं. कहा जाता है कि उनकी पूजा से सभी तरह के भय-दुख-रोगों से मुक्ति मिलती है. हर माह शुक्ल पक्ष षष्ठी के दिन स्कन्द षष्ठी व्रत रखा जाता है. इस माह ये पर्व 16 जून, बुधवार को है. शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय विभिन्न शक्तियों से सम्पन्न है और दुखों का नाश करते हैं.

कौन हैं कार्तिकेय?

धर्मग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पहली संतान, भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था. आइए इनके बारे में कुछ और बातें बिंदुवार जानते हैं.

  • इनके छह मुख हैं.
  • इनके पास माता पार्वती द्वारा दी गई अमोघ शक्तियां हैं.
  • इन्हें देवताओं का सेनापति माना जाता है.
  • दानव ताड़कासुर के वध उपरांत देवताओं ने इन्हें सदैव युवा रहने का वरदान दिया गया था.
  • इनके भक्तों को शिव-पार्वती की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है.
  • कठिनाई से पार पाना हो तो भगवान कार्तिकेय की शरण में जाना चाहिए और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने चाहिए.
  • भगवान कार्तिकेय को समर्पित स्कंद षष्ठी पर्व पर भक्त व्रत रखते हैं. उनका पूजन-अर्चन करते हैं और सभी तरह के भय-दुख-रोगों से मुक्त हो जाते हैं.
  • भगवान शिव-पार्वती के बड़े पुत्र कार्तिकेय की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान पुराणों में भी कहा गया है. ये व्रत बेहद फलदायी माना गया है.

स्कन्द षष्ठी का महत्व

ये तिथि भगवान कार्तिकेय को अत्यंत प्रिय है. इसी दिन उन्होंने दैत्य ताड़कासुर का वध किया था. भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल पसंद हैं. मुख्य रूप से ये पर्व दक्षिण भारत में मनाया जाता है. कार्तिकेय को स्कन्द देव, मुरुगन, सुब्रह्मन्य भी कहा गया है. धार्मिक मान्यता है कि स्कंद षष्ठी व्रत करने से दीर्घायु और प्रतापी संतान की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजन से रोग, दुख और दरिद्रता का नाश होता है. इनके पूजन से जीवन में उच्च योगों की प्राप्ति होती है. स्कंद षष्ठी को व्रत करने से काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह, अहंकार से निवृत्ति मिलती है. भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय का ध्यान, पूजन और मंत्रों का जाप कर आप दुश्मन, शिक्षा, नौकरी, बिजनेस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं. कोर्ट-कचहरी, जमीन-जायदाद, पैसे आदि के विवाद को निपटाने से पहले भगवान कार्तिकेय की आराधना की जाए तो उसमें सफलता प्राप्त होती है.

स्कन्द षष्ठी पूजन विधि

इसके बाद घर की सफाई करें और सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें. व्रत का संकल्प लें. भगवान कार्तिकेय के साथ शिव-पार्वती जी की प्रतिमा स्थापित करें. घी का दीपक जलाएं. जल, पुष्प अर्पित करें. कलावा, अक्षत, हल्दी, चंदन से पूजन करें. फल, फूल का प्रसाद चढ़ाएं. दिन भर व्रत करें. सायंकाल फिर इसी विधि से पूजन करें. आरती करें. भोग लाएं. कुमार कार्तिकेय जी को तीन प्रकार की वस्तुएं जैसे मयूर पंख, मिठाई, पुस्तक, मयूर कलम, सफेद चंदन, लाल वस्त्र अर्पित करें. ऐसा करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी. अंत में भगवान कार्तिकेय की आरती करना करें. शाम के समय भजन-कीर्तन कर पूजन करें.अगले दिन व्रत का पारण करें.

व्रत कथा

दक्ष के यज्ञ में माता ‘सती’ भस्म हो गईं, तब शिव जी विलाप करते हुए गहरी तपस्या में लीन हो गए. उनके ऐसा करने से सृष्टि शक्तिहीन हो गई. दैत्य ताड़कासुर का आतंक चारों ओर फैल गया. हाहाकार मच गया. सभी देवता ब्रह्माजी के पास गए और प्रार्थना की. तब ब्रह्माजी ने कहा कि तारक का अंत शिव पुत्र करेगा. इंद्र और अन्य देव भगवान शिव के पास गए और मां पार्वती के तपस्या के बारे में कहा. तब भगवान शंकर ने मां पार्वती की परीक्षा ली और उससे प्रसन्न होकर उनका वरण किया. फिर कार्तिकेय का जन्म हुआ. कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध करके देवों का उद्धार किया.

