भोपाल। मध्य प्रदेश में बोर्ड परीक्षा का परिणाम सुधारने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रति माह छात्रों की ऑफलाइन परीक्षाएं आयोजित करने की रणनीति बनाई है. एक फरवरी से प्रदेश के शासकीय स्कूलों में ऑफलाइन परीक्षाएं चल रही हैं. लेकिन पहली परीक्षा में ही छात्रों का परीक्षा परिणाम 20% रहा इस परिणाम से स्कूलों की हवाइयां उड़ गई है. प्रदेश के शासकीय स्कूलों में एक फरवरी से वार्षिक परीक्षाएं आयोजित की गई है. इसके नतीजे राजधानी के कई स्कूलों में सामने आ चुके है. वहीं कुछ स्कूल अभी परिणाम तैयार कर रहे हैं. अब तक जिन स्कूलों के परिणाम सामने आए हैं. उनमें छात्रों का परीक्षा परिणाम 20% रहा है. छात्र 80 में से 10 ओर 15 अंक लेकर आ रहे हैं. छात्रों के खराब प्रदर्शन से स्कूलों के प्राचार्यो की हवाइयां उड़ गई है. स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों को टारगेट दिया है. 80% परीक्षा परिणाम का लेकिन स्कूलों में परिणाम 20% पर ही सीमित है.
विभाग की नई-नई योजनाओं से परेशान प्राचार्य
उच्चतर माध्यमिक शाला की प्राचार्य उषा खरे ने बताया कि विभाग ने स्कूलों का परीक्षा परिणाम सुधारने के लिए 1 फरवरी से अप्रैल माह तक लगातार ऑफलाइन परीक्षाएं आयोजित करने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में पहली ऑफलाइन परीक्षा में ही छात्रों का परीक्षा परिणाम बेहद खराब है. उन्होंने कहा ऐसे में प्राचार्य के लिए चिंता बढ़ गई है कि वह बोर्ड परीक्षा में छात्रों का परिणाम कैसे सुधारें. उन्होंने कहा विभाग द्वारा हर सप्ताह अलग-अलग आदेश दिए जाते हैं, कभी सिलेबस बदल दिया जाता है तो कभी परीक्षा का पैटर्न ओर अगर रिजल्ट बिगड़ता है गाज स्कूल के प्राचार्यो पर गिरती है.
कोरोना के बाद लग रही है क्लास
कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश के सभी स्कूल पिछले एक साल से बंद है. ऐसे में छात्रों की परीक्षाएं अब तक ऑनलाइन आयोजित की जा रही थी लेकिन अब बोर्ड परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए विभाग ने प्रति माह ऑफलाइन परीक्षाएं कराने का निर्णय लिया है. जिसकी पहली परीक्षा 1 फरवरी से शुरू हो चुकी है और स्कूलों ने इसके परिणाम घोषित करना शुरू कर दिए हैं. जिसमें छात्रों ने बेहद खराब प्रदर्शन किया है. जहांगीराबाद उच्चतर माध्यमिक शाला में एक कक्षा में 7 या 8 बच्चे ही पास हो पाए है वहीं अन्य स्कूल, शासकीय रशीदिया, शासकीय हमीदिया, शासकीय सूरज नगर स्कूल के भी परीक्षा परिणाम 40% भी नहीं आ पाए है.
कैसे सुधरेगा बोर्ड परीक्षा का परिणाम
स्कूल की प्राचार्य उषा खरे ने बताया परीक्षा परिणाम बिगड़ने का कारण कोरोना में स्कूलों के बंद होने का है. छात्र लंबे समय तक पढाई से वंचित रहे हैं. अब 18 दिसंबर से स्कूल खुल चुके हैं लेकिन छात्रों की उपस्थिति 50% भी नहीं है. ऑनलाइन कक्षाओं से भी छात्र नहीं जुड़ रहे हैं. ऐसे में परीक्षा परिणाम दुरुस्त करना शिक्षकों के लिए चुनौती बन गया है. हालांकि अब देखना होगा कि अप्रैल माह में आयोजित होने वाली बोर्ड परीक्षा में कैसा होगा.