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MP में कितना कारगर होगा गुजरात फार्मूला ! BJP विधायक का दावा- अधूरी घोषणाओं ने बढ़ाई एंटी इन्कमबेंसी - अधूरी घोषणाओं बढ़ाई एंटी इन्कमबेंसी

बीजेपी का सुपरहिट गुजरात फार्मूला (Gujarat formula in MP) क्या मध्यप्रदेश में फिट होगा. इससे भी आगे का सवाल ये है कि फार्मूले का असर कितने मंत्री और विधायकों पर पड़ेगा. क्या सत्ता से संगठन तक पूरे घर के बदल डालने का भी जोखिम ले सकता है बीजेपी हाईकमान. संदिग्ध आस्था वाले बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी (MLA Narayan Tripathi) द्वारा पार्टी अध्यक्ष को लिखी गई चिट्ठी बता रही है कि कहां, कौन इस फार्मूले के लिए बेताब और तैयार है. और कहां किसकी इस फार्मूले की आहट ने नींद उड़ा दी है.

Gujarat formula in MP
MP में कितना कारगर होगा गुजरात फार्मूला
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Published : Dec 12, 2022, 5:03 PM IST

भोपाल। गुजरात फार्मूला एमपी में क्यों कारगर हो सकता है. दोनों राज्यों में लगातार बीजेपी की सत्ता के साथ 2018 के विधानसभा चुनाव नतीजे भी इसका जवाब हैं. जब सात सीटों के फासले पर बीजेपी के हाथ से सत्ता निकल गई थी. 2023 में इम्तहान और बड़े हैं. चुनौती केवल 18 साल की एंटी इन्कबमेंसी नहीं हैं. ग्वालियर- चंबल, बुंदेलखंड और मालवा के इलाके में बीजेपी वर्सेस बीजेपी के नए हालात भी हैं. तो सवाल ये कि बीजेपी के गुजरात में लागू हुए मॉडल के कौन-कौन से क्राइटेरिया एमपी में जस के तस लागू किए जाएंगे. और ये एमपी में कहां कितना असर दिखाएंगे. एंटी इन्कमबेंसी है, इसकी तस्दीक जनता से पहले बीजेपी के विधायक नारायण त्रिपाठी ने कर दी है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में विधायक त्रिपाठी ने कहा है कि अब तक की गई अधूरी घोषणाओं की वजह से सबसे ज्यादा एंटी इन्कबेंसी का माहौल है.

त्रिपाठी बोले- एंटी इन्कमबेंसी कहां नहीं है : बीजेपी के वरिष्ठ विधायक नारायण त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा है कि ये बताना भी मुश्किल कि एंटी इन्कमबेसी कहां नहीं है. वे कहते हैं कि जो घोषणाएं की गईं वो अधूरी रह गई हैं. इसी वजह से सबसे ज्यादा एंटी इन्कबेंसी है. नारायण त्रिपाठी अपने बयान को स्पष्टता देते हुए कहते हैं कि शिवराज सिंह आज भी लोकप्रिय मुख्यमंत्री कहे जाते हैं. लेकिन जनता अब नया चेहरा देखना चाहती है. बदलाव देखना चाहती है. मुझे लगा कि ये बात अपने शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाना चाहिए तो मैंने पहुंचा दी. बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर गुजरात मॉडल को एमपी में लागू किए जाने की मांग की है. वैसे नारायण त्रिपाठी भी समाजवादी पार्टी से लेकर कांग्रेस और फिर बीजेपी यानी कई कश्तियो के सवार रहे हैं.

Gujarat formula in MP
MP में कितना कारगर होगा गुजरात फार्मूला

विधानसभा टिकट बंटवारे में क्राइटेरिया : जानकारी के मुताबिक 2023 के विधानसभा चुनाव में परिवारवाद पर ब्रेक के सथ ही परफार्मेंस रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्र में निष्क्रिय विधायक भी इस बार थोक में नपेंगे. तैयारी तो पार्टी की ये है कि मंत्रियों समेत बीजेपी के 127 विधायकों में से पांच दर्जन विधायकों के चेहरे बदले जा सकते हैं. क्राइटेरिया अलग -अलग हो सकते हैं. कहा ये जा रहा है कि सालभर पहले अगर गुजरात मॉडल पर एमपी में कैबिनेट में बड़े बदलाव होते हैं तो पार्टी का फोकस विंध्य और महाकौशल पर होगा. जहां से पार्टी के दिग्गज नेताओं का पूरा समय इंतज़ार में ही निकल गया.

Gujarat formula in MP
MP में कितना कारगर होगा गुजरात फार्मूला

Mission Mp 2023 आदिवासियों को साधने बीजेपी, संघ और कांग्रेस का प्लान तैयार, 47 सीटों पर छिड़ेगा सियासी संग्राम

कई दिग्गज मंत्री पद के इंतजार में : विंध्य से राजेन्द्र शुक्ल, केदार शुक्ला से लेकर महाकौशल से अजय विश्नोई तक मंत्री पद की प्रत्याशा में खड़े नेताओं की लंबी कतार है. इस समय सिंधिया गुट को नवाजे जाने के साथ ही ग्वालियर-चंबल में सबसे ज्यादा 9 मंत्री हैं. इसके बाद नंबर मालवा का है. मालवा से आठ विधायक मंत्री बने हैं. बीजेपी के गुजरात मॉडल को लेकर सबसे ज्यादा चिंता सिंधिया गुट के नेताओं में है. ना खुदा ही मिला ना बिसाल ए सनम. वाला किस्सा ना हो जाए इनके साथ. इस फिक्र में सिंधिया गुट के नेताओं की नींद उड़ी हुई है. चिंता ये है कि सत्ता दिलाने के लिए दी गई कुर्बानी के बदले मंत्री पद के साथ मंत्री का दर्जा पा चुके ये समर्थक नेता परफार्मेंस के आधार पर पहले दौर की छंटनी में आएंगे. उधर इनके प्रदर्शन से लेकर पार्टी के भीतर इनके आचार व्यवहार को लेकर चिट्ठी पत्री भी पर्याप्त हैं. सिंधिया के सबसे करीबियों में गिने जाने वाले मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया की मिसाल ही बहुत है, जिन्होंने अभी तीन महीने पहले प्रदेश के मुख्य सचिव के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था.

