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MP Election BJP Strategy: मध्य प्रदेश में भाजपा का चुनावी पैंतरा, पार्टी ने दिग्गजों को मैदान में उतारकर गुटबाजी को रोका ! - BJP Strategy gave tickets to veteran leaders

MP Election BJP Strategy: मध्य प्रदेश में भाजपा ने दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारकर पार्टी में गुटबाजी को काफी हद तक रोकने का प्रयास किया है. भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव मैदान में उतारा है. राष्ट्रीय नेतृत्व के फैसले ने इन नेताओं को चुनाव के जाल में उलझा कर रख दिया है.

MP Election BJP Strategy
मध्य प्रदेश में भाजपा का चुनावी पैंतरा
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 25, 2023, 10:06 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी द्वारा दिग्गजों को मैदान में उतारने का प्रयोग पहली नजर में सफल होता नजर आ रहा है, उसकी वजह भी है क्योंकि भाजपा में पनपी गुटबाजी पर इस प्रयोग से काफी हद तक रोक लगी है.

खुद मैदान में है कई नेताओं के भविष्य का फैसला करने वाले नेता : राज्य विधानसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी 230 सीटों में से 228 के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. इनमें पार्टी के कई ऐसे दिग्गज मैदान में उतारे गए हैं जो अब तक कई नेताओं के भविष्य का फैसला करते आ रहे हैं. इनमें प्रमुख हैं, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय. इसके साथ ही चार सांसदों को भी पार्टी ने मैदान में उतारा है. पार्टी ने जब इन दिग्गजों को मैदान में उतारा था तो कई तरह के सवाल उठे थे. अब, धीरे-धीरे तस्वीर साफ होने लगी है.

चुनाव के जाल में उलझ कर रह गये गुटबाजी वाले: भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्य की राजनीति में तीनों केंद्रीय मंत्री के अलावा राष्ट्रीय महासचिव का काफी दखल रहा है. इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव में तो यह नेता अपनी पसंद के उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का जोर लगाते थे. इतना ही नहीं पार्टी के भीतर गुटबाजी को भी जन्म देते थे. मगर, राष्ट्रीय नेतृत्व के फैसले ने इन नेताओं को ही चुनाव के जाल में उलझा कर रखा है. इसका नतीजा यह हो रहा है कि राज्य में गुटबाजी का हिस्सा बने नेता अपने-अपने आका के प्रचार में ही जुटने को मजबूर हो गए हैं.

ये भी पढ़ें:

MP BJP CM Face: एमपी में इस बार शिवराज की राह नहीं आसान, विकल्प बनने को तैयार भाजपा के ये दिग्गज, पढ़ें इंडेप्थ स्टोरी

सूत्रों का दावा है कि प्रारंभिक तौर पर जमीनी स्तर से जो फीडबैक आया है, उम्मीदवारों के निर्धारण के बाद वह पार्टी को अपने फैसले पर खुश करने वाला है. इसकी वजह बड़ी है कि बड़े नेताओं के मैदान में उतरने से एक तरफ जहां आसपास की सीटें मजबूत हो रही हैं तो वहीं दूसरी सीटों पर गुटबाजी पनप नहीं पा रही है.

(Agency Input)

भोपाल। मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी द्वारा दिग्गजों को मैदान में उतारने का प्रयोग पहली नजर में सफल होता नजर आ रहा है, उसकी वजह भी है क्योंकि भाजपा में पनपी गुटबाजी पर इस प्रयोग से काफी हद तक रोक लगी है.

खुद मैदान में है कई नेताओं के भविष्य का फैसला करने वाले नेता : राज्य विधानसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी 230 सीटों में से 228 के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. इनमें पार्टी के कई ऐसे दिग्गज मैदान में उतारे गए हैं जो अब तक कई नेताओं के भविष्य का फैसला करते आ रहे हैं. इनमें प्रमुख हैं, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय. इसके साथ ही चार सांसदों को भी पार्टी ने मैदान में उतारा है. पार्टी ने जब इन दिग्गजों को मैदान में उतारा था तो कई तरह के सवाल उठे थे. अब, धीरे-धीरे तस्वीर साफ होने लगी है.

चुनाव के जाल में उलझ कर रह गये गुटबाजी वाले: भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्य की राजनीति में तीनों केंद्रीय मंत्री के अलावा राष्ट्रीय महासचिव का काफी दखल रहा है. इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव में तो यह नेता अपनी पसंद के उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का जोर लगाते थे. इतना ही नहीं पार्टी के भीतर गुटबाजी को भी जन्म देते थे. मगर, राष्ट्रीय नेतृत्व के फैसले ने इन नेताओं को ही चुनाव के जाल में उलझा कर रखा है. इसका नतीजा यह हो रहा है कि राज्य में गुटबाजी का हिस्सा बने नेता अपने-अपने आका के प्रचार में ही जुटने को मजबूर हो गए हैं.

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सूत्रों का दावा है कि प्रारंभिक तौर पर जमीनी स्तर से जो फीडबैक आया है, उम्मीदवारों के निर्धारण के बाद वह पार्टी को अपने फैसले पर खुश करने वाला है. इसकी वजह बड़ी है कि बड़े नेताओं के मैदान में उतरने से एक तरफ जहां आसपास की सीटें मजबूत हो रही हैं तो वहीं दूसरी सीटों पर गुटबाजी पनप नहीं पा रही है.

(Agency Input)

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