हैदराबाद: इनकम टैक्स एक्ट की धारा 24 और धारा 80सी के तहत होम लोन के लिए भुगतान किए गए मूलधन और ब्याज राशि पर छूट मिलती है. जब आप घर बनाने या खरीदने के लिए टॉप-अप लोन का उपयोग करते हैं तो टैक्स रिबेट का लाभ उठाया जा सकता है. इसलिए, टॉप-अप लोन लेते समय, आपको डॉक्युमेंट के साथ यह प्रूव करना होगा कि लोन ली गई राशि का उपयोग बताए गए उद्देश्यों के लिए ही किया गया है.
जब आप पर्सनल लोन या गोल्ड लोन लेते हैं तो शर्तों के हिसाब से रीपेमेंट की अवधि एक से 15 साल के बीच हो सकती है. होम टॉप अप लोन थोड़ा अलग होता है क्योंकि यह मुख्य होम लोन की अवधि से जुड़ा होता है. उदाहरण के लिए, यदि होम लोन की अवधि 20 वर्ष है, तो टॉप-अप की अवधि वही रहती है. ज्यादा मिला समय आपको बैंक नियमों के आधार पर आसानी से लोन चुकाने में सक्षम बनाता है.
टॉप-अप लोन लेने के बाद भी अगर आपको पैसे की आवश्यकता होती है तो टॉप-अप लोन पर ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं. कुछ बैंक हाउसिंग लोन पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं, लेकिन ब्याज दर होम लोन से थोड़ी अधिक होती है. हालांकि इसके बावजूद ब्याज दर पर्सनल लोन से कम ही रहेगी. ओवरड्राफ्ट सुविधा वाला होम लोन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लंबे समय तक जरूरत पड़ने पर ही पैसा लेने का फायदा देता है.
टॉप-अप लोन लेने वालों के बारे में बैंकों को सभी जानकारी होती है और वह पेमेंट ट्रैक रिकॉर्ड के बारे में भी जानते हैं. इसके बावजूद टॉप अप लोन लेने के लिए कई डॉक्युमेंट ईएमआई रेमिटेंस और इनकम प्रूफ आदि जमा करना होता है. इसके बाद बैंक आवेदक की इनकम, पहले लिए गए लोन, गिरवी रखी गई संपत्ति के बाजार मूल्य के आधार पर लोन की राशि तय करता है.
आमतौर पर, इन टॉप-अप लोन पर ब्याज दरें कम होती हैंय यह होम लोन की ब्याज दरों के समान होती हैं, इसलिए, कम-ब्याज दर पर लोन के विकल्प के रूप में चिह्नित किया जा सकता है. इन दिनों कुछ बैंक और उधार देने वाली संस्थाएं टॉप-अप लोन दे रही हैं, इसलिए जरूरत पड़ने पर बाजार में उपलब्ध अन्य हाई इंटरेस्ट रेट वाले लोन के बजाय टॉप-अप लोन को प्रॉयरिटी में रखे.
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