भोपाल। गुजरात फार्मूला एमपी में क्यों कारगर हो सकता है. दोनों राज्यों में लगातार बीजेपी की सत्ता के साथ 2018 के विधानसभा चुनाव नतीजे भी इसका जवाब हैं. जब सात सीटों के फासले पर बीजेपी के हाथ से सत्ता निकल गई थी. 2023 में इम्तहान और बड़े हैं. चुनौती केवल 18 साल की एंटी इन्कबमेंसी नहीं हैं. ग्वालियर- चंबल, बुंदेलखंड और मालवा के इलाके में बीजेपी वर्सेस बीजेपी के नए हालात भी हैं. तो सवाल ये कि बीजेपी के गुजरात में लागू हुए मॉडल के कौन-कौन से क्राइटेरिया एमपी में जस के तस लागू किए जाएंगे. और ये एमपी में कहां कितना असर दिखाएंगे. एंटी इन्कमबेंसी है, इसकी तस्दीक जनता से पहले बीजेपी के विधायक नारायण त्रिपाठी ने कर दी है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में विधायक त्रिपाठी ने कहा है कि अब तक की गई अधूरी घोषणाओं की वजह से सबसे ज्यादा एंटी इन्कबेंसी का माहौल है.

त्रिपाठी बोले- एंटी इन्कमबेंसी कहां नहीं है : बीजेपी के वरिष्ठ विधायक नारायण त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा है कि ये बताना भी मुश्किल कि एंटी इन्कमबेसी कहां नहीं है. वे कहते हैं कि जो घोषणाएं की गईं वो अधूरी रह गई हैं. इसी वजह से सबसे ज्यादा एंटी इन्कबेंसी है. नारायण त्रिपाठी अपने बयान को स्पष्टता देते हुए कहते हैं कि शिवराज सिंह आज भी लोकप्रिय मुख्यमंत्री कहे जाते हैं. लेकिन जनता अब नया चेहरा देखना चाहती है. बदलाव देखना चाहती है. मुझे लगा कि ये बात अपने शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाना चाहिए तो मैंने पहुंचा दी. बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर गुजरात मॉडल को एमपी में लागू किए जाने की मांग की है. वैसे नारायण त्रिपाठी भी समाजवादी पार्टी से लेकर कांग्रेस और फिर बीजेपी यानी कई कश्तियो के सवार रहे हैं.

Gujarat formula in MP
MP में कितना कारगर होगा गुजरात फार्मूला

विधानसभा टिकट बंटवारे में क्राइटेरिया : जानकारी के मुताबिक 2023 के विधानसभा चुनाव में परिवारवाद पर ब्रेक के सथ ही परफार्मेंस रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्र में निष्क्रिय विधायक भी इस बार थोक में नपेंगे. तैयारी तो पार्टी की ये है कि मंत्रियों समेत बीजेपी के 127 विधायकों में से पांच दर्जन विधायकों के चेहरे बदले जा सकते हैं. क्राइटेरिया अलग -अलग हो सकते हैं. कहा ये जा रहा है कि सालभर पहले अगर गुजरात मॉडल पर एमपी में कैबिनेट में बड़े बदलाव होते हैं तो पार्टी का फोकस विंध्य और महाकौशल पर होगा. जहां से पार्टी के दिग्गज नेताओं का पूरा समय इंतज़ार में ही निकल गया.

Gujarat formula in MP
MP में कितना कारगर होगा गुजरात फार्मूला

Mission Mp 2023 आदिवासियों को साधने बीजेपी, संघ और कांग्रेस का प्लान तैयार, 47 सीटों पर छिड़ेगा सियासी संग्राम

कई दिग्गज मंत्री पद के इंतजार में : विंध्य से राजेन्द्र शुक्ल, केदार शुक्ला से लेकर महाकौशल से अजय विश्नोई तक मंत्री पद की प्रत्याशा में खड़े नेताओं की लंबी कतार है. इस समय सिंधिया गुट को नवाजे जाने के साथ ही ग्वालियर-चंबल में सबसे ज्यादा 9 मंत्री हैं. इसके बाद नंबर मालवा का है. मालवा से आठ विधायक मंत्री बने हैं. बीजेपी के गुजरात मॉडल को लेकर सबसे ज्यादा चिंता सिंधिया गुट के नेताओं में है. ना खुदा ही मिला ना बिसाल ए सनम. वाला किस्सा ना हो जाए इनके साथ. इस फिक्र में सिंधिया गुट के नेताओं की नींद उड़ी हुई है. चिंता ये है कि सत्ता दिलाने के लिए दी गई कुर्बानी के बदले मंत्री पद के साथ मंत्री का दर्जा पा चुके ये समर्थक नेता परफार्मेंस के आधार पर पहले दौर की छंटनी में आएंगे. उधर इनके प्रदर्शन से लेकर पार्टी के भीतर इनके आचार व्यवहार को लेकर चिट्ठी पत्री भी पर्याप्त हैं. सिंधिया के सबसे करीबियों में गिने जाने वाले मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया की मिसाल ही बहुत है, जिन्होंने अभी तीन महीने पहले प्रदेश के मुख्य सचिव के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था.

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