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भोपाल एम्स में कोरोना वायरस की दवा का दूसरे दौर का ट्रायल शुरू - all Indian Institute of Medical Sciences Bhopal

भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में कोविड-19 संक्रमण के इलाज के लिए एमडब्ल्यू दवा का दूसरे दौर का ट्रायल शुरू कर दिया गया है.

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डॉक्टर
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Published : Jun 30, 2020, 12:41 PM IST

भोपाल। कोरोना वायरस की वजह से दुनिया पूरी तरह से थम गई है, इस संक्रमण की वजह से दुनिया के तमाम देश लगातार परेशान हो रहे हैं. इस संक्रमण ने लाखों लोगों की जान भी ले ली है. हालांकि दुनिया के सारे देश कोरोना से निजात पाने के लिए दवा बनाने में जुटे हैं, हालांकि अभी तक किसी भी देश को सफलता नहीं मिल पाई है.

भारत भी लगातार इस दिशा में काम कर रहा है, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में एक दवा के क्लीनिकल ट्रायल पर अब देश भर की उम्मीदें टिक गई हैं. यदि ये ट्रायल सफल होता है तो देश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. इससे पहले भी कुछ बड़े हॉस्पिटल्स में संक्रमण की दवा को लेकर ट्रायल किए गए हैं, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है.

भोपाल एम्स में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा (माइक्रोबैक्टीरियम डब्ल्यू) का पहले चरण का ट्रायल पूरा होने के बाद दूसरे दौर का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया है. इसमें कोरोना के ऐसे मरीजों को भी शामिल किया जा रहा है, जो संक्रमित होने के बाद अब सामान्य हैं, उन्हें कोई लक्षण नहीं है या फिर मामूली लक्षण सामने आए हैं, इन सभी मरीजों पर भी डॉक्टर लगातार नजर रख रहे हैं.

ये ट्रायल 200 मरीजों पर किया जाएगा. ट्रायल के पहले मरीजों से क्लीनिकल ट्रायल के नियमों के तहत सहमति भी ली जाएगी. इसके बाद तीसरे चरण का ट्रायल भी शुरू होगा, इसमें उन लोगों को शामिल किया जाएगा, जो कोरोना से ज्यादा जोखिम में रहते हैं, इनमें ज्यादातर स्वास्थ्यकर्मी शामिल होंगे, इन पर ट्रायल का मकसद ये है कि दवा लेने के बाद उन्हें संक्रमण होता है या वे संक्रमण से मुक्त होते हैं.

एम्स भोपाल में इस दवा का पहले चरण का ट्रायल 1 मई से शुरू हुआ था, इसमें कोरोना के 40 गंभीर मरीजों को ट्रायल के लिए चयनित किया गया था, लेकिन केवल 8 मरीजों पर ही ट्रायल हो पाया था. मरीजों की गंभीर स्थिति और ट्रायल के नियम एवं शर्तें कठिन होने की वजह से 40 मरीजों पर ट्रायल संभव नहीं हो पाया था. हालांकि जिन मरीजों पर ट्रायल किया गया है, उसके परिणाम काफी अच्छे बताए जा रहे हैं.

इनमें कुछ मरीज तो ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, लेकिन अब वे पूर्ण रूप से स्वस्थ हो चुके हैं. हालांकि, एम्स के अनुसार जब तक ट्रायल पूरा होने के बाद अंतिम नतीजे ना आ जाएं, कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. दवा कितनी कारगर साबित होगी, ये अभी नहीं कहा जा सकता है. इसी वर्ष जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में ये ट्रायल पूरा होने की उम्मीद है.

भोपाल। कोरोना वायरस की वजह से दुनिया पूरी तरह से थम गई है, इस संक्रमण की वजह से दुनिया के तमाम देश लगातार परेशान हो रहे हैं. इस संक्रमण ने लाखों लोगों की जान भी ले ली है. हालांकि दुनिया के सारे देश कोरोना से निजात पाने के लिए दवा बनाने में जुटे हैं, हालांकि अभी तक किसी भी देश को सफलता नहीं मिल पाई है.

भारत भी लगातार इस दिशा में काम कर रहा है, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में एक दवा के क्लीनिकल ट्रायल पर अब देश भर की उम्मीदें टिक गई हैं. यदि ये ट्रायल सफल होता है तो देश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. इससे पहले भी कुछ बड़े हॉस्पिटल्स में संक्रमण की दवा को लेकर ट्रायल किए गए हैं, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है.

भोपाल एम्स में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा (माइक्रोबैक्टीरियम डब्ल्यू) का पहले चरण का ट्रायल पूरा होने के बाद दूसरे दौर का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया है. इसमें कोरोना के ऐसे मरीजों को भी शामिल किया जा रहा है, जो संक्रमित होने के बाद अब सामान्य हैं, उन्हें कोई लक्षण नहीं है या फिर मामूली लक्षण सामने आए हैं, इन सभी मरीजों पर भी डॉक्टर लगातार नजर रख रहे हैं.

ये ट्रायल 200 मरीजों पर किया जाएगा. ट्रायल के पहले मरीजों से क्लीनिकल ट्रायल के नियमों के तहत सहमति भी ली जाएगी. इसके बाद तीसरे चरण का ट्रायल भी शुरू होगा, इसमें उन लोगों को शामिल किया जाएगा, जो कोरोना से ज्यादा जोखिम में रहते हैं, इनमें ज्यादातर स्वास्थ्यकर्मी शामिल होंगे, इन पर ट्रायल का मकसद ये है कि दवा लेने के बाद उन्हें संक्रमण होता है या वे संक्रमण से मुक्त होते हैं.

एम्स भोपाल में इस दवा का पहले चरण का ट्रायल 1 मई से शुरू हुआ था, इसमें कोरोना के 40 गंभीर मरीजों को ट्रायल के लिए चयनित किया गया था, लेकिन केवल 8 मरीजों पर ही ट्रायल हो पाया था. मरीजों की गंभीर स्थिति और ट्रायल के नियम एवं शर्तें कठिन होने की वजह से 40 मरीजों पर ट्रायल संभव नहीं हो पाया था. हालांकि जिन मरीजों पर ट्रायल किया गया है, उसके परिणाम काफी अच्छे बताए जा रहे हैं.

इनमें कुछ मरीज तो ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, लेकिन अब वे पूर्ण रूप से स्वस्थ हो चुके हैं. हालांकि, एम्स के अनुसार जब तक ट्रायल पूरा होने के बाद अंतिम नतीजे ना आ जाएं, कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. दवा कितनी कारगर साबित होगी, ये अभी नहीं कहा जा सकता है. इसी वर्ष जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में ये ट्रायल पूरा होने की उम्मीद है.

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