भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बल बूते ही बीजेपी सत्ता में आई, लेकिन अभी भी पार्टी को उन पर भरोसा नहीं दिखता. बंगाल और असम चुनाव को देखते हुए मध्य प्रदेश के कई मंत्री और नेताओं को चुनावी दौरे पर भेजा, लेकिन सिंधिया पर बीजेपी ने भरोसा नहीं जताया.बीजेपी ने उन्हें इन राज्यों में चुनाव प्रचार से दूर रखा.
सिंधिया को बंगाल और असम की चुनावी सभाओं में नहीं उतारा
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बलबूते प्रदेश में बीजेपी ने सरकार बनाई, लेकिन जिसके कारण आज शिवराज सरकार ने एक साल पूरा किया, उसको ही पार्टी ने चुनावी रैलियों में पहुंचना ठीक नहीं समझा. असम और बंगाल में चुनाव का पहला चरण पूरा हो गया, लेकिन अभी तक सिंधिया को बंगाल और असम की चुनावी सभाओं में नहीं उतारा गया.
शिवराज सरकार के तीन मंत्री और बीजेपी नेताओं को चुनावी सभाओं की दी गई जिम्मेदारी
मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के तीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदोरिया और विश्वास सारंग को इन चुनाव में भेजा गया. कई सीटों का जिम्मा भी इन पर छोड़ा गया है, लेकिन सिंधिया या फिर उनके करीबियों को चुनावी जिम्मेदारी नहीं दी गयी. चुनावी रैलियों में सिंधिया को न भेजे जाने पर कांग्रेस को उन पर तंज कसने के मौका मिल गया है. कांग्रेस का कहना है कि अब सिंधिया के पास न कद बचा है और न पद,महाराज से भाईसाहब हो गए हैं. ऐसे लोग तो दूसरी पार्टी से आते हैं, उनको बीजेपी हैसियत में ही रखती है.
बंगाल और असम में सिंधिया के जादू पर पार्टी में संशय
हालांकि सिंधिया समर्थकों के मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर जिस व्यक्ति के बलबूते बीजेपी ने सत्ता हासिल की उसको चुनाव में क्यों नहीं भेजा गया. जानकार मानते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया लोगों के बीच एक ऐसा चेहरा है, जिसे लोग देखना चाहते हैं लेकिन हो सकता है बीजेपी को लग रहा हो कि बंगाल और असम में सिंधिया का जादू ना चल पाए. लेकिन ये भी है कि जो मंत्री मध्यप्रदेश से गए हुए हैं क्या वे अपना जादू बिखेर पाएंगे.
सिंधिया के किसी भी करीबी को चुनावी राज्य में सभा के लिए नहीं मिला मौका
पार्टी के अंदरूनी राजनीति की बात करें तो हो सकता है बीजेपी हाईकमान ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को कई वजहों के चलते न भेजा हो. पार्टी सूत्रों के मुताबिक सिंधिया कांग्रेस के निशाने पर आ सकते थे. बीजेपी को खरीद-फरोख्त वाली पार्टी बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती. पार्टी इन सब विवादों से बचना चाह रही थी. इसी वजह से ज्योतिरादित्य सिंधिया या उनके समर्थकों को इन राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए नहीं भेजा.
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हालांकि बीजेपी सिंधिया को चुनाव प्रचार में नहीं भेजने का कारण कुछ और बता रही है. पार्टी का मानना है कि की पार्टी में लोगों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी जाती है. उसी के तहत काम होता है. वहीं बीजेपी यह भी कह रही है कि जब ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा में पर्याप्त बोलने का मौका और सवाल रखने का मौका दिया गया, तब तो लोगों ने सवाल नहीं उठाए कि आखिर उनको इतना क्यों बोलने दिया जा रहा है.
सिंधिया को राज्यसभा सदस्य तो बना दिया गया लेकिन उसके पहले उन्हें पार्टी में कोई पद नही मिला था. लगता है कि सिंधिया का ज्यादा उपयोग पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर नहीं करना चाहती, बल्कि उनको मध्य प्रदेश में ही फोकस रखना चाहती है.
सिंधिया के करीबियों को बनाया गया मंत्री
शिवराज ने करीब 100 दिनों की सरकार चलाने के बाद कैबिनेट का विस्तार किया गया. 28 मंत्रियों को पद की शपथ दिलाई गयी. खास बात यह है कि इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास लोगों को जगह नहीं मिली है. इस लिस्ट में ज्यादातर कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबदबा दिखा.
मंत्रिमंडल विस्तार के पहले फेस में सिंधिया के खेमे के दो विधायकों को मंत्री बनाया गया था और फिर सिंधिया समर्थक 12 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है. हालांकि ज्योतिरादित्य ने अपने करीबियों को जगह दिलाकर ये साबित किया कि पार्टी में उनकी चल रही है.