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ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे! आदिवासी लोगों के बीच परिवार के जैसे रहते हैं भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर

Anuppur Peacock and Villagers Friendship: बात जब प्यार की आती है तो इंसान हो या पशु-पक्षी सब प्रेम की ओर खिंचे चले आते हैं. अनूपपुर के बैगा जनजातीय तथा आदिवासी समाज के बीच राष्ट्रीय पक्षी मोर परिवार की तरह रहते हैं, उनके साथ खाते-पीते भी हैं.

Anuppur Peacock and Villagers Friendship
आदिवासियों के बीच रहते हैं मोर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 17, 2024, 12:47 PM IST

Updated : Jan 17, 2024, 2:24 PM IST

आदिवासियों और मोरों की अनोखी दोस्ती

अनूपपुर। जिले के कोतमा विधानसभा जनपद अनूपपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत टाकी के बैगा जनजातीय तथा आदिवासी समाज के बीच राष्ट्रीय पक्षी मोर आदिवासी समाज को अपना परिवार मानते हुए उनके बीच दिनभर विचरण करते रहते हैं. टाकी गांव मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जंगलों से घिरा है और इन जंगलों में अल्पसंख्यकों में रहने वाले राष्ट्रीय पक्षी मोरो का बसेरा है. शाम होते ही राष्ट्रीय पक्षी जंगल की ओर चले जाते हैं. सुबह होते ही आदिवासी समाज के बीच पहुंचकर एक परिवार की तरह दिनभर विचरण करते हुए उनके साथ भोजन भी करते हैं.

मोर हमारे परिवार का हिस्सा हैं

गांव के ही रहने वाले जयलाला ने बताया कि ''जंगलों से मोर रोजाना हमारे गांव में आते हैं. पक्षियों को अपने परिवार का हिस्सा मानते हुए गांव के सभी लोग सुबह-सुबह मोर पक्षी के लिए अपने घर के सामने तथा पीछे चने, चावल, दाल, मकाई सहित अन्य चीजों के दाने डाल देते हैं. ग्रामीणों का यह दिनचर्या पूरे दिन चलता रहता है और शाम होते ही मोर जंगल की ओर वापस लौट जाते हैं. कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया कि मोर घरों के आसपास आने से ग्रामीणों स्वयं और बच्चों तथा पालतू जानवर की एक प्रकार की अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि ग्रामीणों का मानना है कि जिस जगह पर मोर का आना-जाना तथा उसकी आवाज की गूंज से उसे जगह पर सर्प का खतरा नहीं रहता है.

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वन विभाग भी करता है निगरानी

जिले के कोतमा रेंज के बीट टाकी के प्रभारी वन रक्षक शंकर सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि हमारे बीट में राष्ट्रीय पक्षी मोर पाए जाते हैं। ग्रामीण और राष्ट्रीय पक्षी के बीच गजब का रिश्ता है परंतु इसके विपरीत वन विभाग प्रतिदिन राष्ट्रीय पक्षी मोर का निरंतर मॉनिटरिंग किया जाता है.

आदिवासियों और मोरों की अनोखी दोस्ती

अनूपपुर। जिले के कोतमा विधानसभा जनपद अनूपपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत टाकी के बैगा जनजातीय तथा आदिवासी समाज के बीच राष्ट्रीय पक्षी मोर आदिवासी समाज को अपना परिवार मानते हुए उनके बीच दिनभर विचरण करते रहते हैं. टाकी गांव मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जंगलों से घिरा है और इन जंगलों में अल्पसंख्यकों में रहने वाले राष्ट्रीय पक्षी मोरो का बसेरा है. शाम होते ही राष्ट्रीय पक्षी जंगल की ओर चले जाते हैं. सुबह होते ही आदिवासी समाज के बीच पहुंचकर एक परिवार की तरह दिनभर विचरण करते हुए उनके साथ भोजन भी करते हैं.

मोर हमारे परिवार का हिस्सा हैं

गांव के ही रहने वाले जयलाला ने बताया कि ''जंगलों से मोर रोजाना हमारे गांव में आते हैं. पक्षियों को अपने परिवार का हिस्सा मानते हुए गांव के सभी लोग सुबह-सुबह मोर पक्षी के लिए अपने घर के सामने तथा पीछे चने, चावल, दाल, मकाई सहित अन्य चीजों के दाने डाल देते हैं. ग्रामीणों का यह दिनचर्या पूरे दिन चलता रहता है और शाम होते ही मोर जंगल की ओर वापस लौट जाते हैं. कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया कि मोर घरों के आसपास आने से ग्रामीणों स्वयं और बच्चों तथा पालतू जानवर की एक प्रकार की अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि ग्रामीणों का मानना है कि जिस जगह पर मोर का आना-जाना तथा उसकी आवाज की गूंज से उसे जगह पर सर्प का खतरा नहीं रहता है.

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जिले के कोतमा रेंज के बीट टाकी के प्रभारी वन रक्षक शंकर सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि हमारे बीट में राष्ट्रीय पक्षी मोर पाए जाते हैं। ग्रामीण और राष्ट्रीय पक्षी के बीच गजब का रिश्ता है परंतु इसके विपरीत वन विभाग प्रतिदिन राष्ट्रीय पक्षी मोर का निरंतर मॉनिटरिंग किया जाता है.

Last Updated : Jan 17, 2024, 2:24 PM IST
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