भोपाल। मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य होगा, जो अपने कर्मचारी-अधिकारियों को देने वाला इंक्रीमेंट काल्पनिक तौर पर दे रहा है. इस काल्पनिक वेतन वृद्धि को लेकर कर्मचारी संगठन बेहद नाराज है, उनका कहना है कि सरकार ने काल्पनिक वेतन वृद्धि शब्द का जो प्रयोग किया है, उसे हटाया जाना चाहिए और आदेश में स्पष्ट करना चाहिए, कि इसका वास्तविक लाभ कब से दिया जाएगा. कर्मचारी संगठनों ने ऐलान किया है कि सरकार कर्मचारियों की मांगों पर गौर नहीं करती है, तो एक बैठक आयोजित कर सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी.
इस बारे में मध्यप्रदेश शासकीय तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा का कहना है कि राज्य शासन द्वारा कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि रोकी जानी है, साथ ही महंगाई भत्ता और वेतन मान निर्धारण के एरियर को रोके जाने से कर्मचारियों की नाराजगी देखते हुए, आज विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से चर्चा कर कर्मचारी वर्ग की नाराजगी से अवगत कराया है.
साथ ही निवेदन किया है कि सरकार द्वारा जो कर्मचारियों की 1 जुलाई 2020 से काल्पनिक वार्षिक वेतन वृद्धि की गई है, संभवत पूरे देश में एक ऐसा राज्य बना है, जहां पर कर्मचारियों को काल्पनिक वार्षिक वृद्धि दर दी गई है, इसका वास्तविक लाभ कब से दिया जाएगा, इसके बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. कर्मचारी संगठनों ने मांग की है कि इस आदेश से काल्पनिक शब्द को हटाया जाए, साथ ही वार्षिक वेतन वृद्धि स्थगित करने के संबंध में स्पष्टीकरण दिया जाए कि ये वार्षिक वृद्धि कर्मचारियों को कब से प्राप्त होगी.
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार केवल अधिकारियों-कर्मचारियों को आपदा प्रबंधन के नाम पर ठगने का काम कर रही है. एक ओर जहां कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि रोकी गई है. वहीं कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते को भी जुलाई 20-21 तक रोक दिया गया है.
साथ ही कर्मचारियों को मई में जो वेतन निर्धारण की किस्त मिलती थी, वो भी रोकी गई है. इससे कर्मचारियों पर भारी आर्थिक संकट आ गया है. प्रदेश के कर्मचारियों को 3 से 10 हजार तक का नुकसान हो रहा है. यदि जल्द ही इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जाता है, तो पूरे प्रदेश के कर्मचारी आंदोलन की तैयारी करेंगे, इसके लिए अलग से बैठक ली जाएगी.