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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से टूटी किसानों की उम्मीद, खातों में सौ रूपए से भी कम राशि हुई जमा

आगर के कई किसान ऐसे हैं जिनको बीमा राशि के नाम पर 7 रुपए से लेकर 100 रुपए की राशि मिली हैं, हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज ने आगर के बडौद में हुए कार्यक्रम के दौरान एलान किया था कि बीमा राशि को लेकर वे खुद संशय की स्थिति में है और इसकी जांच कराई जाएगी.

Hope of farmers broken by amount
राशि से टूटी किसानों की उम्मीद
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Published : Sep 22, 2020, 1:44 AM IST

आगर मालवा। अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, सूखा, बाढ़ और आंधी जैसी प्राकृतिक आपदा से फसलों को होने वाले नुकसान से राहत देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी लेकिन किसानों के लिए मध्यप्रदेश में यह योजना मजाक बनकर रह गई है. 18 सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 22 लाख किसानों को बीमा राशि का वितरण एक भव्य समारोह में किया था. आगर के कई किसान ऐसे हैं जिनको बीमा राशि के नाम पर 7 रुपए से लेकर 100 रुपए की राशि मिली हैं, हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज ने आगर के बडौद में हुए कार्यक्रम के दौरान एलान किया था कि बीमा राशि को लेकर वे खुद संशय की स्थिति में है और इसकी जांच कराई जाएगी.

बीमा की राशि से नाउम्मीद हुए किसान

सिर पर है कर्ज

आगर के ग्राम तोलाखेड़ी के सभी किसान बुरे दौर से गुजर रहे हैं. 14 बीघा जमीन पर खेती करने वाले किसान अंतर सिंह इस बात से परेशान हैं कि आखिर उनसे चूक कहां हुई है. बीमा प्रीमियम की राशि भी पूरी जमा की थी. खेती में नुकसान भी भरपूर हुआ, दो लाख रुपए का बैंक और साहूकारी कर्ज भी सिर पर है. पटवारी ने सर्वे भी किया, लेकिन बीमा की राशि 18 रुपए खाते में आई है. अब 18 रुपए में अंतर सिंह या तो अपने बच्चों को पढ़ाएं या कर्ज को उतारे या अगली फसल के लिए बीज और खाद की व्यवस्था करें. इसके लिए किसान अंतर सिंह सरकारी सिस्टम को दोषी मान रहे हैं.

farmer Antar Singh
किसान अंतर सिंह

7 रुपए में बच्चे का बिस्किट नहीं आयेगा

परिवार के 8 सदस्यों के साथ आगर मालवा जिले के तोलाखेड़ी गांव में रहने वाले किसान भगवान सिंह अपने सिर पर चढ़े करीब 3 लाख रुपए के कर्ज को उतारने के लिए लगभग नष्ट हो चुकी सोयाबीन को समेटने की कोशिश कर रहे हैं. साल 2019 में भी ज्यादा बारिश के चलते सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई थी. बैंक से बीमा इस उम्मीद में कराया था कि अगर फसल में नुकसान हुआ तो बीमें की राशि से भरपाई हो जाएगी. सरकार ने जैसे ही बीमा राशि वितरण का ऐलान किया. किसान भगवान सिंह की आंखों में उम्मीदों के सितारे चमकने लगे लेकिन जब सूची में नाम देखा तो भगवान सिंह के हिस्से में बीमा की राशि के केवल 7 रुपए ही आए थे. किसान भगवान सिंह ने बताया कि इस 7 रुपए में तो बच्चे के लिए एक बिस्किट का पैकेट भी नहीं आयेगा. वो इसके लिए सरकारी अधिकारियों को जिम्मेदारी मान रहे हैं.