स्कंद षष्ठी व्रत के समय न करें ये काम
इस व्रत को करने वाले भक्त को अहंकार, काम और क्रोध से मुक्ति मिलती है. जो भी साधक इस दिन उपवास रखकर पूजा करता है उसे मांस, शराब, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इस भोग पदार्थों के सेवन से तामसिक प्रवृत्ति जागृति हो जाती है जो उपासक के विवेक को नष्ट कर देता है. ऐसी मान्यता है कि स्कंद षष्ठी के पूजन से च्यवन ऋषि को आंखी में रोशनी मिली थी.

  • भगवान कार्तिकेय के प्रमुख मंत्र
    1. ॐ श्री स्कन्दाय नमः
    2. ॐ शरवण भवाय नमः
    3. ॐ श्री सुब्रमण्यम स्वामीने नमः
    4. ॐ श्री स्कन्दाय नमः
    5. ॐ श्री षष्ठी वल्ली युक्त कार्तिकेय स्वामीने नमः
  • शत्रुओं के नाश के लिए मंत्र
    ऊं शारवाना-भावाया नमः
    ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
    देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नामोस्तुते
    ऊं सुब्रहमणयाया नमः
  • सफलता प्राप्ति के लिए भगवान कार्तिकेय के मंत्र
    आरमुखा ओम मुरूगा
    वेल वेल मुरूगा मुरूगा
    वा वा मुरूगा मुरूगा
    वादी वेल अज़्गा मुरूगा
    अदियार एलाया मुरूगा
    अज़्गा मुरूगा वरूवाई
    वादी वेलुधने वरूवाई

भोपाल: भगवान कार्तिकेय को समर्पित है स्कंद षष्ठी पर्व, इसे चम्पा षष्ठी भी कहते हैं. भगवान कार्तिकेय के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं. उनका पूजन-अर्चन करते हैं. कहा जाता है कि उनकी पूजा से सभी तरह के भय-दुख-रोगों से मुक्ति मिलती है. हर माह शुक्ल पक्ष षष्ठी के दिन स्कन्द षष्ठी व्रत रखा जाता है. इस माह ये पर्व 16 जून, बुधवार को है. शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय विभिन्न शक्तियों से सम्पन्न है और दुखों का नाश करते हैं.

कौन हैं कार्तिकेय?

धर्मग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पहली संतान, भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था. आइए इनके बारे में कुछ और बातें बिंदुवार जानते हैं.

  • इनके छह मुख हैं.
  • इनके पास माता पार्वती द्वारा दी गई अमोघ शक्तियां हैं.
  • इन्हें देवताओं का सेनापति माना जाता है.
  • दानव ताड़कासुर के वध उपरांत देवताओं ने इन्हें सदैव युवा रहने का वरदान दिया गया था.
  • इनके भक्तों को शिव-पार्वती की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है.
  • कठिनाई से पार पाना हो तो भगवान कार्तिकेय की शरण में जाना चाहिए और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने चाहिए.
  • भगवान कार्तिकेय को समर्पित स्कंद षष्ठी पर्व पर भक्त व्रत रखते हैं. उनका पूजन-अर्चन करते हैं और सभी तरह के भय-दुख-रोगों से मुक्त हो जाते हैं.
  • भगवान शिव-पार्वती के बड़े पुत्र कार्तिकेय की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान पुराणों में भी कहा गया है. ये व्रत बेहद फलदायी माना गया है.

