भोपाल। मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में महिलाओं के सम्मान के लिए महिला दिवस पर बड़ी-बड़ी बातें की गई. महिलाओं को सम्मान भी दिया गया, तो दूसरी तरफ महिलाओं की पीड़ा सुनने वाला एमपी महिला आयोग पिछले 2 साल से सिर्फ कागजों में दौड़ रहा है. मध्य प्रदेश के महिला आयोग में लंबित शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, 2 साल से आयोग का मामला हाई कोर्ट में चल रहा है. महिलाओं की आने वाली शिकायतों की सुनवाई नहीं हो पा रही है, अध्यक्ष सदस्यों की नियुक्ति के मामले की सुनवाई बुधवार को कोर्ट में होनी है.
कांग्रेस में हुई नियुक्ति, बीजेपी ने निरस्त की
बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा का कहना है कि मामला कोर्ट में लंबित है. लिहाजा कोर्ट जो फैसला देगा उसके बाद ही महिला आयोग में लंबित शिकायतों का निराकरण हो पाएगा. लेकिन इसके लिए कमलनाथ ही जिम्मेदार हैं, उन्होंने सरकार जाने के पहले यह नियुक्तियां कर गए, जिन्हें निरस्त कर दी गई थी. महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा का कहना है कि बीजेपी की तानाशाही का आलम यह है कि पहली बार महिला आयोग में काम नहीं करने दिया जा रहा. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सदस्यों की नियुक्ति के मामले की सुनवाई बुधवार को होनी है. कांग्रेस शासनकाल में शोभा ओझा को अध्यक्ष बनाया गया साथ ही समिति में सदस्यों की नियुक्ति भी की गई. बीजेपी ने आते ही इन सब नियुक्ति को निरस्त कर दिया. जिसके बाद सारे लोग कोर्ट चले गए और कोर्ट में यह मामला लंबित है.
आयोग के पास शिकायतों की लंबी फेहरिस्त
प्रदेश में 2020 में महिला आयोग के पास 972 शिकायतें आई थीं, लेकिन 2021 में शिकायतों की संख्या 1202 पहुंच गई. इन 2 सालों में कुल मिलाकर 2174 शिकायतें हो चुकी हैं, इससे पहले भी आयोग के पास शिकायतों की लंबी फेहरिस्त है. सूत्रों के मुताबिक तकरीबन 10,000 शिकायतें हैं, जिनका निराकरण नहीं हो पाया. कांग्रेस सरकार जाने के बाद बीजेपी सरकार को 2 साल हो गए, लेकिन अध्यक्ष सदस्यों की नियुक्ति का मामला कोर्ट में लंबित है. जिसके चलते शिकायतों का निराकरण नहीं हो पा रहा है. आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है, इन सब की नियुक्ति मार्च 2020 में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जाते-जाते कर दी थी.