क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

बता दे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को खरीफ की फसल के लिये 2 फीसदी प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है. वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए किसानों को 5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है. सरकारी व्यवस्था में फसल नुकसानी के आकलन के लिए पटवारी और कृषि विभाग के अधिकारी मिलकर किसानों के खेत पर जाकर नुकसान का आकलन करते हैं. फसल को होने वाले नुकसान का पैमाना खेत या गांव ना होकर पटवारी हल्का है जिससे कई गांव के किसान इस योजना का लाभ नहीं उठा पाते हैं.

आगर मालवा। अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, सूखा, बाढ़ और आंधी जैसी प्राकृतिक आपदा से फसलों को होने वाले नुकसान से राहत देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी लेकिन किसानों के लिए मध्यप्रदेश में यह योजना मजाक बनकर रह गई है. 18 सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 22 लाख किसानों को बीमा राशि का वितरण एक भव्य समारोह में किया था. आगर के कई किसान ऐसे हैं जिनको बीमा राशि के नाम पर 7 रुपए से लेकर 100 रुपए की राशि मिली हैं, हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज ने आगर के बडौद में हुए कार्यक्रम के दौरान एलान किया था कि बीमा राशि को लेकर वे खुद संशय की स्थिति में है और इसकी जांच कराई जाएगी.

बीमा की राशि से नाउम्मीद हुए किसान

सिर पर है कर्ज

आगर के ग्राम तोलाखेड़ी के सभी किसान बुरे दौर से गुजर रहे हैं. 14 बीघा जमीन पर खेती करने वाले किसान अंतर सिंह इस बात से परेशान हैं कि आखिर उनसे चूक कहां हुई है. बीमा प्रीमियम की राशि भी पूरी जमा की थी. खेती में नुकसान भी भरपूर हुआ, दो लाख रुपए का बैंक और साहूकारी कर्ज भी सिर पर है. पटवारी ने सर्वे भी किया, लेकिन बीमा की राशि 18 रुपए खाते में आई है. अब 18 रुपए में अंतर सिंह या तो अपने बच्चों को पढ़ाएं या कर्ज को उतारे या अगली फसल के लिए बीज और खाद की व्यवस्था करें. इसके लिए किसान अंतर सिंह सरकारी सिस्टम को दोषी मान रहे हैं.

farmer Antar Singh
किसान अंतर सिंह

7 रुपए में बच्चे का बिस्किट नहीं आयेगा

परिवार के 8 सदस्यों के साथ आगर मालवा जिले के तोलाखेड़ी गांव में रहने वाले किसान भगवान सिंह अपने सिर पर चढ़े करीब 3 लाख रुपए के कर्ज को उतारने के लिए लगभग नष्ट हो चुकी सोयाबीन को समेटने की कोशिश कर रहे हैं. साल 2019 में भी ज्यादा बारिश के चलते सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई थी. बैंक से बीमा इस उम्मीद में कराया था कि अगर फसल में नुकसान हुआ तो बीमें की राशि से भरपाई हो जाएगी. सरकार ने जैसे ही बीमा राशि वितरण का ऐलान किया. किसान भगवान सिंह की आंखों में उम्मीदों के सितारे चमकने लगे लेकिन जब सूची में नाम देखा तो भगवान सिंह के हिस्से में बीमा की राशि के केवल 7 रुपए ही आए थे. किसान भगवान सिंह ने बताया कि इस 7 रुपए में तो बच्चे के लिए एक बिस्किट का पैकेट भी नहीं आयेगा. वो इसके लिए सरकारी अधिकारियों को जिम्मेदारी मान रहे हैं.

क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

बता दे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को खरीफ की फसल के लिये 2 फीसदी प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है. वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए किसानों को 5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है. सरकारी व्यवस्था में फसल नुकसानी के आकलन के लिए पटवारी और कृषि विभाग के अधिकारी मिलकर किसानों के खेत पर जाकर नुकसान का आकलन करते हैं. फसल को होने वाले नुकसान का पैमाना खेत या गांव ना होकर पटवारी हल्का है जिससे कई गांव के किसान इस योजना का लाभ नहीं उठा पाते हैं.

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