स्कन्द षष्ठी का महत्व

ये तिथि भगवान कार्तिकेय को अत्यंत प्रिय है. इसी दिन उन्होंने दैत्य ताड़कासुर का वध किया था. भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल पसंद हैं. मुख्य रूप से ये पर्व दक्षिण भारत में मनाया जाता है. कार्तिकेय को स्कन्द देव, मुरुगन, सुब्रह्मन्य भी कहा गया है. धार्मिक मान्यता है कि स्कंद षष्ठी व्रत करने से दीर्घायु और प्रतापी संतान की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजन से रोग, दुख और दरिद्रता का नाश होता है. इनके पूजन से जीवन में उच्च योगों की प्राप्ति होती है. स्कंद षष्ठी को व्रत करने से काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह, अहंकार से निवृत्ति मिलती है. भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय का ध्यान, पूजन और मंत्रों का जाप कर आप दुश्मन, शिक्षा, नौकरी, बिजनेस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं. कोर्ट-कचहरी, जमीन-जायदाद, पैसे आदि के विवाद को निपटाने से पहले भगवान कार्तिकेय की आराधना की जाए तो उसमें सफलता प्राप्त होती है.

स्कन्द षष्ठी पूजन विधि

इसके बाद घर की सफाई करें और सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें. व्रत का संकल्प लें. भगवान कार्तिकेय के साथ शिव-पार्वती जी की प्रतिमा स्थापित करें. घी का दीपक जलाएं. जल, पुष्प अर्पित करें. कलावा, अक्षत, हल्दी, चंदन से पूजन करें. फल, फूल का प्रसाद चढ़ाएं. दिन भर व्रत करें. सायंकाल फिर इसी विधि से पूजन करें. आरती करें. भोग लाएं. कुमार कार्तिकेय जी को तीन प्रकार की वस्तुएं जैसे मयूर पंख, मिठाई, पुस्तक, मयूर कलम, सफेद चंदन, लाल वस्त्र अर्पित करें. ऐसा करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी. अंत में भगवान कार्तिकेय की आरती करना करें. शाम के समय भजन-कीर्तन कर पूजन करें.अगले दिन व्रत का पारण करें.

व्रत कथा

दक्ष के यज्ञ में माता ‘सती’ भस्म हो गईं, तब शिव जी विलाप करते हुए गहरी तपस्या में लीन हो गए. उनके ऐसा करने से सृष्टि शक्तिहीन हो गई. दैत्य ताड़कासुर का आतंक चारों ओर फैल गया. हाहाकार मच गया. सभी देवता ब्रह्माजी के पास गए और प्रार्थना की. तब ब्रह्माजी ने कहा कि तारक का अंत शिव पुत्र करेगा. इंद्र और अन्य देव भगवान शिव के पास गए और मां पार्वती के तपस्या के बारे में कहा. तब भगवान शंकर ने मां पार्वती की परीक्षा ली और उससे प्रसन्न होकर उनका वरण किया. फिर कार्तिकेय का जन्म हुआ. कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध करके देवों का उद्धार किया.

स्कंद षष्ठी व्रत के समय न करें ये काम
इस व्रत को करने वाले भक्त को अहंकार, काम और क्रोध से मुक्ति मिलती है. जो भी साधक इस दिन उपवास रखकर पूजा करता है उसे मांस, शराब, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इस भोग पदार्थों के सेवन से तामसिक प्रवृत्ति जागृति हो जाती है जो उपासक के विवेक को नष्ट कर देता है. ऐसी मान्यता है कि स्कंद षष्ठी के पूजन से च्यवन ऋषि को आंखी में रोशनी मिली थी.

  • भगवान कार्तिकेय के प्रमुख मंत्र
    1. ॐ श्री स्कन्दाय नमः
    2. ॐ शरवण भवाय नमः
    3. ॐ श्री सुब्रमण्यम स्वामीने नमः
    4. ॐ श्री स्कन्दाय नमः
    5. ॐ श्री षष्ठी वल्ली युक्त कार्तिकेय स्वामीने नमः
  • शत्रुओं के नाश के लिए मंत्र
    ऊं शारवाना-भावाया नमः
    ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
    देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नामोस्तुते
    ऊं सुब्रहमणयाया नमः
  • सफलता प्राप्ति के लिए भगवान कार्तिकेय के मंत्र
    आरमुखा ओम मुरूगा
    वेल वेल मुरूगा मुरूगा
    वा वा मुरूगा मुरूगा
    वादी वेल अज़्गा मुरूगा
    अदियार एलाया मुरूगा
    अज़्गा मुरूगा वरूवाई
    वादी वेलुधने वरूवाई
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